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Reading: अमिताभ बच्चन के नाम पत्र…
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BeyondHeadlines > India > अमिताभ बच्चन के नाम पत्र…
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अमिताभ बच्चन के नाम पत्र…

Beyond Headlines
Beyond Headlines Published July 6, 2013 1 View
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5 Min Read
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आदरणीय अमिताभ जी,

Contents
सधन्यवाद….Himanshu Kumar

आज मेरे एक मित्र की कृपा से दिल्ली में रिलायन्स मेट्रो में बैठने का मौका मिला. इस पूरी मेट्रो ट्रेन के बाहर और अंदर गुजरात के बारे में आपके विज्ञापन बने हुए हैं. आप विज्ञापन में कह रहे हैं कि “कुछ वक्त तो गुजारिये गुजरात में”

अमिताभ जी! मैं गुजरात में कुछ वक्त गुजारना चाहता हूँ. परन्तु नरेन्द्र भाई मोदी मुझे गुजरात में रुकने नहीं देते. मुझे गुजरात से बाहर फेंक देते हैं! आप पूछेंगे कि मेरी गलती क्या है? तो अमिताभ जी मुझसे गलती यह हो गई थी कि मैं गुजरात के साबरकांठा जिले के कुछ आदिवासियों के गांव में गया था और मैंने कुछ आदिवासियों से उनकी भयानक मुश्किलों के बारे में सुनने की गलती कर दी थी.

अमिताभ जी, आप एक देशभक्त इंसान हैं. इसलिये प्लीज गुजरात के इन आदिवासियों के पास, सर्वाधिक प्राचीन सभ्यता के वारिसों के पास जाइये और उनसे उनकी तकलीफें सुनिये. और साथ में मीडिया को भी ले जाइये. मेरा दावा है नरेन्द्र भाई मोदी आपको भी पुलिस के मार्फ़त, उसी शाम गुजरात के बाहर ज़बरदस्ती फिंकवा देंगे, जैसे उन्होंने मुझे फिंकवाया था.

क्या आपको पता है? गुजरात में लाखों आदिवासी किसानों को सरकार द्वारा वन अधिकार के लाभ से वंचित किया गया है? गुजरात में आदिवासियों को वन भूमि के नए पट्टे देने के बजाय उन्हें उनकी पुश्तैनी खेती की ज़मीनों से भी पीट-पीट कर भगा दिया गया है. मैं इस तरह के अनेकों परिवारों से मिला और मैंने मीडिया को इन घटनाओं के बारे में बताया. अख़बारों ने मेरी यात्रा के बारे में एक लेख छाप दिया जिसका शीर्षक था “स्वर्णिम नो साचो दर्शन” अर्थात “गुजरात सरकार के स्वर्णिम गुजरात का सच्चा दर्शन” बस अगली सुबह पुलिस की तीन जीपें मेरे पीछे लग गयीं.

पहले उन्होंने कहा कि मेरी हर मीटिंग में पुलिस मेरे साथ रहेगी. ऐसा “ऊपर” से हुकुम है. मैं सहमत हो गया, लेकिन रात होते-होते एस.पी. भी आ गया और अन्त में आधी रात में मेरी साइकल पुलिस ने अपनी जीप के ऊपर लादी और मुझे बरसते पानी में महाराष्ट्र की सीमा के भीतर ले जाकर फेंक दिया. मैं धन्यवाद देता हूँ नरेन्द्र भाई मोदी को कि उन्होंने मुझे जान से मरवाया नहीं.

आइये अमिताभ जी! कुछ वख्त असली गुजरात में चलते हैं! आइये अहमदाबाद के मुस्लिम शरणार्थियों के शिविर में चलते हैं! यहाँ आपको कुछ माएं मिलेंगी, जिनकी छातियों का दूध सूख गया है, क्योंकि आँखों के सामने उनके बच्चों कों काट कर फेंक दिया गया था. और जो आज भी इस भयानक सच्चाई को स्वीकार नहीं कर पा रही है!

उन लड़कियों से मिलते हैं जिनके माँ पिता मारे जा चुके हैं! उन नौजवानों की जलती आँखों में झाँक कर देखेंगे, जिनके सामने उनके पूरे परिवार को हमने जय श्री राम के नारे के उद्घोष के साथ जानवरों की तरह काट दिया और जिन्हें इस देश के न्याय तंत्र ने, इस देश की सरकार ने और हमारे समाज ने अपनी स्मृति से मिटा दिया है!

देखिये, नरेन्द्र भाई मोदी की तारीफ ना इस बात में है कि गुजरात में सोमनाथ का मंदिर है, ना नरेन्द्र भाई मोदी की वजह से गीर में शेर होते हैं! और ना ही नरेन्द्र भाई मोदी के कारण कच्छ में सफ़ेद रेत में चांदनी खूबसूरत होती है.

हाँ नरेन्द्र भाई मोदी के रहते हुए गुजरात के आदिवासी गांव में महिला भूख से मर जाये तो इसके लिये वो जिम्मेदार हैं. अगर गुजरात में आदिवासियों को जिन्दा रहने भर भी ज़मीन खेती करने के लिये ना दी जाये! परन्तु 2 लाख एकड़ ज़मीन आदानी, टाटा, अंबानी को दे दी जाये जिसमें सिर्फ ई.टीवी को एक लाख दो हजार एकड़ जमीन दे दी गई हो, तो इसकी जिम्मेदारी ज़रुर नरेन्द्रभाई मोदी की है.

अमिताभ जी! इस बार जब आप गुजरात जाएँ तो सामजिक कार्यकर्ताओं से मिलिएगा! अमित जेठवा की मौत और अनेकों कार्यकर्ताओं को माओवादी कह कर जेल में डाल देने के कारण गुजरात में सामाजिक कार्यकर्त्ता दहशत में हैं!

आप भी इस बार कुछ समय बिताईयेगा अहमदाबाद की झोपडपट्टी में! शहर चलाने वाले लाखों झोपडीवालों को साबरमती के किनारे से उनका घर तोड़कर मरने के लिये शहर से बाहर फेंक दिया गया है. उनके बच्चों ने हाथ जोड़ कर प्रार्थना की थी कि अंकल प्लीज़ हमारे घर मत तोडिये! पर किसी ने नहीं सुना!

तो अमिताभ जी क्या आप तैयार हैं असली गुजरात में कुछ वख्त बिताने के लिये ?

सधन्यवाद….
Himanshu Kumar

TAGGED:Letter to Amitabh Bachchan
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