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BeyondHeadlines > India > सरकार निमेष कमीशन पर एक्शन टेकन रिपोर्ट सार्वजनिक करे
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सरकार निमेष कमीशन पर एक्शन टेकन रिपोर्ट सार्वजनिक करे

Beyond Headlines
Beyond Headlines Published June 3, 2013 2 Views
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5 Min Read
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BeyondHeadlines News Desk

लखनऊ : मौलाना खालिद मुजाहिद के हत्यारे पुलिस व आईबी अधिकारियों की गिरफ्तारी, आरडी निमेष आयोग की रिपोर्ट पर सरकार एक्शन टेकन रिपोर्ट जारी करने और आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाहों को तत्काल रिहा करने की मांग को लेकर रिहाई मंच का अनिश्चित कालीन धरना तेरहवें दिन भी जारी रहा.

रिहाई मंच के प्रवक्ताओं ने बताया कि भारतीय मूल के ब्रिटेन के मुस्लिम नागरिकों के संगठन काउंसिल ऑफ इंडियन मुस्लिम्स (यूके) ने रिहाई मंच के अनिश्चित कालीन धरने का समर्थन पत्र भेजकर किया है.

अनिश्चित कालीन धरने के तेरहवें दिन मुस्लिम संघर्ष मोर्चा के आफताब अहमद खान और आज़मगढ़ से गिरफ्तार हबीब के भाई अबू आमिर क्रमिक उपवास पर रहे.

रिहाई मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शुएब ने कहा कि रिहाई मंच के लोगों ने 18 मार्च 2013 को ही आर.डी. निमेष आयोग की रिपोर्ट को जनहित में सार्वजनिक कर दिया था, पर सरकार ने अब तक इस पर कोई कार्रवाई रिपोर्ट (एक्शन टेकन रिपोर्ट) जारी नहीं की. जो यह बताता है कि दोषी पुलिस कर्मियों को बचाने में पूरा सरकारी अमला लगा हुआ है.

I am Khalid Mujahid and I am innocent

उन्होंने कहा कि सरकार खालिद की हत्यारे पुलिस अधिकारियों को तो गिरफ्तार नहीं कर रही है लेकिन इस हत्या पर सवाल उठाने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं पर फर्जी मुक़दमें लाद रही है, जिसकी ताजा नजीर इलाहाबाद के जावेद मुहम्मद और इशरार नियाजी पर लगाया गया शांति भंग का फर्जी मुक़दमा है, जिसमें उन पर आरोप है कि वो खालिद की हत्या पर सवाल उठाने वाले पर्चे बांटे.

इंडियन नेशनल लीग के राष्ट्रीय अध्यक्ष मोहम्मद सुलेमान ने कहा कि पिछले दो दशक से मुसलमानों ने सपा-बसपा जैसी पार्टियों जिन्होंने मुसलमानों को एक वोट बैंक के रुप में इस्तेमाल किया और जब भी मुस्लिम समाज पर कोई भी बड़ी विपत्ती आई तो इन लोगों ने सिर्फ बहुसंख्यक सांप्रदायिक वोटों के खातिर मुस्लिम समाज को न्याय से वंचित करने की कोशिश की, जिसकी ताजा मिसाल खालिद मुजाहिद हत्या प्रकरण की है, जिसमें सपा ने अबू आसिम आज़मी का इस्तेमाल किया है. ऐसे दौर में मुस्लिम समाज को सेक्यूलरिज्म का मुखौटा ओढ़े राजनीतिक पार्टियों की हकीकत समझते हुए उनके बहकावे से बाहर आकर न्याय के सवाल के लिए चल रहे राजनीतिक आंदोलन में शिरकत करनी होगी.

अनिश्चित कालीन धरने को समर्थन करने दिल्ली से आए मानवाधिकार संगठन एपीसीआर के राष्ट्रीय संयोजक एख़लाक अहमद और अबू बकर ने कहा कि उत्तर प्रदेश में आतंकवाद के नाम पर कैद निर्दोष युवकों का सवाल देश में बडा राजनीतिक सवाल बन के उभरा है, लेकिन ठीक उसके विपरीत यूपी में पिछले छह सालों से आतंकवाद के नाम पर कैद निर्दोष युवकों को न तो बेल मिली है और न ही मुक़दमें की कार्यवाई पूरी हुई है, जो यह साबित करता है कि यहां कि न्यायपालिका मे सांप्रदायिक तत्व किस कदर हावी हो गए हैं. अगर न्याय पालिका सही से अपना कर्तव्य निभाती तो आज खालिद की हत्या नहीं होती बल्कि वो जेल से बाहर आ गया होता.

अनिश्चित कालीन धरने के समर्थन में आए पूर्व मंत्री कौशल किशोर, राष्ट्रीय भागीदारी आंदोलन के पीसी कुरील, अखिल भारतीय अनुसूचित जाति जन जाति परिसंघ के भवरनाथ पासवान और पिछड़ा वर्ग महासंघ के एहसानुल हक मलिक ने कहा कि खालिद के इंसाफ की लड़ाई सिर्फ हत्या में शामिल कुछ पुलिस अधिकारियों को सजा दिलाने से ही नहीं इस पूरे मनुवादी तंत्र को उखाड़ फेंकने से होगा. उनके संगठन इस पूरे आंदोलन में रिहाई मंच के साथ रहेंगे क्योंकि खालिद की हत्या भी इसी ब्राहमणवादी निजाम ने कराई है.

अनिश्चित कालीन धरने में सीतापुर के बशीर और शकील जिन्हें आतंकवाद के नाम पर सपा हुकूमत में पिछले साल पकड़ा गया, के परिजन जैनब खातून, आमिना खातून, उमर, जावेद और जुनैद भी धरने में शामिल हुए. धरने को संबोधित करते हुए सीतापुर के इशहाक़ ने कहा कि उन्होंने पिछले साल 16 मई को अबू आसिम आज़मी के साथ वो सपा के प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी से मिले. उन लोगों ने उन्हें भरोसा दिलाया कि सपा हुकूमत ने वादा किया है कि आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाहों को रिहा करवाएंगे. पर आज एक साल बीत जाने के बाद भी सरकार ने हमारी कोई मदद नहीं की.

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