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Reading: राज्यद्रोही पुलिस अधिकारियों को सरकार क्यों नहीं जेल भेज रही है?
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BeyondHeadlines > India > राज्यद्रोही पुलिस अधिकारियों को सरकार क्यों नहीं जेल भेज रही है?
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राज्यद्रोही पुलिस अधिकारियों को सरकार क्यों नहीं जेल भेज रही है?

Beyond Headlines
Beyond Headlines Published June 4, 2013
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5 Min Read
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BeyondHeadlines News Desk

लखनऊ : मौलाना खालिद मुजाहिद के हत्यारे पुलिस व आईबी अधिकारियों की गिरफ्तारी, आरडी निमेष आयोग की रिपोर्ट पर सरकार एक्शन टेकन रिपोर्ट जारी कर दोषी पुलिस व आईबी के अधिकारियों को गिरफ्तार करने और आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाहों को तत्काल रिहा करने की मांग को लेकर रिहाई मंच का अनिश्चित कालीन धरना चौदहवें दिन भी जारी रहा. आज क्रमिक उपवास पर सोशलिस्ट फ्रंट के मोहम्मद आफाक और स्मार्ट पार्टी के हाजी फहीम सिद्दीकी बैठे.

रिहाई मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शुऐब ने कहा कि जिस तरह से सरकार ने आज आधे-अधूरे मन से आर.डी. निमेष रिपोर्ट को सार्वजनिक किया, वह बताता है कि सरकार इस रिपोर्ट को दबाए रखना चाहती थी. क्योंकि जिस रिपोर्ट को रिहाई मंच के लोगों ने 18 मार्च 2013 को ही जारी कर दिया था उस पर सपा सरकार को आज यह बताना चाहिए था कि वो इस पर क्या एक्शन ले रही है और किन-किन दोषी पुलिस वालों के खिलाफ कार्यवाई कर रही है, जो उसने नहीं बताया जो सरकार की मंशा पर सवाल उठाता है.

Khalid Mujahid in judicial custody death or murder?

मुहम्मद शुऐब ने कहा कि आज जब निमेष कमीशन खालिद-तारिक की गिरफ्तारी को गलत बता चुका है तो ऐसे में सवाल उठता है कि जो डेढ़ किलो आरडीएक्स और जिलेटिन की छड़े एसटीएफ ने उनके पास से बरामद दिखाईं थी वह एसटीएफ को कहां से मिली थीं.

यह सवाल तब और गंभीर हो जाता है जब खालिद को लेकर इस गिरफ्तारी के दोषी अधिकारी तत्कालीन डीजीपी विक्रम सिंह गौरवान्वित होकर बयान देते हैं कि खालिद आतंकवादी था और रहेगा. तब ऐसे में सवाल उठता है कि खाकी के भेष में आरडीएक्स रखने वाले इन राज्यद्रोही पुलिस अधिकारियों को सरकार क्यों नहीं जेल भेज रही है. क्योंकि निमेष कमीशन ने जिन दोषी पुलिस अधिकारियों पर कार्यवाई की बात कही है, चाहे वो विक्रम सिंह, बृजलाल, मनोज कुमार झा, अमिताभ यश, चिरंजिव नाथ सिन्हा, एस आनंद और आईबी के अधिकारी हों. यह सब प्रदेश में उच्च पदों पर आज भी कैसे तैनात है, जो देश की आतंरिक सुरक्षा के लिए खतरा हैं. इन दोषी पुलिस आतंकियों को तत्काल गिरफ्तार कर देश को सुरक्षित करते हुए इनके वैश्विक आातंकी संगठनों के गठजोड़ की जांच कराई जाए.

रिहाई मंच के प्रवक्ताओं शाहनवाज़ आलम, राजीव यादव ने कहा कि जिस तरह तारिक-खालिद के मामले में निमेष जांच आयोग ने गिरफ्तारियों पर सवाल उठाया है उससे यह ज़रुरी हो जाता है कि और भी ऐसी गिरफ्तारियों समेत उन तमाम आतंकवाद के मुक़दमों की फिर से जांच कराई जाए जिसमें पुलिस की बरामदगी के आधार पर ही सजा तक हो चुकी हैं. साथ ही आतंकवाद के आरोप में बरी हो चुके और ऐसी ही झूठी पुलिसिया कहानियों पर जो सजाएं काट रहे हैं उन मुकदमों की भी पुर्नविवेचना कराई जाय.

रिहाई मंच ने कहा कि यह अनिश्चित कालीन धरना तब तक चलेगा जब तक कि खालिद के हत्यारे दोषी पुलिस व आईबी के अधिकारियों को जेल नहीं भेजा जाता.

पिछड़ा समाज महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष एहसानुल हक मलिक ने कहा कि 27 दंगे और खालिद की हत्या से साफ हो गया है सपा को मुसलमानों और वंचित पिछड़े तबकों की ज़रुरत सिर्फ वोट बैंक के बतौर है और सरकार अब ब्राहमणों को खुश करने के लिए मनुवादी एजेंडे पर चल रही है, जिसका प्रमाण प्रमोशन में आरक्षण का विरोध और ब्राहमणों पर दर्ज दलीत उत्पीड़न के मुक़दमें हटाने की घोषणा है.

अनिश्चित कालीन धरने को संबोधित करते हुए आज़मगढ़ रिहाई मंच के नेता तारिक़ शफीक ने कहा कि सपा सरकार ने फरुखाबाद में 65 लोगों जो कि विश्व हिन्दू परिषद, विधार्थी परिषद, बीजेपी के थे पर से मुक़दमा हटाया है उससे साफ हो रहा हे कि यह सरकार किसकी हिमायती है.

धरने के समर्थन में मुंबई से आए लेखक आज़म शहाब ने कहा कि वे मुंबई से धरने में शामिल होने इसलिए आए हैं कि खालिद का सवाल सिर्फ यूपी का सवाल नहीं है बल्कि पूरे देश के मुसलमानों के समक्ष खुफिया एजेंसियों द्वारा खड़ा किए गए असुरक्षा का सवाल है.

धरने के समर्थन में गोण्डा से आए जुबैर खान ने कहा कि खालिद मुजाहिद की हत्या कराकर सपा हुकूमत ने अपनी उल्टी गिनती शुरु कर ली है, जिसका एहसास उसे 2014 के लोकसभा चुनाव में मुसलमान करा देगा.

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