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BeyondHeadlines > Entertainment > भारतीय कानून की किसी भी धारा में मैच फिक्सिंग अपराध नहीं है!
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भारतीय कानून की किसी भी धारा में मैच फिक्सिंग अपराध नहीं है!

Beyond Headlines
Beyond Headlines Published May 20, 2013 1 View
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7 Min Read
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Anurag Bakshi for BeyondHeadlines

आईपीएल जिस तरह स्पॉट फिक्सिंग से दो-चार हुई, उससे क्रिकेट के साथ-साथ भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड भी शर्मसार हुआ है. स्पॉट फिक्सिंग में क्रिकेटरों समेत सट्टेबाजों की गिरफ्तारी के बाद भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के सारे दावे ध्वस्त हो गए कि आइपीएल हर तरह की गड़बड़ी से मुक्त है.

अब जब गड़बड़ी का पहाड़ सामने आ गया है तब इस तरह की बातें करने का कोई मतलब नहीं कि दोषी खिलाड़ियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. ऐसा तो उसे न चाहते हुए भी करना होगा. अगर क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड अपने दावे के मुताबिक चुस्त-दुरुस्त था तो फिर वह क्रिकेटरों पर निगाह क्यों नहीं रख सका? क्या यह अजीब नहीं कि ये क्रिकेटर इतनी आसानी से सटोरियों से सौदेबाजी कर फिक्सिंग करते रहे और बोर्ड को भनक तक नहीं लगी?

Photo Courtesy: sports.ndtv.com

ऐसा लगता है कि क्रिकेटरों के बीच सटोरियों ने अच्छी पकड़ बना ली है. क्योंकि वे रह रहकर अपना गंदा खेल दिखाने में कामयाब हो जाते हैं. उनका काम इसलिए आसान हो गया है, क्योंकि इस खेल में ज़रूरत से ज्यादा पैसा आ गया है और शायद ऐसे खिलाड़ियों की भी कमी नहीं जो रातों-रात करोड़पति हो जाना चाहते हैं.

नि:संदेह ऐसा नहीं है कि लालची क्रिकेटरों पर काबू न पाया जा सके. यह निराशाजनक है कि इसके लिए जैसे क़दम उठाए जाने चाहिए वैसे नहीं उठाए जा रहे. इससे भी निराशाजनक यह है कि भारत में सट्टेबाजी को बढ़ावा मिलता दिख रहा है. सब जानते हैं कि भारत में क्रिकेट मैचों के दौरान सटोरियों की दुकानें सज जाती हैं. लेकिन सट्टेबाजी पर अंकुश के लिए कोई कड़े उपाय नहीं किए जा रहे हैं.

क्या सट्टेबाजों के लिए इससे अनुकूल और कुछ हो सकता है कि भारतीय कानून की किसी भी धारा में मैच फिक्सिंग अपराध नहीं है? चौदह साल पहले हुए मैच फिक्सिंग के मामले में सीबीआई ने पूरा केस यह कहते हुए बंद कर दिया था कि किसी भी कानून के तहत क्रिकेटरो के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल नहीं किया जा सकता.

1999 मे दिल्ली पुलिस ने इसी तरह साउथ अफ्रीका टीम के कप्तान हैंसी क्रोनिया के साथ मो.अजरुद्दीन, अजय जडेजा आदि जैसे बड़े खिलाड़ियों के मैच फिक्सिंग में शामिल होने का खुलासा किया था. बाद में इस मामले की जाँच सीबीआई ने इन खिलाड़ियो के खिलाफ आरोपो को सही पाया और उनके खिलाफ पुख्ता सबूत भी जुटाए. लेकिन कानून की किसी भी धारा मे मैच फिक्सिंग को अपराध नहीं ठहराए जाने के कारण सीबीआई किसी भी खिलाड़ी के खिलाफ चार्जशीट दाखिल नहीं कर सकी.

इसी जाँच को आधार मानकर बाद में बीसीसीआई ने ज़रुर कुछ खिलाड़ियो पर प्रतिबंध लगाया. मैच फिक्सिंग की जाँच से जुड़े रहे सीबीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि खिलाड़ियो के खिलाफ चार्जशीट करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायधीश जस्टिस एम.के.मुर्खजी और तत्कालीन सोलीसिटर जनरल हरीश साल्वे से कानूनी सलाह भी ली गयी.

