Abhinaw Upadhyay for BeyondHeadlines
रमजान के महीने में जहां हर मस्जिदों से अजान की गूंज सुनाई देती है, वहीं पुरानी दिल्ली के मीर दर्द रोड स्थित मक्की मस्जिद मेहदियान से गायत्री मंत्र की आवाज़ आए तो चौंकना लाज़िमी है.
लेकिन यह सच है. देश में एक तरफ जहां लोग धर्म और जाति के नाम पर एक दूसरे धर्म के बीच हिंसा फैलाने के लिए उकसा और भड़का रहे हैं, वहीं राजधानी में अंजुमन अमन दोस्त इंसान दोस्त समिति के लोग देश भर में भाईचारा बहाल करने के लिए हर महीने के पहले रविवार को सभी धर्मों के धर्मगुरुओं के साथ बैठक करते हैं. जहां समिति के राष्ट्रीय महामंत्री मोहम्मद बिलाल शबगा गायत्री मंत्र बोलने के बाद अपनी बात शुरू करते हैं.
बिलाल का कहना है कि हमारा मक़सद देश में मोहब्बत और भाईचारा फैलाना है. मेरा मानना है कि धर्म खुश्बू की तरह है. कोई धर्म हो बस खुश्बूदार बनकर रहे. सभी धर्म अपने हैं और हम सभी धर्म के हैं. हमारा मक़सद भारतीय संस्कृति की रक्षा है. हिन्दू धर्म में ही यह संभव है कि सौतेली मां के कहने पर राम वनवास चले जाएं और इस्लाम यह कहता है कि यदि पड़ोसी भूखा सोया है तो आपको खाने का हक़ नहीं है.
हम इस मस्जिद में सभी धर्मों के लोगों के साथ बैठक करते हैं और रचनात्मक शिक्षा के विकास, सदभाव, नैतिक मूल्यों की रक्षा, समन्वय और सदाचार के लिए प्रयासरत हैं.
बिलाल बताते हैं कि भारत सरकार ने संयुक्त राष्ट्र द्वारा आयेाजित अंतर्धार्मिक सदभाव सप्ताह हमारे संगठन के साथ मनाया. इसका नाम भाईचारा दिवस समारोह रखा गया था.
इस मस्जिद में हिन्दू धर्म के महंथ कैलाशनाथ हठयोगी, इसाई धर्म के फादर लूका, सिख धर्म के बलविंदर सिंह तथा अन्य धर्मगुरु भी हमारे बैठकों में आते हैं.
बैठक में आने वाली मीना सिंह तो अपनी बात कुरान की आयत से शुरू करती हैं.
इस समिति के संस्थापक आरिफ़ बेग बताते हैं कि यहां सभी धर्मों के लोग आते हैं और यह समिति 30 साल से लगातार बैठक कर रही है.
यह बैठक तीसरे रविवार भोपाल में आरिफ बेग के घर भी होती है. इस समिति की अन्य शाखाएं भी देश में हैं. आरिफ बेग बताते हैं कि हमारे ग्रंथों में लिखा है कि वसुधैव कुटुंबकम अर्थात पृथ्वी पर रहने वाले सभी एक परिवार के सदस्य हैं. इस तरह हमारा मज़हब चाहे जो हो लेकिन हम आपस में भाई भाई हैं. हम जब साथ बैठकर भोजन करते हैं तो भोजन मंत्र पढ़कर भोजन करते हैं.
आगे वो बताते हैं कि देश में कई समस्या के पीछे अशिक्षा है. लेकिन अब अभिभावक शिक्षा को लेकर जागरूक हैं और मेरा मानना है कि सही शिक्षा धर्मों को जोड़ेगी. 70 वर्षीय आरिफ बेग को युवाओं से उम्मीदें हैं. उनका कहना है कि जो लौ उन्होंने जलाई है वह युवाओं की मदद में देश में उजाला फैलाएगी.