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BeyondHeadlines > India > ख़ालिद मुजाहिद हत्या: CBI जांच हेतु कोई नोटिफिकेशन नहीं
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ख़ालिद मुजाहिद हत्या: CBI जांच हेतु कोई नोटिफिकेशन नहीं

Beyond Headlines
Beyond Headlines Published June 16, 2013
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7 Min Read
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BeyondHeadlines News Desk

लखनऊ : खालिद मुजाहिद के हत्यारे पुलिस व आईबी अधिकारियों की गिरफ्तारी, आरडी निमेष आयोग की रिपोर्ट पर सरकार द्वारा एक्शन टेकन रिपोर्ट जारी कर दोषी पुलिस व आईबी के अधिकारियों को गिरफ्तार करने और आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाहों को तत्काल रिहा करने की मांग को लेकर रिहाई मंच का अनिश्चितकालीन धरना छब्बीसवें दिन भी जारी रहा. आज क्रमिक उपवास पर बस्ती से आए सामाजिक कार्यकर्ता मजहर आजाद बैठे.

रिहाई मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शुएब ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने 19 मई को कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीवोपीटी) सीबीआई जांच के लिए पत्र लिखा, परन्तु दिल्ली स्पेशल पुलिस स्टेबलिसमेंट एक्ट की उक्त धारा 5 के अन्तर्गत डीवोपीटी द्वारा सीबीआई को अधिसूचना जारी नहीं की गई, जो कि सीबीआई द्वारा जांच अपने हाथ में लेने के लिए आवश्यक है. यूपी सरकार ने डीएसपीई एक्ट के सेक्सन 6 के अनुसार विवेचना के लिए अपनी सहमति का पत्र दिया था.

Rihai Manch Indefinite Dharna demanding Justice for khalid mujahidउन्होंने आरोप लगाया कि सपा सरकार अपनी एजेंसियों से तेजी से जांच करवाकर दोषियों को बचाना चाहती है, और इसी फिराक में डीवोपीटी विभाग ने अब तक नोटिफिकेशन नहीं किया. ऐसे में खालिद के न्याय के लिए तत्काल प्रदेश सरकार द्वारा कराई जा रही जांच की कार्यवाई तुरंत समाप्त कर उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा की जा रही विवेचना को अविलंब रोककर सीबीआई द्वारा तुरंत विवेचना कराया जाना सुनिश्चित किया जाय.

शासन एवं प्रशासन के स्तर पर जनसंचार साधनों के माध्यम से मीडिया ट्रायल करके जांच को प्रभावित करने की कोशिश बंद की जाए. न्यायहित में यह आवश्यक है कि उत्तर प्रदेश सरकार सीबीआई को समस्त तथ्यों को प्रेषित करते हुए तत्काल सीबीआई जांच कराना सुनिश्चित करे.

धरने को संबोधित करते हुए इंडियन नेशनल लीग के राष्ट्रीय अध्यक्ष मोहम्मद सुलेमान ने कहा कि रिहाई मंच का धरना सत्ता द्वारा मुस्लिमों पर नीतिगत स्तर पर किए जा रहे हमलों का एक जवाब है. खुफिया एजेंसियों ने देश में सांप्रदायिक विभाजन का गंदा खेल खेला है. अब आईबी समेत सभी खुफिया एजेंसियों का यह खेल बेनकाब हो गया है. जो एजेंसी देश की सुरक्षा के लिए बनी हो और वो इसके उलट काम कर रही हो उसे वजूद में रहने का कोई अधिकार नहीं है.

उन्होंने कहा कि आगामी मानसून सत्र में अगर मुस्लिम विधायकों ने खालिद और आरडी निमेष पर सवाल नहीं उठाया तो जनता उनके क्षेत्रों में उनको घेरने का काम करेगी.

