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खालिद की हत्या सपा के ताबूत में अंतिम कील साबित होगी

BeyondHeadlines News Desk

लखनऊ : खालिद मुजाहिद की हत्यारोपी पुलिस अधिकारियों को गिरफ्तार करने, निमेष कमीशन की रिापोर्ट को तत्काल जारी करने और आतंकवाद के नाम पर कैद निर्दोष मुसलमानों को तत्काल रिहा करने की मांग को लेकर चल रहा रिहाई मंच का अनिश्चित कालीन धरना आज तीसरे दिन भी जारी रहा.

धरने को संबोधित करते हुए वकताओं ने कहा कि आज शुक्रवार को जिस तरह पूरे सूबे में मुस्लिम समाज काला दिवस मना रहा है उससे साफ हो गया है कि मौलाना खालिद मुजाहिद की हत्या सपा सरकार के लिए ताबूत में अंतिम कील साबित होगी.

वक्ताओं ने कहा कि उत्तर प्रदेश का मुसलमान अब समाजवादी पार्टी के शासन में हुए 27 दगों, आतंकवाद के नाम पर कैद निर्दोषों को छोड़ने के वादे से मुकरने और सीओ जिआ-उल-हक़ और अब खालिद की हत्या के बाद सपा के असली सांप्रदायिक चेहरे को पहचान गया है. इसलिए अब  मुलायम सिंह को प्रधानमंत्री बनने का सपना देखने के बजाय 2014 के लोक सभा चुनाव में सपा उम्मीदवारों की ज़मानत बचाने की चिंता करनी चाहिए.

indefinite dharna at Vidhan Sabha demanding arrest of police officers involved in Khalid Mujahid's murder

धरने में मौजूद नेशनल लोकतांत्रिक पार्टी के राष्ट्रीय संगठन सचिव चौधरी चंद्रपाल सिंह जिन्होंने तारिक कासमी और खालिद मुजाहिद के एसटीएफ द्वारा अगवा कर लिये जाने के खिलाफ 22 दिसम्बर 2007 को आज़मगढ़ में आत्मदाह की धमकी दी थी, जिसके बाद आनन-फानन में एसटीएफ ने दोनों की बाराबंकी से फर्जी गिरफ्तारी दिखा दी थी, ने कहा कि समाजवादी पार्टी अब संघ परिवार के गोद में बैठ गयी है. इसीलिये वह प्रदेश में अब गुजरात की तरह जहां इशरत जहां जैसे मासूमों को आतंकवादी बता कर मारा गया यहां भी खालिद मुजाहिद की हत्या करवायी गयी ताकि साम्प्रदायिक हिंदु वोटों की फसल काटी जा सके.

बाराबंकी में खालिद मुजाहिद के वकील रहे रणधीर सिंह सुमन ने कहा कि पुलिस ने तारिक और खालिद को गैर कानूनी तरीके से गिरफ्तार किया था, जो संविधान के खिलाफ है. इसलिये आतंकवादी खालिद मुजाहिद नहीं वे पुलिस अधिकारी हैं जो देश के संविधान के खिलाफ जाकर निर्दोषों को फंसाने का काम करते हैं.

खालिद की हत्या का षणयंत्र रचने वाले विक्रम सिंह को गिरफ्तार करो, खालिद के मुंह में पेशाब करने वाले पुलिस अधिकारी अमिताभ यश को मिरफ्तार करो, सपा के मुस्लिम विधायकों शर्म करो, सत्ता के दलाल उलेमा मुर्दाबाद जैसे नारों के बीच रिहाई मंच ने सपा के मुस्लिम विधायकों एवं मंत्रीयों से 16 सवाल पूछे हैं. जिसका जवाब न देने पर उनके घरों के घेराव का एलान किया.

इन सवालों में प्रमुख तौर पर निमेष कमीशन की रिपोर्ट को विधान सभा में नहीं उठाने की वजह, खालिद की हत्या के बावजूद विधान सभा की सदस्यता से इस्तीफा न देने की वजह, बाटला हाउस के सवाल पर संसद में सपा की चुप्पी पर अपनी स्थिति स्पष्ट करने समेत 16 सवाल पूछे हैं.

कल चौथे दिन धरने में पूर्व सांसद और वरिष्ठ माकपा नेता सुभाषिनी अली, नेलोपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मो अरशद खान, इंडियन नेशनल लीग के राष्ट्रीय अध्यक्ष मो सुलेमान, एसआईओ के राष्ट्रीय सचिव शारिक इत्यादि भी शामिल होंगे.

आज धरने को रिहाई मंच के अध्यक्ष मो. शुऐब, नेलोपा प्रदेश प्रभारी चौधरी मेहरबान अली, टीपू सुल्तान, भारतीय एकता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष सैयद मोईद अहमद, एसआईओ के मो आसिफ, शाने इलाही, रिहाई मंच के इलाहाबाद जोन के प्रभारी राघवेंद्र प्रताप सिंह, तारिक शफीक, मुस्लिम संघर्ष मोर्चा के आफताब खान, हाजी मो फहीम, इलाहाबाद विश्वविद्यालय के अनिल आजमी, मो आरिफ, हरे राम मिश्रा, राजीव यादव, शाहनवाज आलम, भास्कर चंद उपाध्याय, योगेंद्र यादव इत्यादि ने संबोधित किया.

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