India

नीतिश के सुशासन में यह क्या हो रहा है?

बिहार में राजनीतिक हलचल तेज़ हो गई है. नीतिश कुमार अपने सेक्यूलर छवि पर किसी भी तरह का दाग़ लगने नहीं देना चाहते. चाहे इसके लिए उन्हें अपने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा भी देना पड़े. लेकिन अल्पसंख्यक प्रेम की हामी भरने वाले नीतिश के सुशासन में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार जारी है. एक ऐसी ही कहानी से आपको रूबरू कराने जा रहे हैं…

Ihtesham Hasan for BeyondHeadlines

बिहार के वैशाली ज़िले के महुआ मकनपूर की विधवा ज़ाहिदा खातून इन दिनों काफी परेशान है. दरअसल, उनकी ज़मीन पर भू-माफिया पुलिस के गठजोड़ से कब्जा करने की ताबड़तोड़ कोशिश कर रहे हैं. लेकिन उन्हें जब कोई सफलता नहीं मिली, तब पहले तो इन्हें डाराया-धमकाया. फिर पुलिस की मदद से उन्होंने ने ज़ाहिदा खातून समेत उनके बेटों पर झूठे मुक़दमें दर्ज करा दिए. हर मामले में सुस्त रहने वाली बिहार पुलिस इस मामले में चुस्त नज़र आने लगी. इन्होंने भी इस विधवा को परेशान करना शुरू कर दिया.

जबकि ज़ाहिदा खातून पिछले 20 सालों से अधिक समय से यहां रह रही है. इस ज़मीन को उसके पति ने खरीदा था. इस बंजर ज़मीन को इसने अपने खून-पसीने से सींचकर खेती के लायक बनाया और इस पर अब वो खेती-बाड़ी करती है. समय के साथ आज जब बिहार में ज़मीन की कीमत बढ़ती जा रही है, जिसके कारण भू-माफियाओं की नज़र इस ज़मीन पर पड़ गई और फिर उन्होंने इस विधवा को धमकी देना शुरू कर दिया. story of widow in bihar

इसकी शिकायत ज़ाहिदा खातून ने पिछले दिनों अप्रैल महीने में वहां वर्तमान एसपी, डीएसपी सहित तमाम बड़े प्रशासनिक अधिकारियों को पत्र लिखकर दी ताकि इन भू-माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई की जाए. लेकिन कार्रवाई तो दूर इन भू-माफियाओं ने पुलिस के गठजोड़ से दर्जनों की संख्या में गुंडों के साथ इस विधवा के घर पर हमला कर दिया. इस हमले में ज़ाहिदा खातून सहित उनकी बहू और बेटे को लहूलुहान हो गए. जिन्हें बाद में एक सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया.

दूसरी तरफ, इतना कुछ होने के बाद भी पहले तो पुलिस एफआईआर दर्ज करने से इनकार करती रही, लेकिन हल्ला-हंगामा ज़्यादा होने पर न चाहते हुए भी उन्हें एफआरआर दर्ज करनी पड़ी. लेकिन पुलिस ने किसी की गिरफ्तारी नहीं की.

इसके दूसरे दिन भू-माफियाओं ने ज़ाहिदा खातून व उनके बेटों के खिलाफ एक फर्जी मुक़दमा हरीजन एक्ट के तहत दर्ज कराया, जिस पर हमारी इसी पुलिस ने तुरंत एक्शन लिया. 10 जून को ज़ाहिदा खातून के बेटे महताब आलम और मोहम्मद लाडले को गिरफ्तार करके सलाखों के पीछे डाल दिया गया.

ज़ाहिदा खातून कहती हैं कि मेरे पास सारे कागजात मौजूद हैं जिसे एसडीएम सहित जहां भी ज़रूरत पड़ी, वहां देखा चुकी हूँ. लेकिन पुलिस ने कभी भी मेरा साथ नहीं दिया. बल्कि वो अब भी यह भू-माफियाओं के साथ मिलकर जबरन कब्जा करने की कोशिश कर रहे हैं.

उनका कहना है कि उन्होंने हमारे घर के लड़कों को झूठे मामलों में फंसाकर जेल भेजवा दिए हैं. अब हमारे घर में सिर्फ दो औरतें ही बची हैं. आगे बोलते-बोलते ज़ाहिदा खातून की आंखें नम हो जाती हैं. वो बहुत मायूसी के साथ कहती है कि ऐसा लगता है कि सरकार के सभी अधिकारियों को खरीदा जा चुका है.  सच्चाई सुनने को कोई तैय्यार नहीं है.

इन सबके बावजूद वो अपनी हार मानने को तैय्यार नहीं हैं. वो मानती हैं कि यह इंसाफ की लड़ाई है और वो इस लड़ाई को आखिरी सांस तक लड़ेंगी. उन्होंने अपनी बात भारत सरकार के अल्पसंख्यक मंत्रालय, गृह सचिव (बिहार सरकार), पुलिस आयुक्त (बिहार) सहित ज़िला स्तर के सभी अधिकारियों से न्याय की गुहार लगा चुकी हैं, लेकिन कहीं से कोई उम्मीद अभी नज़र नहीं आ रही है.

इस संबंध में अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री के. रहमान खान के पास भी एक शिकायत भी दर्ज कराई गई थी जिसपर मंत्रालय ने त्वरित कार्रवाई करते हुए बिहार सरकार को इससे आगाह किया है. लेकिन इसके बावजूद सरकार खामोश बैठी हुई है और पुलिस की तनाशाही बदस्तूर जारी है…

आखिर में इस विधवा के निगाहें नीतीश कुमार की ओर देख रही हैं. उनका कहना है कि सुना है नीतीश कुमार न्याय प्रिय हैं वो निश्चित रूप से उनके साथ न्याय करेंगे.  उन्होंने नीतीश कुमार से मांग की कि वो एसआईटी से पूरे मामले की जांच कराए. लेकिन अब देखना यह है कि अल्पसंख्यक प्रेम का दावा करने वाले नीतीश कुमार इस विधवा की मदद कैसे करते हैं…

(लेखक ई टीवी से जुड़े हुए हैं.) 

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