फैजाबाद से आए अधिवक्ता नदीम जिनपर पिछले दिनों सपाई व हिन्दुत्वादी संगठनों के गुंडों द्वारा जानलेवा हमला किया गया था, ने कहा कि यह मामला किसी मुस्लिम-हिंदू का नहीं है. संघ के गुडों ने खालिद के मुक़दमें की पैरवी में लगातार अवरोध उत्पन्न किया और प्रशासन चुप्पी साधे रहा. खालिद की हत्या के बाद फैजाबाद में हुए प्रदर्शनों के बाद मुझपर और मेरे साथियों पर हमला किया गया, हम जिस स्थान पर कोर्ट में बैठते हैं उस स्थान पर तोड़-फोड़ की गई और फैजाबाद बार एसोसिएशन ने हमारी सदस्यता खत्म कर दी. ऐसे में यह सवाल अहम हो जाता कि जब न्याय के परिसरों में सांप्रदायिक जेहनियत का बोलबाला हो और उसको प्रशासन का संरक्षण हो तो हमारी हिफाजत कैसे हो सकती है.

धरने को संबोधित करते हुए मुस्लिम मजलिस के प्रदेश अध्यक्ष एखलाख अहमद ने कहा कि सपा सरकार जिसने चुनावों में वादा किया था कि अगर उसकी सरकार बनेगी तो वो आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाह मुस्लिम युवकों को रिहा करेगी, उसकी वादा खिलाफी सिर्फ मुस्लिम समाज से नहीं है बल्कि इस पूरे लोकतांत्रिक ढांचे से है.

वहीं बरेली से आए मुस्लिम मजलिस के नेता वसी अहमद ने कहा कि इस सरकार में दंगों की बाढ़ आ गई है और मैं जिस शहर बरेली का रहने वाला हूं वहां भी इस सपा सरकार के राज में दो-दो बड़े दंगे हो चुके हैं. जहां दो-दो दिनों तक शहर जलता रहा पर इस प्रदेश के मुख्यमंत्री को यह ज़रुरी नहीं लगा कि वो हमारा हाल ख्याल ले.

धरने को संबोधित करते हुए जमात-ए-इस्लामी हिंद के मौलाना खालिद ने कहा कि सरकार ने खालिद की मौत के बाद आंदोलन के दबाव में आरडी निमेष रिपोर्ट को आधे अधूरे मन से मजबूरी में स्वीकार कर लिया, लेकिन दोषी पुलिस अधिकारियों को बचाने के लिए जिस तरह से पैंतरेबाजी कर रही है उससे पता चलता है कि सरकार का नैतिक रुप से कितना पतन हो गया है.

धरने को संबोधित करते हुए पिछड़ा महासंघ के अध्यक्ष शिवनारायण कुशवाहा और भारतीय एकता पार्टी के अध्यक्ष सैय्यद मोईद ने कहा कि रिहाई मंच के इस अनिश्चित कालीन धरने को चंद दिनों में एक महीना हो जाएगा, जिस तरीके से सरकार ने खालिद के न्याय के सवाल पर जिस तरीके से आपराधिक चुप्पी साध रखी है वो बताता है कि सरकार इस मसले पर जनता के साथ छल कर रही है. पर यह धरना चलता रहेगा हम मई-जून की कड़ी धूप में भी इस विधान सभा धरना स्थल पर बने रहे और अब बरसात में भी बने रहेंगे. जब तक न्याय नहीं मिलता तब तक धरना चलता रहेगा.

धरने का संचालन रिहाई मंच आज़मगढ़ के प्रभारी मसीहुद्दीन संजरी ने किया. धरने में कौमी एकता दल के तारिक शमीम, योगेन्द्र सिंह यादव, लक्ष्मण प्रसाद, एहसानुल हक मलिक, डा0 कासिफ सिद्दीकी, वसी अहमद बरेली, कानपुर से मो0 इकबाल, सोशलिस्ट फ्रंट ऑफ इंडिया से जिया उल्ला सिद्दीकी, आफाक अहमद, जैद फारुकी, आरिफ महफूज, नदीम एडवोकेट, जुबैर जौनपुरी, मो0 समी, मोतीलाल पाठक, खुर्शीदुर्रहमान, नसीब रब्बानी, हाफिज अब्दुल जलाल, इशहाक, कमरुद्दीन कमर, राजीव यादव आदि ने शिरकत की.

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