यूपी में हुई हर आतंकी घटना की फिर से जांच हो

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BeyondHeadlines News Desk

लखनऊ : आतंकवाद के नाम पर बेगुनाह मुस्लिम युवकों की रिहाई के सवाल पर वादा खिलाफी हो या पूरे सूबे में हो रही हत्याएं… सपा सरकार हर मोर्चे पर विफल साबित हो चुकी है. कानून के राज की जगह जंगल राज स्थापित हो गया है. लेकिन प्रदेश के मुख्यमंत्री और उनके पिता को कभी मंत्रियों के विभागों के बंटवारे की चिंता सताती है तो कभी पार्टी विस्तार की.

रिहाई मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शुऐब ने कहा कि मानसून सत्र का वक्त जून-जुलाई का महीना होता है, पर प्रदेश सरकार अपने वादे के मुताबिक न मानसून सत्र बुला रही है और न ही आरडी निमेष रिपोर्ट पर कार्यवाई रिपोर्ट ला रही है.

demands for reinvestigation of terror cases in upउन्होंने कहा कि आरडी निमेष रिपोर्ट पर कार्यवाई रिपोर्ट लाने के लिए किसी सत्र की आवश्यकता नहीं है, बल्कि उसे कैबिनेट की मीटिंग में भी रखा जा सकता है, ऐसे में हम प्रदेश सरकार से मांग करते है कि आगामी जो भी कैबिनेट की बैठक हो उसमें वो निमेष कमीशन पर कार्यवाई रिपोर्ट लाए जिससे दोषी पुलिस व आईबी अधिकारियों की गिरफ्तारी व बेगुनाह तारिक कासमी की रिहाई संभव हो सके.

इंडियन नेशनल लीग के राष्ट्रीय अध्यक्ष मोहम्मद सुलेमान ने कहा कि हमें मुल्क के हर बेटे की चिंता है इसीलिए हम पिछले 63 दिनों से सपा के जंगलराज में विधानसभा के सामने बैठे हैं. उन्होंने कहा कि मुलायम को अखिलेश की बड़ी चिंता है और नवनियुक्त मंत्रियों को विभागों के आवंटन की उससे भी ज्यादा चितां है, पर उन्हें इस बात की चिंता नहीं है कि उन्होंने उन दर्जनों युवकों जो जेलों में बंद हैं, जिन्हें यकीन था कि सपा वादे के मुताबिक रिहा कर देगी और वो रमजान के इस पाक महीने में अपने घरों पर रहेंगे और अपने परिवार के साथ ईद मनाते हुए नई जिंदगी की शुरुआत करेंगे के साथ जो धोखा हुआ है उसे मिल्लत माफ नहीं करेगी.

वहीं इंडियन नेशनल लीग के नेता हाजी फहीम सिद्दीकी ने कहा कि रमजान के पाक महीने में हम अपने बेगुनाह बच्चे जिन पर आतंकवाद का फर्जी आरोप लगाया गया था कि लड़ाई लड़ रहे हैं और हमनें यह संकल्प किया है कि अगर सरकार दोषियों को बचाने की ठान रखी है तो हम साफ कर देना चाहते हैं कि हम बेगुनाहों को रिहा करवाने की ठान रखी है. ईद को भी हम इसी मंच पर बने रहेंगे.

रिहाई मंच के इलाहाबाद प्रभारी राघवेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि जिस तरीके से रघुराज प्रताप सिंह जैसे सामन्ती तत्वों को सरकार में लाने की कोशिश हो रही है और जिस तरीके से खुलेआम तिलक, तराजू और तलवार से अपने को गौरवान्वित करने वाली सामंती ताकतें सपा के झंडों से लैस होकर पूरे प्रदेश को रौंद रही हैं उसका खामियाजा सपा को 2014 के चुनावों में भुगतना ही पड़ेगा.

अभी मुस्लिम समुदाय सीओ जियाउल हक की हत्या को भूल भी नहीं पाया था कि रघुराज प्रताप को मंत्रिमंडल में जिस तरह से एक मौलाना के खास रिश्तेदार के सहारे लाने का प्रयास किया जा रहा था वो बहुत ही शर्मनाक है.

रिहाई मंच के आज़मगढ़ प्रभारी मसीहुद्दीन संजरी ने कहा कि मुस्लिम विधायक और मंत्री इन दिनों रमजान के महीने में मुस्लिम समुदाय से यह कह रहे हैं कि सरकार तो निर्दोषों को छाड़ना चाहती है पर कोर्ट नहीं चाहती, तो ऐसे में हम ऐसे भ्रामक प्रचार करने वाले सपा के मुस्लिम नेताओं से कहना चाहेंगे कि पाक रमजान के महीने में ऐसा झूठ प्रचारित न करें. क्योंकि बेगुनाहों की रिहाई और आतंकी घटनाओं में संघी तत्वों की संलिप्तता हर जगह पुर्नविवेचना से ही संभव हो पाई ऐसे में अगर प्रदेश सरकार सचमुच आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाह मुस्लिम युवकों की रिहाई चाहती है तो वो यूपी में हुई सभी आतंकी घटनाओं की जांच एनआईए से कराए.

