BeyondHeadlines News Desk
लखनऊ : खालिद मुजहिद के हत्यारोपी पुलिस अधिकारियों की गिरफ्तारी, निमेष कमीशन की रिपोर्ट को जारी करने, और आतंकवाद के नाम पर कैद निर्दोष मुस्लिम नौजवानों को तत्काल छोड़ने समेत ग्यारह सूत्री माग को लेकर चल रहा रिहाई मंच का अनिश्चित कालीन धरना आज नवें दिन भी जारी रहा. धरने से आज सोशलिस्ट फ्रंट के नेता मोहम्मद आफाक और हाजी फहीम सिद्दिकी ने मौलाना खालिद के कत्ल के बाद की तस्वीरें बैनर के तौर पर जारी कीं और कहा कि सूबे के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव कहते हैं कि खालिद की मौत बीमारी से हुई थी तो अखिलेश बताएं कि मौलाना के चेहरे और शरीर पर जो खून के धब्बे हैं वो कहां से आए. मंच ने कहा कि जिस तरह सूबे की सरकार चुप्पी नहीं तोड़ रही है, कभी दलाल मुस्लिम नेताओं का सहारा ले रही है तो कभी उलेमाओं का. ऐसे में हम खालिद के कत्ल के बाद की तस्वीरें पोस्टर और बैनर के रुप में पूरे सूबे में लगवाएंगे, जिससे आवाम जाने कि सपा सरकार ने किस तरह मौलाना खालिद का कत्ल करवाया.
धरने से आज मथुरा के बसहना तहसील के हथिया गांव के बाबूदीन पुत्र ममरोज की पुलिस द्वारा गांव की मस्जिद में की गयी हत्या को सरकार के मुस्लिम विरोधी एजेंडे का एक और नजीर बताते हुये दोषी पुलिस अधिकारियों की गिरफ्तारी की मांग करते हुये पूरी घटना की जांच कराने और पीडि़त परिवार को मुआवजा देने की मांग की गयी.
रिहाई मंच ने कहा कि मीडिया माध्यमों से जिस तरह की खबरें आ रहीं हैं कि सरकार ने सीबीआई जांच को लेकर जो दस्तावेज भेजे थे वो महज कोटा पूर्ती था, यह साफ करता है कि सरकार किसी भी तरह से इस मौत का राज आवाम के सामने नहीं लाना चाहती. कभी वो सूबे से बाहर के सपा के दलाल मुस्लिम नेताओं को तो कभी उलेमाओं के माध्यम से खालिद की मौत की हकीकत को छुपाना चाहती है.
अनिश्चित कालीन धरने के समर्थन में जयपुर से आईं मानवाधिकार संगठन पीयूसीएल की राष्ट्रीय सचिव कविता श्रीवास्तव ने कहा कि आज आईबी के निशाने पर आतंकवाद के नाम पर आजमगढ़, जौनपुर, दरभंगा, बीड, धारवाड़, भटकल समेत छोटे-छोटे शहर जहां मुसलमान आबादी अच्छी तादात में है से बेगुनाह मुस्लिम नौजवानों को पकड़कर इन शहरों को बदनाम करके वहां सांप्रदायिक ध्रुवीकरण कराया जा रहा है. जिससे पहले से ही कमजोर मुस्लिम समाज और भी ज्यादा अलगाव में चला गया है. श्रीवास्तव ने आगे कहा कि आज खालिद और तारिक की गिरफ्तारी पर गठित आरडी निमेष आयोग की रिपोर्ट देश की ऐसी पहली रिपोर्ट है जो इस बात का खुलासा कर रही है कि आईबी देश की सुरक्षा एजेंसियों के साथ मिलकर कैसे बेगुनाह मुसलमानों को आतंकवाद के नाम पर झूठा फंसाती है. सपा सरकार द्वारा निमेष कमीशन की रिपोर्ट का न जारी करना सपा सरकार की मुस्लिम विरोधी नीति को उजागर करता है. जो समाजवाद नहीं मोदीवाद है.
धरने को संबोधित करते हुए कर्नाटक से आए एसआईओ के राष्ट्रीय अध्यक्ष अशफाक शरीफ ने कहा कि खालिद मुजाहिद की हत्या जिन्हें निमेष कमीशन रिपोर्ट ने बेगुनाह करार दे दिया था यह साबित करती है कि मुसलमानों ने जिस सपा को भरोसा करके हुकूमत तक पहुंचाया वह सिर्फ वादा खिलाफ नहीं बल्कि वह मुसलमानों का कत्ल कर देने पर आमादा हो गई है. जिसका गवाह खालिद मुजाहिद का कत्ल ही नहीं एक साल में हुए 27 दंगे भी हैं.
एसआईओ के राष्ट्रीय सचिव मसीहुज्जमा ने कहा कि मौलाना खालिद की बेगुनाही को लेकर पिछले 6 सालों से आंदोलन चल रहा है और अगस्त 2012 में उनको बेगुनाह साबित करने वाली निमेष कमीशन की रिपोर्ट ने भी इस बात को प्रमाणित कर दिया. निमेष कमीशन की रिपोर्ट जिसे छह महीने में ही सार्वजनिक कर देना था उसका न किया जाना और फिर खालिद की हत्या हो जाना इस बात की तस्दीक है कि इस हत्या में हुकूमत संलिप्त है.
मुस्लिम संघर्ष मोर्चा के आफताब खान और अबूजर ने कहा कि हम खालिद के चचा जहीर आलम फलाही द्वारा सरकार द्वारा दिए जाने वाला मुआवजे को लौटाने का स्वागत करते है जो उन दलाल उलेमाओं के मुंह पर तमाचा है जो खालिद के इंसाफ की इस लड़ाई में दलाली करने में लगे थे.
29 मई की शाम लखनऊ शहर के बुद्धिजीवियों ने खालिद मुजाहिद के हत्यारों को गिरफ्तार करने व आरडी निमेष आयोग की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की मांग को लेकर जीपीओ हजरतगंज में एक कैंडिल लाइट प्रोटेस्ट भी किया.
रिहाई मंच ने अपील की कि सांप्रदयिकता के खिलाफ लड़ने वाले देश के तमाम बुद्धिजीवी, नेता व सामाजिक कार्यकर्ता खालिद के मुजाहिद के साथ हुए अन्याय के खिलाफ न्याय के लिए इस मुहीम में शामिल हों.
धरने का संचालन एसआईओ नेता साकिब ने किया. धरने को रिहाई मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शुएब, आदियोग, असद हयात, इमरान सिद्दिकी, जुबैर जौनपुरी, एहसानुल हक मलिक, सैयद मोईद, दानिश आजमी, आईएनएल के मोहम्मद समी, आइसा के नितीश, आजमगढ़ के अरशद, प्रबुद्ध गौतम, जैद फारुकी, हरेराम मिश्रा, आफताब अहमद, सादिक अली, आसिफ सैफ, शहनवाज आलम और राजीव यादव ने संबोधित किया.
