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जुल्म करने वाली सपा सरकार अपनी तबाही ज़रुर देखेगी

BeyondHeadlines News Desk

लखनऊ : खालिद को न्याय दिलाने के लिए रिहाई मंच धरने के दो माह पूरे होने पर पूर्व घोषित कार्यक्रम नमाज़-ए-मग़रिब के बाद दुआ के ऐलान से बौखलाई व कुंठित सपा सरकार द्वारा धरना स्थल पर लगे मंच पर हमला कर उसे उखाड़ देने के बाद आज दूसरे दिन रिहाई मंच के समर्थन में विभिन्न राजनीतिक व सामाजिक संगठनों ने सपा सरकार को अलोकतांत्रिक व मुस्लिम विरोधी करार दिया.

विभिन्न समुदाय के लोगों ने मिलकर सायं 7 बजे होने वाली नमाज़-ए-मग़रिब के लिए रिहाई मंच के धरना स्थल पर झाड़ू लगागर सफाई की, जिससे शाम को रमजान के पाक महीने में मगरिब की नमाज़, दुआ व रोजा अफ्तार का कार्यक्रम हो सके.

indefinite dharna completes 2 monthsरिहाई मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शुऐब ने कहा कि कल सपा सरकार ने हमारा टेंट नहीं जिस तरह से धरने का दमन करने का प्रयास किया और आज जिस तरह विभिन्न समुदाय के लोगों ने मिलकर नमाजियों के लिए विधान सभा के सामने बजबजाती नालियों और गंदगी की सफाई की इसी तरह हम इस सरकार का भी सफाया कर देंगे.

धरने को संबोधित करते हुए मुस्लिम पसर्नल लॉ बोर्ड की मेम्बर नसीम इक्तेदार अली ने कहा कि लोकतांत्रिक सरकार द्वारा रिहाई मंच के धरने के टेंट को तहस-नहस करने का मतलब है कि सरकार डर गई है और वह कांप रही है.

जिस तरह से मंच का सामान तोड़ा गया रिहाई मंच के नेताओं पर धरना खत्म करने का गैर वैधानिक दबाव बनाया गया वह साबित करता है कि रिहाई मंच दिन व दिन मज़बूत हो रहा है और सरकार के पैर कांप रहे हैं. वैसे ही जुल्म करने वालों के दिन ज्यादा नहीं होते आज नहीं तो कल सपा सरकार अपनी तबाही जरुर देखेगी.

इंडियन नेशनल लीग के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मुस्लिम मशावरत के महासचिव मोहम्मद सुलेमान ने अपनी पार्टी की तरफ से रिहाई मंच के धरने को सपा सरकार द्वारा हटाए जाने की कोशिश की कड़े शब्दों में निन्दा की. उन्होंने समाज के हौसले की तारीफ करते हुए कहा कि जिस तरीके से सरकार द्वारा खालिद के न्याय के लिए चल रहे इस संघर्ष को उखाड़ने की कोशिश की गई उसके बरक्स रिहाई मंच के धरने को जिस तरह से कड़ी लू और बारिश में लोकतंत्र पसंद लोगों ने चलाया उसके लिए यह जम्हूरियत रिहाई मंच की शुक्रगुजार रहेगी.

रिहाई मंच ने ऐसे दौर में मिल्लत का हौसला इस आंदोलन के माध्यम से बुंलन्द किया जब मुस्लिम समाज में आईबी का डर घर कर चुका था पर इस दो माह के आंदोलन ने इस डर व दहशत को न सिर्फ खत्म किया बल्कि उससे लड़ने का जज्बा भी दिया है.

पत्रकार फैजान मुसन्ना ने कहा कि दो माह से चल रहे रिहाई मंच के इस धरने की सबसे बड़ी उपलब्धी यह है कि पहली बार बेगुनाहों की पुलिस हिरासत में मौत को लेकर इतना लंबा तारीखी धरना चला. यह धरना नहीं एक इतिहास है जिसे मुस्लिम समाज ही नहीं पूरा वंचित समाज जब भी याद करेगा तो लड़ने का जज्बा उन्हें मिलेगा.

उन्होंने कहा कि हमें खालिद की हत्या का दुख है लेकिन इस बात की खुशी है शहीद खालिद के खून से रंगा यह इंसाफ का परचम मुस्लिम समाज को भारतीय प्रजातंत्र में खुलकर हिस्सा लेने का जज्बा पैदा कर रहा है.

भागीदारी आंदोलन के नेता पीसी कुरील ने कहा कि हमारा संगठन रिहाई मंच के दो महीने के संघर्ष को सलाम करता है और इस अलोकतांत्रिक सपा सरकार की कड़ी शब्दों में निंदा करता है जिसने मंच नहीं देश में लोकतंत्र को उखाड़ फेंकने की कोशिश की है.

