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Reading: आईबी को संसद के प्रति जवाबदेह बनाया जाए
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BeyondHeadlines > India > आईबी को संसद के प्रति जवाबदेह बनाया जाए
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आईबी को संसद के प्रति जवाबदेह बनाया जाए

Beyond Headlines
Beyond Headlines Published June 26, 2013 1 View
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BeyondHeadlines News Desk

लखनऊ : आतंकवाद के नाम कैद बेगुनाह मुस्लिम नौजवानों को रिहा करने, मौलाना खालिद मुजाहिद के हत्यारे पुलिस अधिकारियों को गिरफ्तार करने और निमेष आयोग की रिपोर्ट पर तत्काल कार्रवाई करने आदि मुद्दों के साथ चल रहा रिहाई मंच का अनिश्चितकालीन धरना आज 36वें दिन भी जारी रहा. आज उपवास पर मौलाना क़मर सीतापुरी और डॉ. राघवेंद्र प्रताप सिंह बैठे.

धरने को संबोधित करते हुए इंडियन नेशनल लीग के कौमी सदर मोहम्मद सुलेमान ने कहा कि एक तरफ समाजवादी पार्टी खालिद मुजाहिद के हत्यारे पुलिस अधिकारियों को बचाने में लगी है, फर्जी ढंग से तारिक और खालिद की गिरफ्तारी में शामिल आला पुलिस अधिकारियों को बचाने में लगी है तो वहीं महाराष्ट्र में इस पार्टी के नेता अबू आसिम आज़मी, जिन्होंने खालिद की हत्या को प्राकृतिक मौत बताकर मुसलमानों को धोखा देने का काम किया था, मुंबई में मालेगांव विस्फोट में बेगुनाह मुस्लिम नौजवानों को फंसाने वाले पुलिस अधिकारियों की गिरफ्तारी के लिए अनिश्चितकालीन धरना दिलवा रहे हैं, जो निहायत ही हास्यास्पद है.

role of IB in terrorist attacks must be investigated by judicial inquiry commissionउन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी द्वारा खालिद मुजाहिद के हत्यारों को जिस तरह बचाने की कोशिश हो रही है, उससे होने वाली बेइज्जती को मैनेज करने की यह कोशिश है. लेकिन सपा को समझ लेना चाहिए कि अवाम अब उनके असली मुस्लिम विरोधी चेहरे को पहचान चुकी है और वह इस नाटक के बहकावे में नहीं आने वाली.

सुलेमान ने कहा कि इस देश में जितनी भी आतंकी घटनाएं हुई हैं, उसमें राजनीतिक पार्टियों और आईबी का गठजोड़ काम करता रहा है, जिसके नतीजे में निर्दोष लोग मारे जाते रहे हैं. ऐसे नेताओं और राजनीतिक दलों को तो जनता सबक सिखाएगी ही, आज इस बात की ज़रूरत है खुफिया एजेंसी आईबी को जनता के प्रति जवाबदेह बनाते हुए उसे संसद के प्रति जवाबदेह बनाया जाए और भारत सरकार अन्य पश्चिमी देशों की तरह आईबी से जुड़े पुराने दस्तावेजों का खुलासा करे ताकि देश इन एजेंसियों के काले कारनामों को जान सके.

धरने का समर्थन करते हुए भागीदारी आंदोलन के नेता पीसी कुरील ने कहा कि सरकारी प्रतिष्ठानों में अल्पसंख्यकों समेत विभिन्न वंचित तबकों का जब तक उनकी आबादी के अनुपात में प्रतिनिधित्व नहीं मिलेगा, तब तक खालिद मुजाहिद जैसे निर्दोषों को सरकारें कत्ल करवाती रहेंगी.

उन्होंने कहा क आज ज़रूरत इस बात की है कि खालिद मुजाहिद समेत फर्जी मुठभेड़ों में मारे जाने वाले या पुलिस द्वारा फर्जी मामलों में फंसाए जाने वाले अल्पसंख्यक और वंचित तबकों के लोग एकजुट होकर मनुवादी सरकारों को घेर लें.

