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मनाल बंसल हत्याकांड : राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने लिया कड़ा रुख

BeyondHeadlines News Desk

अलीगढ़ : ए.एम.यू के बाद बी.एच.यू बनारस में एम.सी.ए प्रथम वर्ष के छात्र मनाल बंसल की निर्मम हत्या को लगभग एक वर्ष होने जा रहा है मगर परिजनों को अभी तक कहीं से राहत नहीं मिली.

System Fails; Head is Headless in Uttar Pradeshगौरतलब है कि मनाल की हत्या विगत 21 अगस्त, 2012 को रैगिंग के विरोध में वाराणसी में हुई थी, अलीगढ़ से जाने के एक माह बाद उसकी लाश परिजनों को दो टुकड़ों में मिली थी, तब से इंसाफ की उम्मीद में आज तक परिजन दर-दर भटक रहे हैं. मृतक छात्र की हत्या से संबंधित जाँच में हो रही हीला-हवाली के कारण ही अब तक प्रारम्भिक साक्ष्य तक सामने नहीं आये हैं.

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने उक्त प्रकरण को परिजनों की शिकायत पर संज्ञान में लेते हुये डी.आई.जी वाराणसी को भेजे पत्र में दो महीने बाद प्राथमिकी दर्ज होने पर कड़ा रुख अपनाते हुये उनसे जबाब माँगा है कि क्यों जी.आर.पी और थाना लंका ने इसे सीमा-विवाद बनाया और क्यों प्राथमिकी दो महीने बाद दर्ज हुई, इसका जबाब चार हफ्ते में माँगा है.

इस संदर्भ में मनाल के पिता ज्ञानेश गुप्ता का कहना है कि कम से कम 11 महीने बाद शरुआत तो हुई वरना हम तो उम्मीद ही छोड़ चुके थे कि जिस तरह शासन से तमाम आदेशों की बनारस पुलिस ने धज्जियां उड़ाई हैं और अभी तक उन पर कोई कार्यवाही नहीं की. इतना ही नहीं शासन को बताने पर भी कोई कार्यवाही नहीं हो रही थी. ज्ञानेश गुप्ता ने दर्द बयां करते हुये कहा कि सी..बी.सी.आई.डी.की जांच के नाम पर पिछले पांच महीने से मिली-भगत कर केस को हर स्तर पर दबाया जा रहा है. मनाल के पिता ज्ञानेश गुप्ता ने आशा जताई है कि मानवाधिकार आयोग के नोटिस के बाद अब जांच के सही दिशा में जाने की उम्मीद है.

नोट:- मनाल बंसल हत्याकांड की पूरी कहानी जानने के लिए नीचे दिए स्टोरी को ज़रूर पढ़े : System Fails; Head is Headless in Uttar Pradesh

 

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