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BeyondHeadlines > India > हक़ व इंसाफ का वो वादा क्या झूठ था?
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हक़ व इंसाफ का वो वादा क्या झूठ था?

Beyond Headlines
Beyond Headlines Published July 21, 2013
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8 Min Read
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BeyondHeadlines News Desk

लखनऊ : खालिद मुजाहिद के हत्यारे पुलिस अधिकारियों की गिरफ्तारी और निमेष कमीशन की रिपोर्ट पर कार्रवायी करने की मांग को लेकर चल रहे रिहाई मंच के धरने के समर्थन में उन्नाव से आए सामाजिक कार्यकर्ता आलोक अग्निहोत्री ने कहा कि कल का दिन एक ऐतिहासिक दिन था जब रिहाई मंच के धरने के दो महीने पूरे होने पर सभी मुस्लिम और हिन्दू भाईयों ने इस विधान सभा धरना स्थल पर बेगुनाहों की रिहाई के लिए दुआ मांगी.

उन्होंने कहा कि कल बराबंकी से सूफी उबैर्दुरहमान ने जब गिड़गिड़ातें हुए बेगुनाहों की रिहाई के लिए दुआ मांग रहे थे तो हमारी आंखें नम हो गई कि किस तरह का हम लोकतंत्र बना रहे हैं जहां बेगुनाह जेलों में और गुनहगारों को सरकारों का संरक्षण मिल रहा है और मिल्लत सड़कों पर बैठ कर इस रमजान के पाक महीने में दुआ मांग रही है.

Indefinite dharna to bring Khalid Mujahid's killers to justice completes 61daysउन्होंने कहा कि यह इस लड़ाई की जीत है कि जिस सवाल पर लोग बोलने से बचते थे आज खालिद मुजाहिद की शहादत के बाद दो महीने से बैठे हैं. खालिद मुजाहिद समेत तमाम वो व्यक्ति जो इस राज्य प्रायोजित आतंकवाद की भेंट चढ़ गए हैं आज सवाल कर रहे हैं कि जिस लोकतंत्र ने हमसे वादा किया था हक और इंसाफ का वो वादा क्या झूठ था?

मुस्लिम मजलिस के नेता जैद अहमद फारुकी और पिछड़ा समाज महासभा के एहसानुल हक मलिक ने कहा कि हम जेलों में बंद अपने बेगुनाह भाइयों से आज इस धरने के 61 वें दिन यह कहना चाहेंगे कि इस रिहाई आंदोलन को आपने देखा कि गर्मी से लेकर बरसात तक हम टिके रहे और हमारे इस आंदोलन के भय से अखिलेश यादव मानसून सत्र नहीं बुला रहे हैं क्योंकि अगर जैसे ही मानसून सत्र बुलाएंगे वैसे ही आरडी निमेष कमीशन की रिपोर्ट को विधान सभा के पटल पर रखना पड़ेगा.

पूरे प्रदेश में रिहाई मंच ने मानसून सत्र बुलाकर आरडी निमेष कमीशन को सदन के पटल पर रखने के लिए पोस्ट कार्ड अभियान चला रखा है, हम इस मंच के माध्यम से आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाह मुस्लिम युवकों से अपील करते हैं कि आप सभी लोग जेल से मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को पत्र लिखकर मरहूम मौलाना खालिद मुजाहिद और तारिक कासमी को बेगुनाह साबित करने वाली आरडी निमेष कमीशन रिपोर्ट पर कार्यवाई करते हुए दोषी पुलिस अधिकारियों की गिरफ्तारी की मांग करें.

रमजान के पाक महीने में हर मस्जिद में आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाह मुस्लिम युवकों की रिहाई की दुआ करने की अपील करते हुए हाजी फहीम सिद्दीकी ने कहा कि जिस तरह से कल हिन्दू-मुस्लिम भाइयों ने मिलकर इस विधान सभा के सामने बेगुनाहों की रिहाई के लिए दुआ मांगी उससे साफ है कि देश में सांप्रदायिकता सरकारों की देन है.

हमारे बेगुनाह जो जेलों में बंद हैं हम उनसे कहना चाहेंगे कि आज पूरे प्रदेश में जिस तरीके से आपकी रिहाई के लिए संघर्ष हो रहा है आप अपना हौसला बनाए रखिए और किसी भी जुल्म और ज्यादती की शिकायत आप जरुर हमें बताइए. हम आपसे वादा करते हैं कि आतंवकाद का जो झूठा आरोप आप पर लगाया गया है उसे मिटाकर ही हम दम लेंगे.

