BeyondHeadlines News Desk
लखनऊ : मौलाना खालिद मुजाहिद के हत्यारे पुलिस अधिकारियों की गिरफ्तारीए निमेष आयोग की रिपोर्ट पर तत्काल अमल करने और आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाह मुस्लिम नौजवानों को छोड़ने की मांग के साथ चल रहा रिहाई मंच का अनिश्चितकालीन धरना आज 39वें दिन भी जारी रहा. आज धरने में इंडियन नेशनल लीग की सैकड़ों महिला कार्यकर्ता शामिल हुईं. उपवास पर मौलाना क़मर सीतापुरी बैठे.
कचहरी बम धमाकों में फर्जी तरीके से फंसाए गए आज़मगढ़ के तारिक़ कासमी के चचा हाफिज फैयाज आज़मी ने आज ‘‘विवेचना की धांधलियों को परत दर परत खोलती गोरखपुर सीरियल ब्लास्ट पर रिहाई मंच की रिपोर्ट’’ को जारी करते हुए कहा कि जब मेरे बेटे को बेगुनाह मानते हुए सरकार मुक़दमा वापसी की बात कह रही है तो आज हम सरकार से मांग करते हैं कि वो गोरखपुर समेत फैजाबाद, लखनऊ, बाराबंकी के सभी मामलों की पुर्नविवेचना कराए, जिससे साफ हो सके कि असली गुनहगार कौन हैं.
हमारा मकसद तारिक़ कासमी और दूसरे बेगुनहों को बरी करा लेना ही नहीं है, बल्कि पूरी दुनिया के सामने साबित करना है कि हुकूमत के नियंत्रण में काम करने वाली एजेंसियां मुसलमानों को झूठा फंसाकर उन पर जुल्म कर रही हैं.
इंडियन नेशनल लीग के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुहम्मद सुलेमान और रिहाई मंच के अध्यक्ष मो0 शुऐब कहा कि गोरखपुर सीरियल ब्लास्ट हो या फिर कानपुर में बजरंग दल के कार्यताओं द्वारा बम बनाते हुए फटने का मामला हो ये सभी प्रकरण साफ कर रहे हैं कि देश में सिर्फ गुजरात में किसी एक मोदी के राज में ही नहीं बल्कि पूरे देश में हिन्दुत्वादी आतंकी संगठन और खुफिया एजेंसियों साथ मिलकर इस जम्हूरियत को नेस्तानाबूद कर देना चाहती हैं. जिस तरह से इशरत जहां मामले में मोदी का नाम आ रहा है उसने साफ कर दिया है कि ये लोग पूरे देश में आतंरिक युद्ध संचालित कर रहे हैं.
ऐसे में जब सवाल यूपी में हुई आतंकी घटनाओं पर उठता है और उनमें भी हिन्दुत्वादी आतंकी संगठनों, आईबी और एटीएस का रोल सामने आ रहा हो तो सपा सरकार को छिछली राजनीति से ऊपर उठकर देश की सुरक्षा के सवाल पर इन सभी घटनाओं की पुर्नविवेचना करानी चाहिए. क्योंकि पुर्नविवेचना ही वो तरीका है जिससे सरकार ने जो बेगुनाहों को छोड़ने का वादा किया है उसे भी पूरा कर सकती है और दूसरे आतंकी वारदातों को अंजाम देकर देश को तोड़ने की कोशिश करने वाले असली गुनहगारों को भी पकड़ सकती है.
अवामी काउंसिल के महासचिव असद हयात ने जांच एजेंसियों पर मुस्लिम विरोधी हाने का आरोप लगाते हुए कहा कि गोरखपुर सीरियल ब्लास्ट मामले में तारिक़ कासमी समेत सैफ, सलमान, मिर्जा शादाब बेग को झूठी कहानी और झूठे साक्ष्य गढ़कर फंसाया गया, जिसका मक़सद उन हिन्दुत्वादी सांप्रदायिक तत्वों को बचाना था, जो इस पूरे मामले के असल अभियुक्त हैं.
आज यह रिपोर्ट स्पष्ट कर रही है कि कोई भी ऐसा चश्मदीद गवाह नहीं है जिसने किसी भी व्यक्ति को गोरखपुर के तीनों स्थलों पर साइकिलें खड़ी करते हुए और उसने उन्हीं साइकिलों से विस्फोट होते हुए देखा था. पुलिस द्वारा घटना के बाद जो स्केच जारी किए गए और जिनका प्रकाशन हुआ वो किसकी चश्मदीद गवाही और शिनाख्त के बाद बनाए गए थे, वो किसके थे यह मुक़दमें के किसी भी रिकार्ड से साबित नहीं है.
