खालिद के इंसाफ की लड़ाई देश को बचाने की लड़ाई है

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BeyondHeadlines News Desk

लखनऊ : ‘जिस तरह पूरे देश में खालिद मुजाहिद की हत्या पर लोग सड़कों पर उतरे हैं, उससे साफ हो गया है कि लोग अब आतंकवाद के नाम पर की जा रही राजनीति को समझने लगे है और आने वाले दिनों में सपा-कांग्रेस समेत सभी सरकारें जो आतंकवाद के नाम पर बेगुनाह मुस्लिम युवकों को फंसाकर देश में असुरक्षा की भावना फैलाकर अमरीका और इज़राइल की साम्राज्यवादी एजेंडे को फैला रही हैं, वो सभी पार्टीयां जनता के गुस्से का शिकार होंगी.’

यह बातें दिल्ली से आए जमात-ए-इस्लामी के राष्ट्रीय सचिव मोहम्मद अहमद ने खालिद मुजाहिद के हत्यारे पुलिस व आईबी अधिकारियों की गिरफ्तारी, आरडी निमेष आयोग की रिपोर्ट पर सरकार एक्शन टेकन रिपोर्ट जारी कर दोषी पुलिस व आईबी के अधिकारियों को गिरफ्तार करने और आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाहों को तत्काल रिहा करने की मांग को लेकर रिहाई मंच का अनिश्चित कालीन धरने में कही. आज इस धरने का आज सत्रहवां दिन था.

आगे उन्होंने कहा कि जब इंसाफ का राज खत्म होता है तो बड़े-बड़े मुल्क खत्म हो जाते हैं. इसलिए मौलाना खालिद के न्याय की यह लड़ाई देश को बचाने की लड़ाई है.Nimesh Commission Report will be released on June 4 in Delhi

धरने पर बैठे तारिक कासमी के ससुर मौलवी मोहम्मद असलम ने कहा कि सरकार जब तक आरडी निमेष कमीशन की रिपोर्ट पर अमल नहीं करती तब तक उनके दामाद के छूटने का रास्ता साफ नहीं होगा. जिस रिपोर्ट को सरकार आज स्वीकार कर रही है, अगर इस रिपोर्ट को अगस्त 2012 में निमेष साहब के सौंपने के बाद सरकार ने कार्यवाई कर दी होती तो आज तारिक-खालिद जेल से रिहा होते. उन्होंने कहा कि जिस तरह खालिद के हत्या आरोपी पुलिस वालों को सरकार बचा रही है, उससे मेरे समेत सभी निर्दोष बच्चों के मां-बाप अपने लड़कों की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं.

रिहाई मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शुएब ने कहा कि यूपी सरकार की नियत साफ नहीं है, जिसके तहत उसने बेगुनाह मुसलमानों पर से मुकदमें वापस लेने की सिर्फ घोषणा की अमल नहीं किया. जिससे संघ परिवार और भाजपा को विरोध में उतरने का पूरा अवसर प्राप्त हो. सरकार की ओर से बिना किसी पर्याप्त कारण दर्शाए मुक़दमों को वापस लेने का प्रार्थना पत्र डलवाकर जहां एक तरफ मुसलमानों को खुश करने का प्रयास किया गया तो वहीं दूसरी तरफ फैसला न्यायालयों की सहमति पर डाल दिया गया. जिसमें बाराबंकी के न्यायाधीश कल्पना मिश्रा ने प्रार्थना पत्र पर अभियोजन तथा बचाव पक्ष को न सुनकर संघ परिवार से संबद्ध अधिवक्तओं से प्रार्थना पत्र लेकर मनमाने ढंग से आदेश पारित किया. जिससे साबित होता है कि बेगुनाहों की रिहाई को रोकने के लिए सरकार ने अदालतों का भी इस्तेमाल किया.

