एक नागरिक द्वारा यूपी पुलिस को लिखा गया एक पत्र…

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BeyondHeadlines News Desk

A letter written by a citizen to uttar pradesh police UP Police PR अब अधिकारिक रूप से फेसबुक पर हैं और लोगों को समस्याओं को सुनने का प्रयास कर रही है. पढ़िये एक नागरिक द्वारा यूपी पुलिस को लिखा गया एक पत्र!

सभी जनसंपर्क सैल इस पत्र को अपने जिलों के पुलिसकर्मियों को भी पढ़वाएं, एक आम नागरिक ने पूछा है कि निचले स्तर पर रुपये पैसे मांगने वाले पुलिसकर्मियों की इज्ज़त कोई कैसे कर पायेगा? सवाल सोचने का है. यह तस्वीर भी बदलनी होगी. यह शुरुवात भी करनी होगी…

महोदय,

इस संदेश के माध्यम से सबसे पहले तो मैं यूपी पुलिस को बधाई देना चाहूंगा. यह एक सकारात्मक पहल है. लोग इसके माध्यम से अपनी बात यूपी पुलिस तक प्रभावी रूप से पहुंचा सकते हैं.

सुधार एक प्रक्रिया है. और मैं इस फेसबुक अकाउंट को उस प्रक्रिया की शुरुआत के रूप में देखता हूं. यूपी पुलिस के साथ मेरे कई कड़वे और शर्मनाक अनुभव है. उन सब को भूलकर बस यही आग्रह करना चाहूंगा कि पुलिस अपनी सार्वजनिक छवि को सुधारने का प्रयास करे.

मैं रोज ऑटो से मेट्रो तक आता हूं. जिस ऑटो से मैं आता हूं पुलिसवाले उससे रोज पैसा लेते हैं. मेरी आँखों के सामने. मैं वीडियो और फोटो भी बना सकता हूं. यह बहुत आसान है, लेकिन समस्या का समाधान नहीं. मैं रास्ते में जिस चाय वाले से चाय पीता हूं वह भी पुलिसवालों कौ पैसा देता है. और मैं अक्सर देखता हूं पुलिसकर्मियों को फ्री में चाय पीते हुए. मैं जिस चौराहे से गुजरता हूं हर रोज वहां खड़ा होमगार्ड पैसे लेने के लिए ट्रकों को रोकता है. बिना यह सोचे हुए कि ट्रक के बीच सड़क पर रुकने से जाम लग रहा है और दफ्तर से घर जाने वाले लोगों को देर हो रही है. इन सब घटनाओं के वीडियो बनाना मेरे लिए बहुत आसान है. इन फैक्ट कई के वीडियो तो मेरे पास हैं भी. लेकिन उन वीडियो को प्रसारित करने या आपके पास भेजना समस्या का समाधान नहीं हैं.

मेरे फोटो या वीडियो भेजने का नतीजा क्या होगा? पुलिस व्यवस्था के सबसे निचले पायदान पर खड़ा व्यक्ति कीमत चुकाएगा. उसके बाद जो आएगा वह फिर वही करेगा.आप सुधार की बात कर रहे हैं. व्यवस्था को बदलने की बात कर रहे हैं. तो फिर शुरुआत इस निचले पायदान से ही कीजिए.

एक नागरिक के तौर पर मैं पुलिसवालों को सड़क पर भीख मांगते हुए नहीं देखना चाहता. आप सोचिये, जिस पुलिसवालों को मैं रोज सौ-पचास रुपये में बिकते हुए देखता हूं क्या मैं कभी उसका सम्मान कर पाउंगा? आपसे अनुरोध है कि उस भ्रष्टाचार को रोकें जो बंद आँखों से भी दिखता है. तब हमें लगेगा कि आप वास्तव में कुछ अच्छा कर रहे हैं.

दस्तख़त करके कनिष्ठ कर्मचारी को दंडित करना आसान काम है. लेकिन विभाग के निचले पायदान पर स्थित लोगों की सोच बदलना मुश्किल काम है. उम्मीद है आप मुश्किल काम करने की दिशा में भी कदम बढ़ाएंगे. पुलिसवाले बदलने की ठान लें तो इस देश में सब कुछ बदल सकता है. जनता उनसे नफरत नहीं उम्मीदें करती है.

भवदीय
दिलनवाज़ पाशा

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