BeyondHeadlines News Desk
लखनऊ : रिहाई मंच ने कांग्रेस नेता शकील अहमद के बयान कि इंडियन मुजाहिदीन गुजरात दंगों के बाद मुसलमानों द्वारा प्रतिक्रिया में बनाया गया संगठन है, पर टिप्पणी करते हुए कहा कि शकील अहमद आईबी की भाषा बोल रहे हैं.
रिहाई मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शुऐब ने कहा कि जिन चार्जशीटों के हवाले से वह यह बात कह रहे हैं उसमें हर जगह यही बताया गया है कि पुलिस या एटीएस को कथित आतंकीयों के बारे में केन्द्रिय अभिसूचना ईकाइ से जानकारी मिली थी कि ये मुस्लिम युवक इंडियन मुजाहिदीन से जुड़े हैं जिसे उन्होंने गुजरात 2002 के दंगों का बदला लेने के लिए बनाया है.
रिहाई मंच के सदर ने कहा कि जिस आईबी के लोग इशरत जहां समेत कई फर्जी मुठभेडों के मास्टरमाइंड हों, जिनपर देश के अंदर आतंकी बम धमाके कराने और सैकड़ों लोगों को मारने का आरोप सामाजिक संगठन लगाते रहे हों उसके हवाले से कही जाने वाली बातों को सिर्फ गुमराह करने की कोशिश ही कहा जा सकता है.
वहीं रिहाई मंच के प्रवक्ताओं राजीव यादव और शाहनवाज आलम ने कहा कि कांग्रेस की यह हमेशा की नीति रही है कि वह एक साथ दो तरह की बातें करती है. एक तरफ तो वह दिग्विजय सिंह और शकील अहमद के मुंह से गुजरात 2002 के जनसंहारों और आतंकवाद के लिए भाजपा को जिम्मेदार बताती है लेकिन उसका अपना हिंदु वोट बैंक भाग न जाए इसलिए बात आगे बढ़ने पर उसे उनका व्यक्तिगत विचार कह कर कांग्रेस को उससे अलग कर लेती है.
कांग्रेस इस दोहरी राजीनीति की सबसे एक्सपर्ट पार्टी है वह एक साथ धर्मनिरपेक्ष भी दिखना चाहती है और साम्प्रदायिक भी. उन्होंने शकील अहमद के बयान को जल्द ही बाटला हाउस पर आने वाले फैसले से जोड़ कर देखते हुये कहा कि यह बयान फैसले के बाद कांग्रेस को होने वाले नुक़सान के डैमेज कंट्रोल की कोशिश है. जिससे कांग्रेस को कोई लाभ नहीं होने जा रहा.
उन्होंने कहा कि शकील अहमद इंडियन मुजाहदीन पर तो बोल रहे हैं लेकिन हाल ही में सीनियर अफसरशाह आरवीएस मणि के बयान पर कुछ नहीं बोल रहे हैं जिन्होंने संसद हमले और 26/11 के मुम्बई हमले को भारतीय सुरक्षा एजेंसियों की करतूत बताया था. क्योंकि अगर उस पर बात बढ़ेगी तो इशरत जहां फर्जी मुठभेड़ की मास्टर माइंड आईबी का और भी खतरनाक और देशद्रोही चेहरा उजागर हो जाएगा.
आतंकवाद के नाम पर हमारे मुसलमान भाइयों को जिस तरह से आईबी और खुफिया विभाग के लोग टारगेट पर रखकर संघ की राजनैतिक मुहिम को पूरा कर रहे हैं वह इस देश के सियासी ढांचे के लिए बेहद खतरनाक है. आज जब यह बात साफ हो चुकी है कि मक्का मस्जिद धमाकों में तथा समझौता एक्सप्रेस बम ब्लास्ट केस में आरएसएस के लोग संलिप्त थे तो फिर किन वजहों से हमारे ही कौम के लोगों पर शक किया जाता है.
मौलाना खालिद की हत्या कराकर समाजवादी पार्टी की सरकार ने संघ के ही राजनीतिक एजेंडे को ही पूरा किया है और जिस तरह से आज खालिद के हत्यारे खुले आम सड़क पर घूम रहे हैं वह इस देश के लोकतंत्र के लिए शर्मनाक है. उपरोक्त बातें फतेहपुर के कासिमी इमाम व खदीब जामा मस्जिद के ईदगाह मौलाना हबीब कासमी ने रिहाई मंच के अनिश्चितकालीन धरने पर उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहीं.
उन्होंने कहा कि इस सत्ता का बादशाह हमारी आवाज़ को नहीं सुन रहा है. हम इंसाफ चाहते हैं लेकिन हम यह साफ करना चाहते हैं कि इस जुल्म का बदला आगामी लोकसभा चुनाव में लेगें. अवाम वक्त आने पर अपने मौलाना के इस खून का हिसाब ज़रूर लेगी.