धरने को संबोधित करते हुए इलाहाबाद रिहाई मंच के प्रभारी राघवेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि सपा हुकूमत खालिद के जिन हत्यारों को बचाना चाहती है, उनमें कई ऐसे पुलिस अधिकारी हैं, जिन्होंने एक संगठित गिरोह की तरह सिर्फ मुसलमानों को ही नहीं मरवाया, बल्कि सोनभद्र और मिर्जापुर के इलाके में नक्सलवाद के नाम पर दलितों और आदिवासियों को फर्जी मुठभेड़ों में मारा और जेलों में बंद करवा दिया.

उन्होंने कहा कि खालिद की हत्या में नामजद किए गए पूर्व डीजीपी बिक्रम सिंह ने वाराणसी रेंज के आईजी पद पर रहते हुए मिर्जापुर के भवानीपुर गांव में 16 निर्दोष आदिवासी बच्चे और बूंढ़ों को नक्सली बताकर मरवा दिया था जिसपर विपक्ष में रहते हुए मुलायम ने इस मामले के आरोपी पुलिस अधिकारियों को गिरफ्तार करने की मांग की थी, लेकिन आज वही मुलायम भवानीपुर कांड तो दूर, खालिद मुजाहिद की हत्या में आरोपी इस पूर्व डीजीपी को बचाने में लगे हैं जिससे सपा का असली सामंती और मुस्लिम विरोधी चेहरा उजागर हो जाता है.

इस दौरान बोलते हुए मुस्लिम मजलिस के जैद फारुकी और सामाजिक कार्यकर्ता योगेंद्र सिंह यादव ने कहा कि जिस तरह धरना स्थल पर पूरे सूबे से जनता अपनी-अपनी मांगों को लेकर जमा हो रही है, उससे साफ हो जाता है कि केवल मुसलमान ही नहीं, बल्कि समाज के सभी तबके सपा हुकूमत से नाराज हैं.

उन्होंने कहा कि पूरे सूबे में ऐसे पुलिसवालों को तैनात किया जा रहा है जिनकी राजनीतिक प्रतिबद्धताएं सांप्रदायिक ताकतों के प्रति हैं जो सूबे के अमन चैन के लिए एक बुरी खबर है.

धरने के समर्थन में बनारस से आए लक्ष्मण प्रसाद और इसरारुल्लाह सिद्दीकी ने कहा कि जिस तरह खालिद की हत्या के सवाल पर बहुसंख्यक समाज का बड़ा हिस्सा भी मुसलमानों के साथ खड़ा हो रहा है, उससे साफ है कि सूबे की जनता आतंकवाद के नाम पर की जा रही सांप्रदायिक विभाजन की राजनीति को समझने लगी है.

उन्होंने तमाम आतंकी वारदातों और उनके नाम पर हुई गिरफ्तारियों की जांच के लिए अलग से ज्यूडिशियल इंक्वायरी कमीशन गठित करने की मांग की.

रिहाई मंच के प्रवक्ताओं राजीव यादव और शाहनवाज आलम ने कहा कि कल पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय पदाधिकारी ईएम अब्दुर्रहमान केरल से धरने के समर्थन में आएंगे.

धरने का संचालन दिल्ली से आए पत्रकार शिव दास प्रजापति ने किया. धरने को डॉ. कमरुद्दीन कमर, इशरारुल्लाह सिद्दीकी, मुस्लिम मजलिस के जमाल अशरफ खान, इरफान खान, मोहसीन खान, इलाहाबाद से आए मोहम्मद अकील खां, मोहम्मद शकील, इंडियन नेशनल लीग के प्रदेश अध्यक्ष मोहम्मद समी, कानपुर से आए अहमद हुसैन और परवेज मंसूर, कमर इरशाद, हरेराम मिश्रा, अब्दुल जब्बार, जसवंत सिंह, गाजीपुर से आए रशीद अहमद, मुख्तार, डॉ. अली अहमद आदि ने संबोधित किया.

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