आदिवासियों के मन में यह बात बैठ गई है कि इस देश में उन्हें सिर्फ नक्सली ही न्याय दिला सकते हैं

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Himanshu Kumar for BeyondHeadlines

अभी अख़बार में पढ़ा कि कल एर्राबोर के नज़दीक सोयम मुका को गोली मार दी गई. कौन था यह सोयम मुका?

मेरे पास एक बार एक आदिवासी लड़की माडवी हिड़मे आयी. उसने मुझे बताया कि क्योंकि उनके गाँव में बार बार सलवा जुडूम के हमले होते थे. तथा सलवा जुडूम वाले घर में रखा पैसा गहने आदि लूट लेते थे. इसलिये वह अपनी मजदूरी का पांच हज़ार और उसके पिता ने दो भैंस बेच कर बीस हज़ार रूपये उसे दिये थे ताकि वह उन्हें ले जाकर सलवा जुडूम से बाहर रहने वाले उसके चाचा के यहाँ सुरक्षित रख दे.

हिड़मे जब कोंटा के बस स्टेंड पर पहुँची तो कोंटा का सलवा जुडूम का अध्यक्ष सोयम मुका, अपने साथी बोड्दू राजा व अन्य साथियों के साथ वहाँ घूम रहा था. उसने इस लड़की को वहाँ देखा तो वह इस लड़की के पास आया और पूछा कि तुम किस गाँव की हो और कहाँ जा रही हो? हिड़मे सोयम मुका को पहचानती थी. इसने उसे सब बताया. सोयम मुका ने कहा कि इस लड़की को लेकर थाने चलो हमें इस से पूछताछ करनी है.

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इन लोगों ने हिड़मे को थाने में बंद कर दिया. सोयम मुका ने हिड़मे के सारे रूपये छीन लिये. हिड़मे के साथ रात को तीन पुलिस अधिकारियों ने थाने के उस कमरे में सामूहिक बलात्कार किया. अगले दिन हिड़मे ने थानेदार को सब बताया और हिड़मे ने थानेदार से कहा कि अब मैं सलवा जुडूम कैम्प में ही रहूंगी. कहीं भागूंगी नहीं आप मुझे इस कैम्प में रहने वाले मेरे गाँव वालों के साथ रहने दीजिए. थानेदार ने अपने पुलिस कर्मियों को इस लड़की की पहरेदारी करने का आदेश दिया और इसे सलवा जुडूम कैम्प में पहले से रहने वाले हिड़मे के गाँव के लोगों के साथ रहने की अनुमति दे दी.

यहाँ हिड़मे पर कड़ी नज़र रखी जाती थी. एक सप्ताह बाद साप्ताहिक बाज़ार में भीड़ में छिप कर हिड़मे सलवा जुडूम कैम्प से निकल भागने में सफल हो गई. वहाँ से हिड़मे भाग कर कुछ दूर आंध्र प्रदेश में रहने वाली अपनी परिचित के घर में जाकर छिप गई. कुछ समय बाद उस परिचित के पुत्र के साथ हिड़मे का विवाह करा दिया गया.

लेकिन कुछ दिन बाद ही सोयम मुका अपने साथियों बोद्दु राजा और अन्य साथियों को लेकर छत्तीसगढ़ और आन्ध्र प्रदेश की सीमा पर बसे हिड़मे के गाँव में जीप में भर कर सरकारी बंदूकें लेकर पहुँच गये. सोयम मुका ने हिड़मे के पति से कहा कि इस लड़की हिड़मे को तो हम बेच कर पैसा कमाना चाहते थे लेकिन तुमने इसके साथ शादी करके हमारे बहुत नुक्सान कर दिया. अब तुम हमारे नुक़सान की भरपाई करो. हिड़मे का पति गरीब था उसने पड़ोसियों से मांग कर तीन हज़ार रूपये, दो बकरे और पांच मुर्गियाँ सोयम मुका और उसके साथियों को दी. यह सब वसूल करने के बाद सोयम मुका ने हिड़मे के पति से कहा कि अब हम तेरी पत्नी को कुछ नहीं करेंगे.

लेकिन कुछ ही दिनों बाद सलवा जुडूम के लोग फिर हिड़मे के गाँव में हिड़मे को पकड़ने के लिये आ गये. गाँव वालों ने हिड़मे को पहले ही सूचित कर दिया. हिड़मे पड़ोसियों के यहाँ छिप गई. उसके बाद सोयम मुका के नीचे काम करने वाले पुलिस अधिकारी हिड़मे के अपहरण की कोशिश बार बार करते रहे. हिड़मे ने अपने घर में रहना बंद कर दिया था वह और उसका पति अब रोज़ घर बदल कर छिप कर रहते थे.

इस सब से परेशान होकर हिड़मे ने हमारी मदद लेने का फ़ैसला किया. हमने हिड़मे की शिकायत पुलिस अधीक्षक को लिख कर भेजी. पुलिस अधीक्षक तो सोयम मुका का दोस्त था. इसलिये पुलिस अधीक्षक ने हिड़मे की शिकायत का कोई जवाब ही नहीं दिया.

इस मामले को नंदिनी सुन्दर ने सर्वोच्च न्यायालय को सौंपा. सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार से जवाब माँगा. सरकार ने जवाब दिया कि चूंकि जिस सोयम मुका पर आरोप लगाया गया है वह सलवा जुडूम का नेता है. और क्योंकि सलवा जुडूम नक्सलियों के खिलाफ चलाया जाने वाला एक आंदोलन है. और चूंकि यह लड़की सलवा जुडूम को बंद करवाना चाहती है इसलिये इसने सोयम मुका पर यह आरोप लगाया गया है.

हिड़मे के साथ हुए इस बलात्कार के मामले में पुलिस ने कोई जांच ही नहीं करी. और आरोपी की हैसियत के कारण ही उसे निर्दोष मान लिया गया. हमें इस बात पर बहुत गुस्सा आया कि सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार की इस गैरकानूनी दलील को स्वीकार कर लिया.

हम हिड़मे को लेकर दंतेवाड़ा की अदालत में गये. अदालत ने सोयम मुका और बोदू राजा के खिलाफ वर्णत जारी किया लेकिन सरकार ने कोर्ट में झूठ बोल दिया कि सोयम मुका और और बोद्दु रजा फरार हैं. और इनके मिलने की अब कोई आशा नहीं है. लेकिन सोयम मुका ने मेधा पाटकर और अन्य सामाजिक कार्यकर्ताओं के दंतेवाड़ा आगमन पर पुलिस अधीक्षक अमरेश मिश्रा के साथ खड़े होकर कीचड, अंडे और पत्थर फेंके थे.

वह पुलिस अधीक्षक अभी राष्ट्रपति की सुरक्षा में तैनात हैं. बोद्दु राजा सुकमा जिला पंचायत का उपाध्यक्ष है और सोयम मुका सलवा जुडूम का नेता बन कर नई लड़कियों के साथ बलात्कार करते घूमता रहा.

लेकिन अभी तीन दिन पहले नक्सलियों ने सोयम मुका को मार डाला. हांलाकि हम तो चाहते थे सोयम मुका को इस देश की अदालत दंड दे, ताकि आदिवासियों की आस्था इस देश के कानून और व्यवस्था में और अधिक मज़बूत हो.
लेकिन अदालत और सरकार ने कानून को हरा दिया और नक्सलियों को जीता दिया. इससे अब आदिवासियों के मन में यह बात और मज़बूती से बैठ गई होगी कि इस देश में उन्हें सिर्फ नक्सली ही न्याय दिला सकते हैं.

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