Rakesh Panchal & Ilyas Khan Pathan for BeyondHeadlines
अभी चंद दिनों पहले ही इसी जून महीने में गुजरात में हुए प्रवेशोत्सव कार्यक्रम में मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देहगाम के पास लिहोडा गांव में अभिभावकों और छात्रों को संबोधित करते हुए कहा था कि शिक्षा के ज़रिए यदि समाज खुद जागरूकता अभियान में आगे रहेगा तो न केवल गुजरात की आने वाली पीढ़ी पूरी तरह शिक्षित होगी बल्कि राज्य गरीबी एवं निरक्षरता से बाहर निकलने में देश की अगुवाई करेगा. राज्य में पिछली (कांग्रेस) सरकारों ने समाज को अंधेरे में रखकर और राज्य में प्राथमिक शिक्षा की अनदेखी कर बहुत बड़ा पाप किया है.
लेकिन दिलचस्प यह है कि जिस गुजरात में एक ओर जहां शिक्षा प्रणाली को मज़बूत करने के दावे किए जा रहे हैं. जहां नरेन्द्र मोदी कांग्रेस सरकार पर गुजरात को अंधेरे में रखकर राज्य में प्राथमिक शिक्षा की अनदेखी का आरोप लगा रहे हैं, वहीं उसी नेरन्द्र मोदी के सरकार में उसी गुजरात के स्कूलों में बिना किताबों के ही बच्चों को शिक्षा दी जा रही है. बाजार से किताबें नदारद हैं. बच्चों के ऊंचे भविष्य का सपना देखने वाले अभिभावक परेशान हैं, पर गुजरात सरकार के अधिकारियों का इस ओर कोई ध्यान नहीं है.
स्पष्ट रहे कि राज्य में स्कूल 10 जून से खुल गए हैं. आंकड़ों के मुताबिक गुजरात राज्य एजुकेशन बोर्ड के कोर्स में करीब 8 लाख स्टूडेंट्स हैं. इसमें करीब 2.8 लाख स्टूडेंट्स सरकारी स्कूल में पढाई करते हैं.
इस तरह से पहली से 12 वीं तक की किताबें नहीं मिलने से स्टूडेंट्स और उनके माता-पिता दोनों परेशान हैं. अब तक तीसरी, 5वीं और 9वीं कक्षा की एक भी किताब बाजार में उपलब्ध नहीं है. जबकि बाकी की सभी कक्षा की आधे से ज्यादा किताबें अब तक बाजार में नहीं आई हैं. सबसे ज्यादा चिंता कक्षा 10 और 12वीं के स्टूडेंट्स की है, क्योंकि यह उनके करियर के लिए अहम साल है.
गुजरात में किताबों के पब्लिकेशन और डिस्ट्रिब्यूशन का जिम्मा गुजरात पाठ्य पुस्तक मंडल का है. अब पाठ्य पुस्तक मंडल पहले सरकारी स्कूल को किताबें पहुंचाने में लगा हैं, जिससे प्राइवेट स्कूल के स्टूडेंट्स को किताबें नहीं मिल पा रही हैं. दुकानदारों के मुताबिक पाठ्य पुस्तक मंडल की गैर जिम्मेदारी की वजह से ही अब तक आधे से ज्यादा किताबें छपी नहीं हैं. सरकारी स्कूल में जो किताबें दी जा रही है उसमें भी कुछ किताबों की कमी है.
राज्य में स्कूल खुल गए हैं, लेकिन छात्रों के पास किताबें नही पहुंची है. अब नरेन्द्र मोदी ही बताएं कि सरकार इस के लिए किस विभाग को जिम्मेदार मानती है? देखना यह है कि गुजरात में छात्रों के भविष्य के साथ जुडी इस समस्या को हल करने के लिए क्या क़दम उठा रही है ? और यह क़दम कितने दिनों में उठाया जाएगा?