उन्होंने इसी तरह इस मामले के अहम गवाह मरहूम मौलाना अफजालुल हक़ का बयान कि तारिक कासमी 21 मई की शाम को उनके मदरसे में दो अन्य के साथ साइकिलें लेकर आया था, भी विश्वसनीय नहीं है. राजू उर्फ मुख्तार जिसको सैफ बताया जा रहा है और छोटू जिसको सलमान बताया जा रहा है, इस पूरे मामले में पुलिस द्वारा दो गढ़े गए व्यक्ति हैं.
पहले आफताब आलम अंसारी को राजू उर्फ मुख्तार बताया जा रहा था परंन्तु लखनऊ न्यायालय द्वारा यह नहीं माना गया और आफताब को बरी कर दिया गया. वाराणसी कचहरी विस्फोट के मामले में सैफ को अभियुक्त बनाया गया था और मुक़दमे में उस पर यह आरोप था कि उसी ने राजू उर्फ मुख्तार नाम रखकर धमाके किए परन्तु विवेचना के दौरान ही यह कहानी दम तोड़ गई और सबूत के अभाव में विवेचक द्वारा अन्तर्गत धारा 169 सैफ को बरी कर दिया गया.
तारिक़ कासमी जो कथित इकबालिया बयान दिनांक 22 दिसंबर 2007 पुलिस बताती है, वह निमेष आयोग द्वारा फर्जी क़रार दिया जा चुका है. इस पूरे मामले में कोई सीधा और परिस्थितिजन्य साक्ष्य पुलिस के पास नहीं है.धमाके कैसे हुए और इसकी किस तरह तैयारियां की गईं इस संबन्ध में जो तारिक़ और सलमान के बयान पुलिस रिकार्ड में हैं वो सभी परस्पर विरोधी हैं.
तारिक़ कासमी सलमान और सैफ की कोई शिनाख्त परेड तथाकथित गवाहों के सामने नहीं कराई गई बल्कि तारिक़ कासमी का फोटो दिखाकर साइकिल विक्रेताओं के झूठे बयान लिख लिए गए.
इंडियन नेशनल लीग के प्रदेश अध्यक्ष एडवोकेट मोहम्मद समी और हाजी फहीम सिद्दीकी ने कहा कि इस जालिम हुकूमत की वादा-खिलाफी की वजह से जेल में बंद हम अपने बेगुनाह भाइयों से रिहाई मंच के इस धरने से कहना चाहेंगे कि लू के थपेड़ों से शुरु हुए इस आंदोलन में जिस तरह से आज इस बरसात और उमस के दौर में लखनऊ की गलियों से निकलकर महिलाएं शिरकत कर रही हैं वो साफ कर रहा है कि जेलों में बंद हमारे बेगुनाह बच्चों की लड़ाई लड़ने को उनकी माताएं-बहने अब सड़क पर उतर चुकी हैं.
हम साफ कर देना चाहते हैं कि चाहे वो भारत की आजादी का आंदोलन रहा हो या फिर विभिन्न देशों में हुई क्रांतियां… सबके इतिहास के पन्ने इस बात की गवाही करते हैं कि जब आधी दुनिया (महिलाएं) सड़क पर उतर जाती हैं, तो बड़ी-बड़ी जालिम हुकूमतों को नेस्तानाबूद कर देती हैं. आज वो तहरीक यूपी के संड़कों पर शुरु हो गई है.
आज रिहाई मंच के धरने का संचालन सोशलिस्ट फ्रंट के मो0 आफाक ने किया. आज ‘‘विवेचना की धांधलियों को परत दर परत खोलती गोरखपुर सीरियल ब्लास्ट पर रिहाई मंच की रिपोर्ट’’ मुख्यमंत्री को भेजते हुए जैद अहमद फारुकी, डॉ. जमील अहमद अंसारी, पीसी कुरील, एहसानुल हक मलिक, शफात अली, शिवनारायण कुशवाहा, तहसीन, रईस जहां, भवरनाथ पासवान, नूर जहां, कैसर जहां, रुबीना, शुऐब, रहमतुन, जुबैर जौनपुरी, सायरा, जैनबख् तबस्सुम, रफी, साइमा, फैज, सालिहा, शहजादे मंसूर, रुखसार, कानपुर से आशा कटियार, रेखा मिश्रा, नजमा, सलमा, असगरी, उज्मा, हासमी, सालिहा, मुजीबुन मुन्ना खां, मुहम्मद रफीक, उस्मान अली, अली मुशीर जैदी, जाहिद, शन्नो, जीनत, अफरोज, हसीना, कनीज, सीबा, नसरीन बानो, तौहीदा, प्रबुद्ध गौतम, शाहनवाज आलम और राजीव यादव
मौजूद थे.