फिर फंसेगे बेगुनाह… फिर मरेंगे आम लोग… फिर बंटेगा वीरता चक्र…
BeyondHeadlines News Desk
बोधगया, बिहार में धमाके हुए हैं और तफतीश भी शुरू हो चुकी है. वही पुराना, बासी, पैबंद-दार और घीसा-पीटा जांच का फार्मूला एक बार फिर से दोहराया जाएगा. शुरूआत हो चुकी है… पढ़ते जाईए… देखते जाईए और समझते जाईए…
1- पुलिस को आनन फानन में वह बाजार पता चल जाएगा जहां से साइकिल खरीदी गई थी. (ये अलग बात है कि साइकिल की न तो कोई आर सी होती है, नहीं लाइसेंस प्लेट और नहीं चालक का कोई लाइसेंस.)
2- गजब तो ये कि साइकिल की दुकान वाले को साइकिल खरीदने वाले का चेहरा भी हू ब हू याद होगा. चाहे साइकिल महीनो पहले ही क्यों न खरीदी गई हो. वो आतंकियों का स्केच भी हू ब हू तैयार करा देगा और यह स्केच किसी कुख्यात आतंकी चेहरे से मिलता जुलता भी होगा. (ये अलग बात है कि हम जिस दुकान से पानी की बोतल या अखबार खरीदते हैं, उस दुकानदार का चेहरा भी हमें शायद ही याद रहता हो.)
3- अब सुरक्षा एजेंसियां आनन फानन में छापा मारेंगी. संदेहास्पद लोग पकड़े जाएंगे. उनके पास ये चीजें जरूर बरामद होंगी- उर्दू का एक अखबार, पाकिस्तान का झंडा, इंडियन मुजाहिदीन या सिमी का साहित्य, पाकिस्तान मेड असलहा, विदेशी करेंसी… (मानो आतंक के आका आतंकियों को हर ब्लास्ट से पहले एक विशेष प्रकार की किट से लैस कर के भेजते हैं. ब्लास्ट की जगह अलग हो सकती है. ब्लास्ट का समय अलग हो सकता है, मगर ये किट जिसे सुरक्षा एजेंसियां बरामद करती हैं, हमेशा एक सी होती है. कभी नहीं बदलती.)
4- इतना नहीं पुलिस को आनन-फानन में माड्यूल का भी पता चल जाएगा. ये माड्यूल इन्हीं में से एक होगा. पुणे बेकरी ब्लास्ट. मुंबई झावेरी बाजार ब्लास्ट. यूपी संकटमोचन मंदिर ब्लास्ट. जयपुर जौहरी बाजार ब्लास्ट, दिल्ली सीपी-गफ्फार मार्केट धमाके…. माड्यूल का पता धमाके में इस्तेमाल की गई चीजों से चलेगा. जैसे साइकिल, बाल रिंग, शार्पनेल, टाइमर आदि और इसी से साबित हो जाएगा कि धमाके सिमी ने किए हैं, हूजी ने या फिर इंडियन मुजाहिदीन ने ( ऐसा लगता है कि जैसे कापीराइट एक्ट के तहत हर आतंकी संगठन ने अपने अपने धमाकों में इस्तेमाल होने की जाने वाली चीजों का रजिस्ट्रेशन करा लिया हो और एक आतंकी संगठन कानूनन दूसरे आतंकी संगठन के माड्यूल में इस्तेमाल की गई चीजों का इस्तेमाल नहीं कर सकता, नहीं तो शायद पटियाला कोर्ट दिल्ली में कापीराइट एक्ट के तहत इस मामले में दावा भी दायर किया जा सकता है.)
5- ब्लास्ट कोई भी हो, कहीं भी हो, कैसा भी हो, खुफिया एजेंसियों के सूत्रों से मास्टर माइंड का नाम आधे घंटे के भीतर ही फ्लैश होना शुरु हो जाएगा और वो इन्हीं में से कोई एक होगा. रियाज भटकल. इकबाल भटकल. यासीन भटकल… अहमद सिद्धी बप्पा उर्फ शाहरूख उर्फ यासीन अहमद. इलियास कश्मीरी. हाफिज सइद. लखवी… (मानो ये मास्टर माइंड कारनामे को अंजाम देते ही भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को फोन कर रिपोर्ट करते हों कि सरकार काम हो गया, अब आप नाम आगे बढ़ा सकते हैं.)
6- ब्लास्ट के 24 घंटों के भीतर ही इन जगहों पर छापे जरूर पडेंगे. आजमगढ़- उत्तर प्रदेश… दरभंगा- बिहार… नांदेड़ और बीड़- महाराष्ट्र. संदिग्ध आतंकी या तो इन्हीं जगहों से बरामद होंगे या उनका लिंक इन्हीं जगहों से मिलेगा. (मानो यूपीएससी की वेबसाइट पर “अपकमिंग वैकेंसी” के कॉलम में योग्य उम्मीदवारों की एक सूची लगी हो और उनमें इनका नाम दिया गया हो.)
गृहमंत्री महोदय, कृपया ध्यान दें- एयरकंडीशंड कमरों में बैठकर हमारी सुरक्षा एजेंसियों और खुफिया एजेंसियों की इसी दिमागी मौज मस्ती के चलते, असली आतंकी तो पकड़ में आते ही नहीं, हां गरीब कमजोर बेगुनाहों को जेलों में ठूंसकर हर साल 26 जनवरी को वीरता पुरुस्कार जरूर हथिया लिए जाते हैं, नहीं तो अमेरिका में 9/11 के हमले के बाद किसी की कूवत नहीं हो पाई कि सार्वजनिक जगहों पर एक छुरछुरी भी फोड़ सके.