सरकार के समक्ष दो मज़बूत आधार थे लेकिन दोनों आधारों को दरकिनार किया गया. पहला आधार तो यह था कि लखनऊ तथा फैजाबाद कचहरी ब्लास्ट और तारिक व खालिद के मुकदमों में विवेचना अधिकारी द्वारा इंस्टीटृयूट ऑर डिफेंस स्टडीज एण्ड एनालिशिश द्वारा श्री ख्रुश्चेव की ‘हुजी आफ्टर द डेथ ऑफ इट्स इंडिया चीफ’ पर की गई टिप्पणी दिनांक 13/02/2008 को सही मान कर दाखिल किया था.

इस टिप्पणी में स्पष्ट किया गया था कि मक्का मस्जिद, अजमेर दरगाह, समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट, और यूपी कचहरियों के ब्लास्ट हूजी द्वारा किए गए थे. मक्का मस्जिद, अजमेर दरगाह और समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट में नई गिरफ्तारियां होने के बाद स्पष्ट हो गया कि इन सभी विस्फोटों में भगवा ब्रिगेड के लोगों का हाथ था और इस आधार पर यूपी की कचहरियों में हुए ब्लास्ट की अग्रिम विवेचना आवश्यक हो गई थी.

दूसरा मज़बूत आधार आरडी निमेष जांच कमीशन की रिपोर्ट जो सरकार को 31 अगस्त 2012 को सौंपी गई थी, उसमें उद्घाटित किए गए तथ्य थे. इन दोनों आधारों को मिलाकर धारा 173 (8) दंड प्रक्रिया संहिता के अन्तगर्त अग्रिम विवेचना कराए जाने पर न्यायालय को उसमें कुछ भी कर पाने का अवसर नहीं मिलता और ऐसा करने से असली दोषियों की गर्दन तक कानून का हाथ पहुंचता और निर्दोष लोग रिहा कर दिए जाते साथ ही दोषी पुलिस अधिकारियों/पुलिस जन के खिलाफ कार्यवाई भी हो गई होती.

इंडियन नेशनल लीग के राष्ट्रीय अध्यक्ष मोहम्मद सुलेमान ने कहा कि जिस तरह से मौलाना खालिद मुजाहिद की हत्या की सीबीआई जांच पर यूपी सरकार चुप्पी साधे हुए है, वो साफ करता है कि सरकार इसकी जांच सीबीआई से न कराकर दोषी पुलिस अधिकारियों को बचाने की फिराक में है. सपा सरकार जो खुद विभिन्न घोटालों में फंसी है, वो खालिद मुजाहिद के हत्या प्रकरण में सीबीआई जांच करवाने से इसलिए भाग रही है कि अगर दोषी पुलिस अधिकारीयों और आईबी पर गाज गिरेगी तो वो सरकार को भी फंसाने लगेंगे क्योंकि खुद मुलायम सिंह आय से अधिक संपत्ती समेत दूसरे कई घोटालों में फंसे हुए हैं. हमारे सामने बाटला हाउस फर्जी मुठभेड़ कांड एक नजीर पहले से है जहां पुलिस के मनोबल के गिरने की दुहाई देकर पूरे न्याय के सवाल को भटका दिया गया, बाटला हाउस फर्जी मुठभेड़ मसले पर खामोश रहकर कांग्रेस को मदद पहुंचाने वाली सपा अब यही रणनीति खालिद मुजाहिद की हत्या के मामले में भी अपनाना चाहती है. जो हम नहीं होने देंगे.

रिहाई मंच के प्रवक्तओं ने बताया कि कल के अनिश्चित कालीन धरने के समर्थन में सांप्रदायिकता विरोधी अभियान से जुड़ी मानवाधिकार नेता शबनम हाशमी और मानसी भी आएंगी.

कल जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय दिल्ली के रिवोल्यूशनरी कल्चरल फ्रंट अनिश्चित कालीन धरने के समर्थन में विधान सभा धरना स्थल पर बाटला हाउस फर्जी मुठभेड़ कांड पर आधारित ‘बाटला हाउस’ नाटक का मंचन करेगा.

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