उन्होंने कहा कि आईबी और एसटीएफ वाले जाल बुनकर नौजवानों को पकड़ते हैं. उन्होंने सरकार से मौलाना खालिद के हत्यारों को तत्काल गिरफ्तार करने की मांग की.
धरने को संबोधित करते हुए उन्नाव के ज़मीर अहमद खां ने कहा कि सरकार को लैपटाप बांटकर फिर से सत्ता नहीं मिल सकती. मुसलमानों को 18 प्रतिशत आरक्षण देने की बात भी पूरी नहीं हुई है. मुसलमानों के साथ नाइंसाफी हो रही है. लेकिन इंसाफ एक दिन ज़रूर मिलता है. हम अपने उसूल के मुताबकि रिहाई मंच के इस धरने को कायम रखने में सहयोग करते रहेंगे. ये शासक वर्ग हमें हिकारत की नज़र से देखता है लेकिन उसे याद रखना चाहिए कि इस मुल्क में इंसाफ पसंद आवाम की तादाद ज्यादा है.
धरना स्थल पर मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए मुस्लिम मजलिस के खालिद साबिर और जैद अहमद फारूकी ने कहा कि आज केंद्र सरकार के मंत्री आपस में ही लड़ रहे हैं. इस समय यह सवाल मौजू है कि आईएम को किसने बनाया यह बात जनता के सामने लायी जाए. क्योंकि बहुत सारे संगठन और लोगों का मानना है कि आईएम खुद आईबी द्वारा बनाया गया एक फर्जी संगठन है जिसके नाम पर निर्दोष मुस्लिम नौजवानों को सरकारें फंसाती है.
हाईकोर्ट के अधिवक्ता व रिहाई मंच के नेता राघवेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में इंसाफ की लड़ाई के लिए उत्तर प्रदेश की विधानसभा के सामने रिहाई मंच के लोगों को चौसठ दिनों तक बैठना पड़ रहा है जो कि बेहद चिंता का विषय है. सूबे में मुस्लिम वोटों के सहारे सत्तासीन हुई अखिलेश सरकार मुसलमानों के साथ इंसाफ करने के बजाय इस पर उठ रही लोकतांत्रिक आवाजों को भी दबाना चाहती है. इससे समाजवादी पार्टी का असली चेहरा अवाम के सामने खुल कर आ गया है.
धरने को संबोधित करते हुए सामाजिक कार्यकर्ता योगेन्द्र सिंह यादव, लक्ष्मण प्रसाद ने कहा कि उत्तर प्रदेश में लोकतंत्र का क्रमशः क्षरण हो रहा है. दलित, मुस्लिम, बनवासी, आदिवासी अर्थाभाव में बीमारी व भुखमरी से दम तोड़ रहे हैं. सपा हुकूमत बडे़ कारपोरेट घरानों के हित में किसानों को तबाह करने वाली नीतियां लागू कर रही है, जिससे किसान आज पूरे सूबे में भूखमरी के कगार पर पहुंच गया है. उन्होंने कहा कि पूरे सूबे के गांवों में अंधेरा छाया है रौशनी सिर्फ सैफई तक पहुंच रही है. यही मुलायम के समाजवाद का सच है.
उत्तर प्रदेश की कचहरियों में सन् 2007 में हुए सिलसिलेवार धमाकों में पुलिस तथा आईबी के अधिकारियों द्वारा फर्जी तरीके से फंसाए गये मौलाना खालिद मुजाहिद की न्यायिक हिरासत में की गयी हत्या तथा आरडी निमेष कमीशन रिपोर्ट पर एक्शन टेकन रिपोर्ट के साथ सत्र बुलाकर सदन में रखने और खालिद के हत्यारों की तुरंत गिरफ्तारी की मांग को लेकर रिहाई मंच का अनिश्चितकालीन धरना बुधवार को 64 वें दिन भी जारी रहा.
धरने का संचालन लक्ष्मण प्रसाद ने किया. धरने के 64 वें योगेन्द्र सिंह यादव, मोहम्मद शुऐब, लक्ष्मण प्रसाद, सैयद मोईद अहमद, जूबी हसन, बब्लू यादव, कमर सीतापुरी, एम के यूनुस, जमीर अहमद खान, खालिद साबिर, अमित मिश्र, जैद अहमद फारूकी, शेख जौनपुरी, इनायत उल्ला खां, राघवेन्द्र प्रताप सिंह, वासिफ, रावेन्द्र सिंह उर्फ इबाद खान, मौलाना शफी साबरी, असद उल्लाह, महमूद आलम अबरार अहमद फारूकी अंसारी इलियास अंजुम, हाजी फहीम सिद्दीकी, शाहनवाज आलम, राजीव यादव ने भी धरने को संबोधित किया.