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नीरज भडाना के इंसाफ के लिए आम जनता से एक अपील

Saleem Baig for BeyondHeadlines

दुनिया के जाने-माने दानिश-मन्द मार्टिन लूथर किंग ने शायद सही कहा था कि-

‘‘जब हम सच्चाई जानकर भी बोलना नहीं चाहते हैं
तो उस दिन से हमारी मौत की शुरूआत हो जाती है’’

उक्त पंक्ति को देखे तो न जाने हमारे जनपद मुरादाबाद व राज्य उत्तर प्रदेश में ऐसे कितने लोग हैं जो जिन्दा लाशों की तरह चल फिर रहे हैं और नीरज हत्याकाण्ड जैसे गम्भीर मुद्दे पर बोलने को तैयार नहीं हैं. रसूक या पैसे के लालच की कुन्जी उनकी जुबान, ज़मीर और अन्तर आत्मा पर जकड़ी हुई है. शायद यही उनका ध्येय, ईमान और जीने का मक़सद है. चाहे जो भी होता रहे पर उनके अपने काम चलते रहे बाकी सब भाड़ में जाये.

An appeal to justice for Neeraj Bhadanaइससे दुःखद और चिन्ता जनक बात क्या हो सकती है कि हमारे शहर मुरादाबाद में दूसरे राज्य की बेटी शिक्षा के मन्दिर में सभ्य समाज कहे जाने वाले वातावरण में शिक्षा गृहण करने अपने माता-पिता, भाई, बहन को छोड़कर अपने भविष्य के सुहाने सपने आंखो में सजाये आये और शिक्षा का मन्दिर कहा जाने वाला स्थान उसकी कत्लगाह बन जाये. निराशाजनक और शर्मनाक बात है कि कत्ल के 12 दिन बीत जाने के बाद भी उसके कातिलों का पता अभी तक नहीं चल सका, कालित आराम से बाहर घूम रहे है और उसके माता-पिता एवं परिजन न्याय के लिए दर-दर इन्साफ की भीख मांगते फिरे रहे और जिम्मेदार व्यक्ति अपनी आंखे और जुबान बन्द रखे हुए हैं. इससे बडी़ बेशर्मी, निष्क्रियता, संवेदनहीनता और क्या हो सकती है कि कातिल खुल तौर पर घूम रहे हैं. प्रशासन/शासन की खामोशी सीधी कातिलों की मदद कर रही है. यही सच्ची गुलामी है.

निःसन्देह यह आचरण जानवरपन से भी बदतर है. सोचना चाहिए कि हर एक के घर बेटी और बहन है. हालांकि नीरज हत्याकाण्ड में मुझे यही उम्मीद थी जिस पर चिन्ता व्यक्त करते हुए दिनांक 09.07.2013 को इसीलिए सी0बी0आई0 की जांच की मांग की गयी थी पर सुनेगा कौन? किससे कहें? किसको सुनाये? किससे उम्मीद करें? जब रक्षक ही भक्षक बने बैठे हैं! जवाबदेह शायद अब कोई नहीं…

फिर भी जिम्मेदार लोगों से कहना चाहॅूगा कि अगर शर्म और इन्सानियत नाम की कोई चीज बाकी है तो ‘‘तीर्थांकर महावीर विश्वविद्यालय’’ मुरादाबाद में एम0बी0बी0एस0 की छात्रा नीरज भडाना हत्या-काण्ड में सर्वप्रथम विश्वविद्यालय के मालिक एवं कुलाधिपति श्री सौरभ जैन व उनके बेटे गु्रप वाइस चेयरमैन मनीष जैन को हत्या के इल्जाम में गिरफ्तार करके जेल भेजा जाय. दोनों के पासपोर्ट जप्त किये जाये और दोनों की पिछले 06 माह की फोन व मोबाइल कॉल डिटेल निकलवाई जाय. नीरज की हत्या कहां हुई उसका पता लगाते हुए 15 घण्टे किस कारण घटना पर पर्दा डाला गया और किसने क्यो डाला?

सर्व विदित है कि नीरज की हत्या वाले दिन विश्वविद्यालय के मालिक व प्रशासन ने नीरज को पांचवी मंजिल से कूद कर आत्म हत्या का मामला बताकर गुमराह किया था, उसके लगभग 15 घण्टे बाद पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने साबित किया कि उसने आत्महत्या नहीं की बल्कि उसकी हत्या की गयी है एवं उसके शरीर पर जख्मों के 19 निशान थे और शरीर की कोई भी हड्डी टूटी नहीं है. इसी झूठ से मामले की सच्चाई सामने आ सकती है और हत्या की सारी कहानी सामने आ जायेगी, जिससे मासूम, मज़लूम नीरज के कातिलों को सजा मिल सकेगी. कातिलो की पहचान हो जायेगी और भविष्य में होने वाली ऐसी कई घटनाओं का बचाया जा सकता है. साथ ही नीरज के माता-पिता को सहानुभूति व न्याय मिल सके? यह कह सके कि इन्सायनित एवं इन्साफ अभी जिन्दा है.

अतः माननीय मुख्य मंत्री उत्तर प्रदेश व प्रधानमंत्री भारत सरकार और देश की आम जनता से एक बार पुनः अनुरोध है कि उक्त गम्भीर मामले में अपना मौन तोड़ते हुए नीरज हत्या काण्ड के खुलासे में प्रभावी क़दम उठाये ताकि लोगों का विश्वास बना रहे और मज़लूम के खून का खुलासा हो सके.

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