India

कानून के राज के लिए दोषी पुलिस अधिकारियों की गिरफ्तारी ज़रुरी

BeyondHeadlines News Desk

लखनऊ : मौलाना खालिद मुजाहिद के हत्यारे पुलिस व आईबी अधिकारियों की गिरफ्तारी, आरडी निमेष आयोग की रिपोर्ट पर सरकार एक्शन टेकन रिपोर्ट जारी कर दोषी पुलिस व आईबी के अधिकारियों को गिरफ्तार करने और आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाहों को तत्काल रिहा करने की मांग को लेकर रिहाई मंच का अनिश्चित कालीन धरना सोलहवें दिन भी जारी रहा. आज क्रमिक उपवास पर आज़मगढ़ रिहाई मंच के नेता आरिफ नसीम, पूर्वांचल छात्र संगठन के अध्यक्ष मिर्जा शाने आलम बेग और अबू साद बैठे.

धरने को संबोधित करते हुए भाकपा माले के वरिष्ठ नेता व इंकलाबी मुस्लिम कांफ्रेंस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मोहम्मद सलीम ने कहा कि जब किसी बेगुनाह युवक चाहे वो खालिद-तारिक हों या फिर दरभंगा के फसीह महमूद का सवाल हो तब उनकी रिहाई पर चाहे प्रदेश की सपा सरकार हो या फिर केन्द्र की कांग्रेस

Arrest of guilty police officers is must for Law & Order

सरकार सबको देश में सांप्रदायिकता बढ़ने का खतरा सताने लगता है. पर किसी लाल कृष्ण आडवाणी या वरुण गांधी पर से मुकदमा हटाने का सवाल हो तब उन्हें सांप्रदायिकता बढ़ने का ख़तरा नहीं सताता. जिस वरुण ने पीलीभीत में मुसलमानों को बीमारी कहा था उसको सपा के ही एक मंत्री रियाज़ अहमद और वहां के एसपी ने किस तरह सांठ-गांठ करके मुक़दमा हटवाया वह हमारे सामने है. जब भी किसी निर्दोष के छूटने की आस बड़ती है तो सपा के ही लोग अदालतों में जनहित याचकाएं दाखिल कर देते हैं जो स्वीकार भी हो जाती हैं. जो साबित करता है कि सपा किसी भी हद तक जाकर बेगुनाहों को रिहा नहीं करना चाहती.

उन्होंने कहा कि मुलायम सिंह बिजली के ऐसे नंगे तार हैं जिन्हें दोस्ती में छूने पर भी जान चली जाती है. खालिद मुजाहिद की हत्या इसी का उदाहरण है.

धरने के समर्थन में केरल से आए सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया के नेता नौशाद ने कहा कि यूपी की सपा हुकूमत हो या दिल्ली या केरल की कांग्रेस हुकूमत आतंकवाद के नाम पर निर्दोष मुस्लिम नौजवानों की गिरफ्तारी और उत्पीड़न पर सभी सरकारें अपना आपसी मतभेद भुलाकर एक ही तरह की मुस्लिम विरोधी एजेंडे पर चलती हैं. इसीलिए किसी मौलाना खालिद मुजाहिद की यूपी में हुई हत्या और कांग्रेस शासन में पुणे की यर्वदा जेल में हुई क़तील सिद्दीकी की हत्या सब एक जैसी दिखती हैं.

वहीं मणीपुर से आए सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया के नेता रफी शाह ने कहा कि भारत के लोकतांत्रिक ढांचे पर आज सबसे ज्यादा प्रहार काले कानूनों के ज़रिए किया जा रहा है. सरकारों को पुलिस के मनोबल गिरने की ज्यादा चिन्ता है पर जनता के मनोबल की नहीं. आज इरोम शर्मीला पिछले एक दशक से ज्यादा समय से जनता के मनोबल, उसके लोकतांत्रिक अधिकारों की लड़ाई लड़ रही है. वही हाल यूपी का भी है जहां खालिद के हत्यारे पुलिस वालों को बचाने के लिए खालिद को न्याय से वंचित किया जा रहा है. आज इन बेगुनाहों की रिहाई का यह आंदोलन लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा का आंदोलन बन गया है.

रिहाई मंच के महासचिव और पूर्व पुलिस महानिरिक्षक एसआर दारापुरी ने कहा कि निमेष कमीशन की रिपोर्ट कानून के राज की बात करती है. इसीलिए निमेष कमीशन ने साफ कहा है कि दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाई हो. निमेष कमीशन की रिपोर्ट के दोषी पुलिस अधिकारियों पर पहले से भी खालिद मुजाहिद की हत्या का मुक़दमा दर्ज है. ऐसे में हत्या चाहे वो किसी ने किया हो चाहे वो पुलिस के उच्च अधिकारी ही क्यों न हो उनकी गिरफ्तारी होनी ज़रुरी है. क्योंकि ऐसा न होने से प्रदेश में अराजकता की स्थिति उत्पन्न हो जाएगी, और कानून का राज स्थापित करने वाले ही कानून तोड़ने लगेंगे. इसलिए प्रदेश की कानून व्यवस्था को बरकरार रखने के लिए आंतकवाद के नाम पर झूठे तरीके से तारिक-खालिद को फंसाने वाले और फिर खालिद का कत्ल करने वाले दोषी पुलिस अधिकारियों की गिरफ्तारी सुनिश्चित करानी चाहिए.

आज़मगढ़ से आए पूर्वांचल छात्र संगठन के अध्यक्ष मिर्जा शाने आलम बेग ने कहा कि तारिक-खालिद के इंसाफ की लड़ाई आज़मगढ़ से शुरु हुई थी और इनकी बेगुनाही का सबूत निमेष कमीशन की जिस रिपोर्ट को अखिलेश सरकार ने दबाए रखा और फिर हत्या करवा दी, इस सरकार ने मुसलमानों के पीठ में छूरा भोंकने का काम किया है.

रिहाई मंच के प्रवक्ताओं ने बताया कि जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय दिल्ली के रिवोल्यूशनरी कल्चरल फ्रंट अनिश्चित कालीन धरने के समर्थन में विधान सभा धरना स्थ्ल पर 8 जून 2013 शनिवार को बाटला हाउस फर्जी मुठभेड़ कांड पर आधारित ‘बाटला हाउस’ नाटक का मंचन करेगा. 8 जून को ही सांप्रदायिकता विरोधी अभियान से जुड़ी मानवाधिकार नेता शबनम हासमी और मानषी भी धरने के समर्थन में आएंगी.

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