कानून का राज स्थापित करने व बेगुनाहों को रिहा करने के झूठे वादे करने वाली सपा सरकार को जब बेगुनहों की रिहाई का आंदोलन इतना खटक रहा है तो हम समझ सकते हैं कि वो बेगुनाहों के साथ जेलों में क्या सलूक कर रही होगी. मैं अपने संगठन भागीदारी आंदोलन की तरफ से रिहाई मंच के संघर्ष के दो महीने होने पर जेलों में आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाह मुस्लिम भाईयों से वादा करता हूं कि आपको न्याय दिलाने के लिए भागीदारी आंदोलन रिहाई मंच के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलेगा.

पिछड़ा समाज महासभा के नेता एहसानुल हक मलिक और शिवनारायण कुशवाहा ने कहा कि खालिद मुजाहिद की शहादत के बाद जिस तरीके से अन्य बेगुनहों का सवाल उठ रहा है वो साबित करता है कि खालिद की मौत ने इस जम्महूरियत को नया रंग दिया है, जिसकी मिसाल दो माह से चल रहा रिहाई मंच का धरना है. उन्होंने कहा कि खालिद के खून ने सपा की जड़ों को हिलाकर रख दिया है. पिछड़ा महासभा इस आदोंलन में अंतिम दम तक रिहाई मंच के साथ रहेगा.

हाजी फहीम सिद्दीकी ने कहा कि आज मिल्लत को जिस तरीके से सरकार ने रमजान के पाक महीने में सड़क पर बैठने के लिए ही नहीं झाड़ू लगाने को मजबूर किया है, उसका बहीखाता मुस्लिम समाज बना रहा है. जिस भी हूकूमत ने मिल्लत पर जुल्म ढाया वो नेस्तानाबूद हुई है यह इतिहास रहा है.

भारतीय एकता पार्टी के नेता सैय्यद मोईद अहमद ने कहा कि बेगुनाहों की रिहाई के लिए चल रहे संघर्ष के लिए रिहाई मंच को बधाई, जिसने रामपुर सीआरपीएफ कैंप कांड जहां दारु पीकर सीआरपीएफ के जवान लड़ मरे और उसे आतंकी घटना कहा का खुलासा किया.

कुंडा प्रतापगढ़ के कौसर फारुकी, मिलक कामरु मुरादाबाद के जंग बहादुर, रामपुर के शरीफ, बहेड़ी बरेली के गुलाब जैसे बेगुनाह युवकों को सरकार जेलों में सड़ा रही है और सपा के मुखिया सपना देख रहे हैं प्रधान मंत्री बनने का. मुलायम की उम्र के साथ उनका भ्रम भी बढ़ने लगे हैं.

धरने के समर्थन में आए जुबैर जौनपुरी ने कहा कि कुछ लोग हमको भड़काना चाहते हैं पर हम साफ कर दें कि हम कोई सपाई गुंडे या संघी हाफ पैंन्टिए नहीं हैं. हम अपने बेगुनाह नौजवान जो जेलों में बंद हैं उनकी लड़ाई लड़ रहे हैं. हम सपा हुकूमत से पूछना चाहते हैं कि वो बार-बार कहती है कि उसके राज में कोई गिरफ्तारी नहीं हुई लेकिन यह गलत है. पिछले साठ दिनों से यह सवाल इस मंच से उठ रहा है कि पिछली 13 मई को सीतापुर के शकील और आजमगढ़ में पढ़ने वाले दो मुस्लिम युवक सपा के राज में ही उठाए गए. जिसका इस झूठी सरकार के पास कोई जवाब नहीं है.

कानपुर से आए अहमद हुसैन ने कहा कि आज जब मैंने अखबार में पढ़ा कि रिहाई मचं के उस मंच को जो न्याय व हक़ की बात करता था उसे सरकार ने उखाड़ फेंकवाया और उसके बाद भी रिहाई मंच जमा रहा तो हमने यह सोच लिया यह मंच ज़रुर सरकार को उखाड़ फेंकेगा. आज यह सरकार जो मुस्लिम हितैषी होने की बात करती है उसके राज में रमजान के पाक महीने में नमाज़-ए-मग़रिब के बाद दुआ के आयोजन को रोकने वाली सपा हुकूमत हो मिल्लत कभी माफ नहीं करेगी.

रिहाई मंच के प्रवक्ताओं ने बताया कि कल 21 जुलाई को धरने के समर्थन में पटना हाईकोर्ट के एडवोकेट मोहम्मद काशिफ यूनुस, चेयरमैन यूनुस फांउडेशन आएंगे.

धरने का संचालन मुस्लिम मजलिस के जैद अहमद फारुकी ने किया. धरने को मोहम्मद शुएब, मोहम्मद सुलेमान, मौलाना कमर सीतापुरी, हाजी फहीम सिद्दीकी, जुबैर जौनपुरी, असदउल्लाह, जूबी अली, मोहम्मद फैज, बब्लू यादव, हरेराम मिश्रा, आलोक अग्निहोत्री, अब्दुल हलीम, बाबूलाल, शाहनवाज आलम और राजीव यादव ने संबोधित किया.

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