धरने को संबोधित करते हुए सामाजिक कार्यकर्ता हरेराम मिश्र भागीदारी आंदोलन के नेता पीसी कुरील ने कहा कि समाजवादी पार्टी की सरकार ने जिस तरह से पुलिस प्रशासन का इस्तेमाल करते हुए रिहाई मंच का लगा हुआ मंच जबरिया उखड़वा दिया उससे यह साबित होता है कि प्रदेश की सपा सरकार के सियासी अस्तित्व के लिए रिहाई मंच एक खतरा बन चुका है.  चूंकि अखिलेश यादव राजनीति में अपरिपक्व हैं उन्हें पता नहीं है कि इस हरकत से वह अपना कितना नुक़सान कर चुके हैं.

इस धरने से यह बात साफ हो चुकी है कि अब मुसलमान मतदाताओं ने बेगुनाहों की रिहाई के सवाल पर अखिलेश सरकार से सवाल करना शुरू कर दिया है जिससे सरकार की बेचैनी बढ़ रही है.

उन्होंने कहा कि सरकार का दोगला चरित्र बेनकाब हो चुका है. आने वाले लोकसभा चुनाव में सरकार का जनाजा ज़रूर निकलेगा.

धरने के समर्थन में पटना से आए मोहम्मद काशिफ यूनुस ने रिहाई मंच के दो माह से चल रही तहरीक के लिए मुबारकबाद देते हुए कहा कि धरने ने यूपी ही नहीं पूरे देश में लोकतांत्रिक लड़ाई लड़ रहे इंसाफ पसन्द अवाम को ताकत दी है.

उन्होंने कहा कि राज्य व केन्द्र सरकारें आम अवाम की सरकारें नहीं है यह कारपोरेट और ब्योरेकेट के गठजोड़ से बनी हुई सरकारें हैं जिसके कारण यह सरकारें आम अवाम की जनभावनाओं की सुनवाई नहीं कर रही हैं, बल्कि कारपोरेट और ब्योरोक्रेट माफियाओं को बचाने में लगी हैं.

खालिद मुजाहिद का केस भी उसी कड़ी का एक सिलसिला है और इसका हल जनसंघर्ष में ही है. जन संघर्ष का जो उदाहरण रिहाई मंच ने पेश किया है उससे पूरे भारत में आतंकवाद के नाम पर बेगुनाह मुस्लिम युवाओं की रिहाई के लिए आंदोलन की एक मजबूत स्थिति बनी है.

अभी लोग देश के तमाम हिस्सों से लखनऊ आ रहे हैं और यह आंदोलन अब पूरे देश में इंसाफ की आवाज़ बनकर उभर रहा है. वह दिन दूर नहीं जब गुजरात के बंजारा और पीपी पांडे की तरह ही यूपी में चाहे वो विक्रम सिंह हो या बृजलाल या अन्य इन सभी दोषी पुलिस अधिकारियों को जेल की सलाखों के पीछे जाना होगा.

महिला संगठन एपवा की नेता ताहिरा हसन ने रिहाई मंच के धरने के टेंट को सरकार के इशारे पर पुलिस द्वारा उखाड़ फेकनें को सपा सरकार का अलोकतांत्रिक क़दम बताया और कहा कि जिस तरीके से रिहाई मंच के लोग बरसात के इस मौसम में खुले आसमान के नीचे बैठे हैं वैसे में अगर सपा सरकार में अगर थोड़ी भी शर्म बची हो तो वो तत्काल रिहाई मंच का टेंट लगवाए.

उन्होंने कहा कि जिस तरीके से समाचार के माध्यमों से यह बात सामने आई कि पुलिस वालों ने रिहाई मंच पर आरोप लगाया कि उनका मंच सांप्रदायिक लोगों का मंच है तो ऐसे में सरकार को धरने में शामिल नेताओं की सूचि जारी करनी चाहिए जिन्हें वह साम्प्रदायिक मानती है. सपा सरकार को साफ करना होगा कि क्या वह सीपीएम महासचिव प्रकाश करात को साम्प्रदायिक मानती है जो इस धरने में शामिल हो चुके हैं.

रिहाई मंच के प्रवक्ताओं ने बताया कि कल 22 जुलाई को सीपीआई (एमएल) के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य व सीपीआई (एमएल) के सेन्ट्रल कमेटी मेंबर व इंकलाबी मुस्लिम कांफ्रेस के अध्यक्ष मोहम्मद सलीम रिहाई मंच के धरने के समर्थन में आएंगे.

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