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कहा-सुना बहुत लेकिन कब आएं कब गए शाहरूख पता नहीं!

Shailendra Singh for BeyondHeadlines  

बॉलीवुड के बादशाह शाहरूख खान के जीवन से जुड़े किस्से कहानियां आज भी लोगों के बीच उत्सुकता पैदा करते हैं. फिर चाहे वह उनके दिल्ली विश्वविद्यालय में गुजरे पल हो या फिर जामिया मिल्लिया इस्लामिया से जुड़ी यादें… जामिया में अपने सीनियर रहे शाहरूख से जुड़ी कई कहानियों की पड़ताल जब एक पूर्व छात्र ने की तो विश्वविद्यालय ने कुछ ऐसा जवाब दिया कि मानो शाहरूख कब आएं और कब गए उन्हें पता ही न हो.

जानकार हैरानी तो होगी लेकिन सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत बॉलीवुड के बादशाह से जुड़ी जानकारी देने को विश्वविद्यालय संसाधनों का बेजा इस्तेमाल मानता है और उसका कहना है कि जामिया एक केन्द्रीय विश्वविद्यालय है और यहां हर साल हज़ारों छात्र दाखिला लेते हैं, पढ़ाई पूरी कर निकल जाते हैं.

RTI story on Shahrukh khan

विश्वविद्यालय से शाहरूख खान से जुड़ी जानकारी एजेके मास कम्यूनिकेशन एंड रिसर्च सेन्टर से मास्टर्स इन मास कम्युनिकेशन की डिग्री पाने वाले अफ़रोज़ आलम साहिल ने मांगी. अफ़रोज़ ने बताया कि उनकी उत्सुकता की वजह लगातार सेंटर के शिक्षकों द्वारा शाहरूख को ब्रांड इमेज़ के तौर पर पेश करना और फिर जब कभी छात्रों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की बात आती है तो यह बताया जाता कि हमने तो कम हाजिरी के चलते शाहरूख को भी नहीं छोड़ा, तुम क्या चीज़ हो.

अफरोज ने बताया कि सेन्टर में प्रचलित इन्हीं किस्से-कहानियों की पड़ताल की इच्छा मन में जागी तो उन्होंने आरटीआई का सहारा लिया. लेकिन जवाब आया तो विश्वविद्यालय की जन सूचना अधिकारी मिनी एस थॉमस ने शाहरूख की कम हाज़िरी, उसपर हुई अनुशासनात्मक कार्रवाई और उसके द्वारा तैयार वीडियो-फिल्म की जानकारी देने को संसाधनों का बेजा इस्तेमाल क़रार दिया. उन्होंने अपने जवाब में कहा कि वीडियो-फिल्म इंटलेक्चुअल प्रोपर्टी है जो हम हर किसी को नहीं दे सकते हैं. इसके अलावा तमाम जानकारी न देने के मामले में विश्वविद्यालय ने आरटीआई की धारा- 8 (जे) का भी हवाला दिया, जिसके तहत किसी व्यक्ति से जुड़ी पर्सनल जानकारी न देने की बात आती है. अफरोज़ कहते हैं कि आज के दौर में शाहरूख खान एक पब्लिक फिगर हैं और उनके जामिया में बिताए पल कहां से पर्सनल जानकारी के तहत आते हैं यह समझ से परे हैं.

इस बाबत जब एजेके मास कम्यूनिकेशन एंड रिसर्च सेन्टर के डायरेक्टर प्रो. एम. ओबैद सिद्दीकी से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि शाहरूख उनके छात्र रहे हैं और सेन्टर की शुरूआत के पहले दो-तीन बैच में शायद उनका दाखिला हुआ होगा. विश्वविद्यालय जो जानकारी देने से परहेज़ कर रहा है उसके बारे प्रो. सिद्दीकी ने बताया कि शाहरूख को कम हाज़िरी के चलते अनुशासनात्मक कार्रवाई का शिकार होना पड़ा था और इसके पीछे की वजह फौजी सीरियल की शूटिंग में उनका व्यस्त होना था. प्रो. सिद्दीकी कहते हैं शाहरूख आज भले ही कुछ हो लेकिन उस समय तो एक छात्र ही था. हालांकि अंत में प्रो सिद्दीकी यह भी कहते हैं कि पढ़ाई पूरी की या नहीं की इससे आज शाहरूख खान को क्या फर्क पड़ता है.

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