मानवाधिकार कार्यकार्ता अमित मिश्रा और लक्ष्मण प्रसाद ने कहा कि मुलायम और अखिलेश पर से आय से अधिक संपत्ती मामले में जिस तरह से सीबीआई बरी करने की बात कर रही है उससे साफ हो जाता है कि कांग्रेस की चाकरी का उन्हें तोहफा मिल गया है.

प्रदेश की सपा और बसपा दोनों ने ही इसी सीबीआई के डंडे के डर से एफडीआई के पक्ष में वोट दिया था. खालिद मुजाहिद मामला भी इसी भ्रष्टाचार की नीति में फंसा है क्योंकि अगर सीबीआई जांच करती तो आईबी समेत पुलिस अधिकारी फसते जिससे सीबीआई एक बार फिर सांसत में आ जाती इसीलिए इससे बचने के लिए और अखिलेश सरकार को बचाने के लिए खालिद की मौत पर न ही सपा सरकार और न ही केन्द्र की कांग्रेस सरकार ने कोई दिलचस्पी ली.

रिहाई मंच के प्रवक्ता शाहनवाज़ आलम और राजीव यादव ने बताया कि पोस्ट कार्ड के माध्यम से यूपी के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को पत्र भेजने का अभियान पूरे प्रदेश में चल रहा है. जिसमें जनता मांग कर रही है कि वादे के मुताबिक आप मानसून सत्र बुलाकर और चाहे कैबिनेट बुलाकर आरडी निमेष रिपोर्ट पर कार्यवाही रिपोर्ट लाते हुए दोषी पुलिस अधिकारियों व आईबी की अधिकारियों की गिरफ्तारी और बेगुनाह आज़मगढ़ के तारिक़ कासमी की रिहाई सुनिश्चित करें.

हम अपील करते हैं कि प्रदेश की इंसाफ पंसन्द जनता इस मांग को लेकर मुख्यमंत्री को पत्र लिखे. पत्र लिखने का यह अभियान रिहाई मंच के विधान सभा धरना स्थल पर चल रहा है जहां खुद पहुचकर भी आप इस अभियान में शिरकत कर सकते हैं.

सामाजिक कार्यकर्ता योगेन्द्र सिंह यादव और सैय्यद मोईद अहमद ने कहा कि देश की जेलों में कैदियों की हो रही मौत अमानवीय परिस्थितियों को दर्शाती है. बरेली के केन्द्रीय कारागर में एक साल के अन्दर बारह कैदियों की मौत हो गई और फतेहगढ़ के केन्द्रीय कारागार में एक वर्ष में 27 कैदियों की मौत जेल के अंदर की भयावह स्थितियों को बयां करती है. जेलों में मजदूरों, किसानों और पूरे वंचित समाज को सबसे ज्यादा ठूसा गया है जो न केस लड़ सकते हैं और न ही जेल प्रशासन द्वारा सुविधा शुल्क के नाम पर ली जा रही रिश्वत को दे सकते हैं, उल्टे अपनी गरीबी और लाचारी के चलते यह समाज जेलों में उत्पीड़न का शिकार होता है. ऐसे में देखा जाए तो आज चाहे जेलों में हों या जेल के बाहर इस पूरे वंचित सामज से राज्य ने जीने का अधिकार ही छीन लिया है.

उत्तर प्रदेश की कचहरियों में सन् 2007 में हुए सिलसिलेवार धमाकों में पुलिस तथा आईबी के अधिकारियों द्वारा फर्जी तरीके से फंसाए गये मौलाना खालिद मुजाहिद की न्यायिक हिरासत में की गयी हत्या तथा आरडी निमेष कमीशन रिपोर्ट पर कार्रपायी रिपोर्ट के साथ सत्र बुलाकर सदन में रखने और खालिद के हत्यारों की तुरंत गिरफ्तारी की मांग को लेकर रिहाई मंच का अनिश्चितकालीन धरना मंगलवार को 63 वें दिन भी जारी रहा.

धरने का संचालन मानवाधिकार नेता लक्ष्मण प्रसाद ने किया. धरने में सैय्यद मोईद अहमद, हाजी फहीम सिद्दीकी, मसीहुद्दीन संजरी, एपवा की शोभा सिंह, राघवेन्द्र सिंह, अमित मिश्रा, योगेन्द्र सिंह यादव, मुमताज अहमद, जूबी हसन, ताहिरा हसन, आइसा की सीमा चन्द्रा, कानपुर से विद्या रजवार, हरेराम मिश्र, फैज, शाहनवाज आलम और राजीव यादव ने संबोधित किया.

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