BeyondHeadlines News Desk
लखनऊ : मुसलमानों को आतंकवादी बताकर समाज में ध्रुवीकरण कराने की राजनीति के खिलाफ अवाम को खड़ा होना होगा. हमारी सरकारें अंग्रेजों की बांटों और राज करो की नीति पर चल कर देश और प्रदेश में राज करना चाहती हैं.
खालिद मुजाहिद का सवाल हो या आतंकवाद के नाम पर बंद दूसरे बेगुनाह मुस्लिम नौजवानों का सवाल हो सबके पीछे यही बांटो और राज करो की नीति है. जिस तरह से बेगुनाहों को रिहा करने के नाम पर मुस्लिमों से सपा सरकार वादा खिलाफी कर रही है, उस तरह की गंदी राजनीति इंसाफ के सवाल पर नहीं होना चाहिए.
आरडी निमेष कमीशन की रिपोर्ट ने जब दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवायी की बात कर दी है तो उस पर कोई अमल न करके सरकार असली आतंकी पुलिस अधिकारियों को बचा रही है. जिससे सूबे का सुरक्षा संकट में पड़ गया है. ये बातें स्वामी लक्ष्मीशंकराचार्य ने आज रिहाई मंच के अनिश्चितकालीन धरने के 67 वें दिन कहीं.
शंकराचार्य ने कहा कि इंडियन मुजाहिदीन नाम के किसी संगठन का अस्तित्व ही नहीं है इसके नाम पर पुलिस और सुरक्षा एजेंसियां निर्दोष मुसलमानों को फंसा कर पूरे देश में मुसलमानों को बदनाम करना चाहती हैं. इसके पीछे कांग्रेस समेत सभी पार्टियों का हाथ है.
उन्होंने कहा कि हमारी सरकारें मोसाद और सीआईए से मुस्लिम विरोधी राजनीति की ट्रेनिंग हासिल करके पूरे देश में टेरर पॉलिटिक्स कर रही हैं. जिसे अब अवाम समझने लगी है. इसीलिए सलमान खुर्शीद समेत कांग्रेस और सपा के मुस्लिम वोटों के सौदागर अब मुसलमानों के बीच मुंह दिखाने लायक नहीं बचे हैं.
शंकराचार्य ने कुरान की आयतों का हवाला देते हुये कहा कि जो मुहम्मद को मानने वाला होगा वो दहशतगर्द नहीं हो सकता, क्योंकि इस्लाम अमन का पैगाम देने वाला मजहब है जो किसी भी बेकसूर की हत्या को पूरी मानवता की हत्या मानता है.
इंडियन नेशनल लीग के राष्ट्रीय अध्यक्ष मोहम्मद सुलेमान ने कहा कि केन्द्र सरकार जिस तरह से मुसलमानों के कत्ल को वाजिब ठहराने के लिए इंडियन मुजाहिदीन को स्थापित करने में न्यायपालिका का इस्तेमाल कर रही है वो इस लोकतांत्रिक ढांचें को बुरी तरह से प्रभावित कर रहा है.
आज पूरे मुल्क में आतंकवाद का संरक्षण करने के लिए अमेरिका-इजराइल की खुफिया एजेंसियां सीआईए और मोसाद के सेन्टर पूरे मुल्क में धड़ल्ले से खुले पड़े हैं. एक तरफ आतंकी एजेंसियों को मुल्क में संरक्षण दिया जा रहा है दूसरी तरफ देश से आतंकवाद के खात्मे के नाम पर मुसलमानों पर आतंकी होने का मुखौटा लगाकर कत्लेआम किया जा रहा है. शहजाद प्रकरण जिसका ताजा उदाहरण है जिसमें बाटला हाउस फर्जी मुठभेड़ को सही ठहराने के लिए शहजाद को दोषी करार दे दिया गया.
रिहाई मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शुऐब ने कहा कि शहजाद मामले में जिस तरह फैसला सुनाने वाले जजों ने बटला हाउस जाकर के मौका मुआयना भी नहीं किया और पुलिसिया पटकथा को आंख मूंद कर सही मान लिया उससे जजों के सांप्रदायिक जेहनियत को समझा जा सकता है.
उन्होंने कहा कि आतंवाद जैसे गंभीर आरोपों की सुनवाइयों में सुप्रिम कोर्ट को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि संबधित अदालतों के जज मौका मुआयना करें. क्योंकि आतंक जैसे मामलों में पुलिस अधिकतर मामलों में फर्जी तरीके से लोगों को पकड़ती और उनके खिलाफ झूठे सुबूत गढ़ती है. जिसकी हकीकत को बिना मौका मुआयने के समझना मुश्किल होता है.
उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में सूचना देने वाली केन्द्रीय अभिसूचना ईकाइयों के अधिकारियों के पुराने रिकार्डस को भी न्यायपलिका को संज्ञान में लेना चाहिए. क्योंकि इन एजेंसियों के अधिकारियों पर फर्जी मुठभेड़ कराने के संगीन आरोप लगते रहे हैं, मसलन बटला हाउस में भी आईबी के उसी अधिकारी राजेन्द्र कुमार की सूचना पर फर्जी मुठभेड़ हुआ जो गुजरात के सादिक जमाल मेहतर और इशरत जहां की हत्या में भी शामिल रहा है.
