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बिहारी-मराठी संभाव का संदेश

Beyond Headlines
Beyond Headlines Published April 23, 2013 1 View
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6 Min Read
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Ashutosh Kumar Singh for BeyondHeadlines

मुम्बई में बिहार व बिहारियों की चर्चा आए दिन होती रहती है. बिहारी समुदाय के खिलाफ बंद कमरे से भाषणबाजी व बयानबाजी भी होती रही है. पिछले 16 अप्रैल को षण्मुखानंद हॉल में बिहार दिवस के उपलक्ष्य में जो सुनने व देखने को मिला वह बिहारी अस्मिता को बुलंद करने वाला रहा.

स्पष्ट रहे कि पिछले चार सालों से बिहार फाउंडेशन मुम्बई में बिहार दिवस मनाता आ रहा है. पिछले साल के कार्यक्रम का भी मैं गवाह रहा हूं, लेकिन ऐसा कुछ भी देखने-सुनने को नहीं मिला था कि उसकी चर्चा की जाए. लेकिन इस बार के कार्यक्रम के बारे में लिखने से खुद को रोक पाना मुश्किल हो रहा है. लगभग 3000 लोगों की भीड़ थी उस दिन. लोगों को देखकर मैं दंग रह गया था कि आखिर मुंबई जैसे अति व्यस्त महानगर में, वह भी मंगलवार के दिन इतनी संख्या में लोग कहां से पहुंच गए? लेकिन लोगों के मन में बिहार के प्रति प्रेम था, सो वो आए.

Bihar Diwas 2013 mumbai

बिहार के गया जिला के रहने वाले एहसान मलिक ने बताया कि हमलोग आज छुट्टी करके इस कार्यक्रम में आए हैं. आने के पीछे उनका तर्क था कि बिहार का कार्यक्रम है, साथ ही सांस्कृतिक कार्यक्रम देखने का उत्साह भी तो है.

जितने लोग पहुंचे थे उसमें से ज्यादातर लोग सांस्कृतिक कार्यक्रम देखने के लिए ही आए थे. बिहार दिवस का यह कार्यक्रम दो सत्रों में बटा था.

पहले सत्र में प्रोजेक्टर पर बिहार गीत दिखाया गया, बिहार फाउंडेशन के सीइओ दीपक कुमार सिंह व चेयरमैन सुशील कुमार मोदी का विडियो संदेश दिखाया गया. जिसमें बिहार से बाहर रह रहे प्रवासी बिहारियों के हितार्थ सरकारी योजनाओं के बारे में बताया गया. विडियो संदेश ज्यादातर लोगों के लिए कौतुहल का विषय बना हुआ था. सरस्वती वंदना के साथ दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम की विधिवत शुरुआत हुई. विद्यापति रचित गीत को मराठी गायिका श्रुति भावे ने गाकर कार्यक्रम को आगे बढ़ाया. इस कार्यक्रम की अध्यक्षता केरल के राज्यपाल निखिल कुमार ने की. अपने अध्यक्षीय भाषण में बिहारी होने पर गर्व प्रदर्शित करते हुए उन्होंने कहा कि ‘आपलोग मेहनत की रोटी खा रहे हैं, आपलोगों को किसी से डरने की जरूरत नहीं है. कानून का राज है.’ महाराष्ट्र के लोगों की तारीफ करते हुए उन्होंने कहा कि यहां के लोग बहुत आत्मीय हैं.

इस अवसर पर सीएनबीसी आवाज के एडिटर इन चीफ संजय पुगलिया व वरिष्ठ पत्रकार फिरोज अशरफ को बिहार फाउंडेशन अवार्ड तथा अब्दूल गनी सारंग (यूनियन लिडर शिपींग), तथा चंद्रकांत कोली (वरीष्ठ अधिकारी नवी मुंबई महानगर पालिका) को बिहार मित्र अवार्ड दिया गया. अपने अध्यक्षीय भाषण के दौरान राज्यपाल निखिल कुमार ने पत्रकार फिरोज अशरफ की हिन्दी पुस्तक ‘पाकिस्तानामा’ की तारीफ करते हुए कहा कि उन जैसे बुद्धिजीवियों को उर्दू में भी अपनी कलम चलानी चाहिए. इस अवसर पर वाइस एडमिरल शेखर सिन्हा (वेस्टन जोन), महिला-बाल विकास मंत्री वर्षा गायकवाड, सांसद एकनाथ गायकवाड, सरदार तारा सिंह (विधायक) एवं सेबी के चेयरमैन यूके सिन्हा, देवेशचंद्र ठाकूर, (पूर्व मंत्री बिहार सरकार) उपस्थित थे.

पहले सत्र की समाप्ति के बाद सबकी नज़र सांस्कृतिक कार्यक्रम पर थी. सांस्कृतिक कार्यक्रम की शुरुआत मराठी नृत्य गोंधर से हुई. उसके बाद भोजपुरी-हिन्दी की जानी-मानी गायिका कल्पना ने भिखारी ठाकुर की रचना प्रस्तुत किया. बिहार फाउंडेशन के मंच से बिहार दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में गोंधर व लावणी की प्रस्तुति सबके दिलों को छू गयी. इस बावत बिहार फाउंडेशन के प्रवक्ता मनोज सिंह राजपुत का कहना था कि, बिहार फाउंडेशन बिहार सरकार का इनिसिएटिव है और हम भाईचारे में विश्वास रखते हैं. मुम्बई में बिहार के जो लोग हैं वे अपनी मेहनत से मुंबई को संवारने में लगे हैं, इसमें मराठी मित्रों का बहुत योगदान है. इस अवसर पर गोंधर व लावणी नृत्य के आयोजन को बिहारी-मराठी संभाव के प्रतीक के रूप में देखा जाना चाहिए.

इस मौके पर पेंटागन ग्रुप ने गणेशा नृत्य की जो प्रस्तुति की वह भी लाजवाब थी. डेढ़ घंटे के सांस्कृतिक कार्यक्रम में इस मंच पर जितनी विविधता दिखी, वैसी विविधता इसके पूर्व इस मंच पर देखने को नहीं मिली थी. कार्यक्रम की सफलता का श्रेय अपनी टीम के सभी सदस्यों को देते हुए बिहार फाउंडेशन, मुंबई चैप्टर के चेयरमैन रविशंकर श्रीवास्तव ने कहा कि इस तरह के कार्यक्रम के पीछे पूरी टीम की लगन व समर्पण की जरूरत होती है और हमारी टीम ने इसे सच साबित किया है.

इस कार्यक्रम का एक पक्ष यह भी रहा कि महाराष्ट्र शासन की बाल विकास मंत्री वर्षा गायकवाड व सांसद एकनाथ गायकवाड न केवल मंचाशीन हुए बल्कि अपने उद्बोधन में बिहार के लोगों की मेहनत और मुंबई के विकास में उनके योगदान की जमकर तारीफ भी कर गए.

मुंबई से बिहारी-मराठी संभाव की जो आवाज पिछले 16 अप्रैल, 2013 को षन्मुखानंद हॉल से उठी है, उसका सकारात्मक प्रभाव आने वाले दिनों में देखने को जरूर मिलेगा.

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