BeyondHeadlines News Desk
लखनऊ : खालिद मुजाहिद के हत्यारों की गिरफ्तारी, निमेष कमीशन की रिपोर्ट और आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाहों की रिहाई को लेकर रिहाई मंच के अनिश्चित कालीन धरने का दसवें दिन भी जारी रहा.
रिहाई मंच ने खालिद की हत्या पर कभी सूबे के मुख्यमंत्री अखिलेश तो कभी कुछ कथित उलेमा तो कभी सपा के अबू आसिम आज़मी द्वारा जिस तरह से मृत्यु का कारण बीमारी बताया जा रहा है पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए सूबे की सरकार द्वारा जांच को प्रभावित करने की कोशिश करने वाला इसे आपराधिक कृत्य क़रार दिया.
जिस तरह से जांच को प्रभावित करने की कोशिश की जा रही है वो स्पष्ट कर रहा है कि मौलाना खालिद की हत्या में सिर्फ पुलिस व आईबी ही नहीं सरकार भी लिप्त है, जो खुद को बचाने के लिए जांच शुरु होने से पहले ही हाथ पांव मारने लगी है.
सोशलिस्ट फ्रंट के मोहम्मद आफाक ने अबू आसिम आज़मी का लखनऊ विधान सभा के सामने पुतला फूंकतें हुए कहा कि अबू आसिम आज़मी ने खालिद की मृत्यु का कारण बीमारी बताकर सपा सरकार को जिस तरीके से बचाने की कोशिश की है उसे मुस्लिम समाज कभी माफ नहीं करेगा.
रिहाई मंच के प्रवक्ताओं ने बताया कि एसोसिएशन ऑफ इंडियन मुस्लिम्स ऑफ अमेरिका ने भी पत्र लिखकर खालिद मुजाहिद के न्याय के लिए चल रहे अनिश्चित कालीन धरने का समर्थन किया है. कल ग्यारहवें दिन के धरने में मौलाना खालिद के चचा ज़हीर आलम फलाही समेत तारिक के परिजन भी शामिल होंगे. कल के धरने के समर्थन में दिल्ली से मिल्ली गजट के संपादक और मुस्लिम मशावरत के अध्यक्ष ज़फ़र उल इस्लाम भी रहेंगे.
अनिश्चित कालीन धरने को संबोधित करते हुए पूर्व सांसद इलियास आज़मी ने कहा कि अबू आसिम आज़मी ने जिस तरीके से खालिद की हत्या पर गैर-जिम्मेदाराना बयान दिया वो एक गंदी राजनीति का हिस्सा है जिसकी जितनी भी निंदा की जाए वो कम है. इलियास आज़मी ने कहा कि आज़मगढ़ जिसे आईबी ने आतंकवाद के नाम पर बदनाम कर दिया हो उस जगह का कोई व्यक्ति जब यह बयान दे तो उसे राजनीति से पहले आवाम के न्याय के बारे में सोचना चाहिए.
उन्होंने कहा कि यूपी में कोई भी सपा का मुस्लिम नेता खालिद की मौत पर इतना बड़ा झूठ बोलकर आवाम का गुस्सा मोल नहीं लेना चाहता था, ऐसे में खालिद की हत्या के दो हफ्ते बाद सपा ने मुंबई से अबू आसिम आज़मी को बुलाकर वह गंदा काम करवा दिया जिसे यहां का कोई भी मुस्लिम नेता करने को तैयार नहीं था.
रिहाई मंच के अध्यक्ष और खालिद-तारिक के अधिवक्ता मोहम्मद शुएब ने कहा कि अबू आसिम आज़मी सरकार को बचाने के लिए तारिक से मिलने के लिए जेल में तो चले जाते हैं पर खालिद के परिजनों से मिलने के लिए नहीं जाते, ऐसी ही हरकत पिछले दिनों कुछ कथित उलेमाओं ने भी की थी, जिसका जवाब खालिद के चचा ज़हीर आलम फलाही ने 6 लाख रुपए का मुआवजा वापस करके दे दिया था. आज जब इस लड़ाई में एक पूर्व न्यायधीश आर.डी. निमेष की रिपोर्ट भी खालिद को बेगुनाह साबित कर रही हो तो अबू आसिम आज़मी को ऐसी ओछी राजनीति करने से बाज आना चाहिए. जो सरकार जेल में आतंकवाद के नाम बंद कैदियों को हाई स्क्योरिटी के नाम पर 23-23 घंटे बंद रखती हो इससे समझा जा सकता है कि सरकार उन्हें रिहा नहीं बल्कि एक जिन्दा लाश बना देना चाहती है.
धरने को मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित संदीप पांडे, भारतीय एकता पार्टी के सैय्यद मोइद, हाजी फहीम सिद्दिकी, एहसानुल हक मलिक, जैद फारुकी, इशहाक, लक्षमण प्रसाद, अवामी काउंसिल के असद हयात, फैजान मुसन्ना, शुएब अली, अजय सिंह, शाहनवाज़ आलम और राजीव यादव ने संबोधित किया.