ये दोनो न्यायविद भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 415 417 व 420 जुआ निरोधक कानून के साथ साथ भ्रष्टाचार निरोधक कानून की धाराओ के तहत मैच फिक्सिंग के आरोपियों को चार्जशीट करने पर विस्तार से विचार करने के बाद इस फैसले पर पहुंचे थे कि इनमें से किसी भी कानून के तहत आरोपियो के खिलाफ कोई भी कार्यवाही नहीं की जा सकती.

कोई इस पर भी विचार करने के लिए तैयार नहीं है कि क्या कई अन्य देशों की तरह भारत में भी सट्टेबाजी को कानूनी मान्यता देने की ज़रूरत है?

अगर भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड और साथ ही उस पर विशेष कृपादृष्टि रखने वाली भारत सरकार चेतती नहीं थोड़ी चीख-पुकार के अलावा ऐसा कुछ भी नहीं होने वाला जिससे सट्टेबाज और लालच के मारे क्रिकेटर इस खेल को और दूषित न कर सकें.

सूत्रों के मुताबिक प्रधानमंत्री कार्यालय ने इंटेलिजेंस ब्यूरो के निदेशक आसिफ इब्राहिम से एक अति गोपनीय पत्र में IPL कमिश्नर राजीव शुक्ला और दिल्ली पुलिस के कमिश्नर नीरज कुमार के रिश्तों को लेकर 4 बिंदुओं पर जानकारी मांगी है. ये जानकारी दिल्ली पुलिस की IPL फिक्सिंग जांच को लेकर है.

खबर सनसनीखेज है और अब ये कहा जा रहा है की खिलाड़ियों के नाम आने के बाद क्रिकेट बोर्ड की एक रसूखदार लाबी ने जांच  को आधे रास्ते ही रोकने के लिए पुलिस पर दबाव डाला. फ़िलहाल मामला 12 तुग़लक लेन तक पहुँच गया है और कांग्रेस के एक बड़े नेता ने राहुल गाँधी को इस घालमेल पर अपडेट किया है और परदे के पीछे की राजनीती बता दी है.

सूत्रों के अनुसार राहुल चाहते है कि क्रिकेट में अगर धांधली है तो जांच निष्पक्ष और तह तक होनी चाहिए. सूत्र यह भी बताते है कि कांग्रेस की एक लाबी अब ये कोशिश कर रही है कि पीएमओ स्पॉट फिक्सिंग की व्यापक जांच दिल्ली पुलिस से लेकर सीबीआई को सौंप दे.

कांग्रेस के कुछ बड़े नेताओं ने हाई कमांड से कहा है कि IPL में देर सवेर ऊँगली सरकार के कुछ मंत्रियों तक पहुंचेगी. इसलिए बेहतर होगा कि समय रहते बढ़ते विवाद को खत्म कर दिया जाये.

चुनाव का वक्त नजदीक है और सरकार एक और कलमाडी बर्दाश्त नहीं कर सकेगी. सच तो ये है कि जिस तरह क्रिकेट फिक्सिंग की जांच अचानक ही बीच में रोकनी पड़ी… इससे दिल्ली पुलिस कमिश्नर नीरज कुमार और IPL कमिश्नर राजीव शुक्ला के पुराने रिश्ते सवालों के घेरे में आ गए.

ज़ाहिर तौर पर शुक्ला के खिलाफ लाबी 10 जनपथ में सक्रिए हो रही है. बहरहाल इंटेलिजेंस ब्यूरो ने पहली रिपोर्ट में पीएमओ को संकेत दिये है कि IPL में व्यापक भ्रष्टाचार है. दूसरी रिपोर्ट में इंटेलिजेंस ब्यूरो की जांच का इन्तेज़ार रहेगा…

TAGGED:According to Indian Law match-fixing is not a crime!ANOTHER STORY OF CRICKETANOTHER STORY OF IPLANOTHER STORY OF MATCH FIXINGANOTHER STORY OF SPOT FIXINGIPLmatch fixingSPOT FIXING
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