हाजी फहीम सिद्दीकी ने अपील की कि आज 17 रमजान जिसको यौमे बदर के साथ-साथ यौमे फुरकान भी कहते हैं. आज के दिन हक व इंसाफ, जुल्म के खिलाफ मुशरिकीन मक्का, बड़े-बड़े सरदार ने मक्का के खिलाफ मदीना मुनव्वरा से चलकर अस्सी मील यानी तकरीबन 125 किमी चल सिर्फ 313 सहाबी को लेकर मुहम्मद स0 अ0 वसल्लम जंग-ए-बदर के मैदान में पहुंचे थे. एक हजार के लशकर से मुकाबला किया था, जिसमें हक व इंसाफ की जीत हुई थी. आज रिहाई मंच इंसाफ के लिए जम्हूरी जिहाद कर रहा है हम अवाम से अपील करते हैं कि इस जद्दोजहद में सुन्नत समझकर शिरकत करें.
धरने को संबोधित करते हुए लक्ष्मण प्रसाद, सैय्यद मोइद अहमद और आलोक अग्निहोत्री ने कहा कि न्यायपालिका आज जिस तरह से राजनीति से प्रेरित होकर कातिल पुलिस व आईबी के अधिकारियों को बचाने के लिए उनके द्वारा दिए जा रहे पुलिस के मनोबल गिरने जैसे तर्कों पर निर्णय दे रही है दरअसल वो जनता के मनोबल को गिराने की साजिश में सरकारों के साथ लिप्त है.
ऐसे में पूरे देश में जम्हूरियत को बचाने के लिए जनविरोधी न्यायपालिकाओं को घेरना होगा. क्योंकि जो लोकतंत्र इंसाफ नहीं दे सकता उसे लोकतंत्र कहलाने का कोई हक़ नहीं है. उन्होंने कहा कि इसी न्यायपालिका ने जनता के मनोबल को इतना गिरा दिया कि कश्मीर से लेकर आज पूर्वोत्तर तक अलगाववाद के नारे बुलंद हो गए. जबकि अगर सही समय पर जब नाइंसाफी हो रही थी तो उस वक्त अगर राज्य सत्ता पर नियंत्रण करते हुए अवाम के हित में बात की गई होती तो ऐसी परिस्थिति नहीं पैदा होती. रिहाई मंच का बेगुनाहों के इंसाफ की जंग का 67 वां दिन इस बात की तस्दीक कर रहा है कि हम किसी भी कीमत पर इस देश में सच्चे लोकतंत्र के वाहक बनेंगे.
जुबैर जौनपुरी ने कहा कि रिहाई मंच पूरे प्रदेश में पोस्ट कार्ड के माध्यम से अवाम से मुख्यमंत्री के नाम पत्र लिखवाने का काम कर रहा है कि वादे के मुताबिक मुख्यमंत्री आरडी निमेष कमीशन की रिपोर्ट मानसून सत्र बुलाकर दोषी पुलिस अधिकारियों व आईबी के खिलाफ कार्यवाई करें और तारिक कासमी समेत सभी मुसलमान बेगुनाह बच्चों जिन्हें आतंकवाद के नाम पर कैद हैं, उन्हें छोड़ने का वादा पूरा करें.
रिहाई मंच ने अपील की है कि इस अभियान के तहत हजारों पोस्ट कार्ड भरे जा चुके हैं कल से पूरे प्रदेश से अवाम प्रदेश के मुख्मंत्री के नाम पोस्ट कार्ड को डाक घरों से प्रेषित करना शुरु करेगी. हम अपील करते हैं कि आप अधिक से अधिक संख्या में इस पोस्ट कार्ड अभियान में शिरकत करें.
उत्तर प्रदेश की कचहरियों में सन् 2007 में हुए सिलसिलेवार धमाकों में पुलिस तथा आईबी के अधिकारियों द्वारा फर्जी तरीके से फंसाए गये मौलाना खालिद मुजाहिद की न्यायिक हिरासत में की गयी हत्या तथा आरडी निमेष कमीशन रिपोर्ट पर कार्रवायी रिपोर्ट के साथ सत्र बुलाकर सदन में रखने और खालिद के हत्यारों की तुरंत गिरफ्तारी की मांग को लेकर रिहाई मंच का अनिश्चितकालीन धरना शनिवार को 67 वें दिन भी जारी रहा.
धरने का संचालन लक्ष्मण प्रसाद ने किया. धरने को पीसी कुरील, मनोज कुमार, भवन नाथ पासवान, भारतीय एकता पार्टी (एम) के सैयद मोईद अहमद, मौलाना कमर सीतापुरी, इरफान शेख, वासिफ इरफान, हाजी फहीम सिद्दीकी, डा0 हारिस सिद्दीकी, मोहम्मद फैज, फैजान मुसन्ना, जमाल अख्तर, मोहम्मद नसीम, क़मर इरशाद, मोहम्मद हासिम, डा0 अजीम खान, बलरामपुर से आए रफीक सुल्तान खां, कमल कुमार यादव, जूबी हसन, मो0 शमीम, शेख मोहम्मद आमिर कुरैशी, आलोक अग्निहोत्री, शिब्ली बेग, बब्लू यादव, लक्ष्मण प्रसाद, शाहनवाज आलम और राजीव यादव ने संबोधित किया.