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मुस्लिम विरोधी एजेंडे पर सियासी दलों और न्यायपालिका की एकता खतरनाक

Beyond Headlines
Beyond Headlines Published July 31, 2013 1 View
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BeyondHeadlines News Desk

लखनऊ : रिहाई मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शुऐब ने कहा कि आतंकवाद के नाम पर मुसलमानों को निशाना बनाने के मसले पर जिस तरीके से राजनीतिक दलों और न्यायपालिका में सहमति बन रही है वो मुस्लिम समाज के लिए ही नहीं बल्कि लोकतंत्र के लिए खतरनाक है.

जिस तरीके से मोदी को मारने के नाम पर भाजपा गिरोह ने हिन्दुस्तान के मुसलमानों के बच्चों को आतंकवादी ठहराया और 2007 में उसी नक्शे क़दम पर चलते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर आतंकी हमले के नाम पर और 23 दिसंबर 2007 को मायावती सरकार में ही मायावती को मारने के नाम पर दो कश्मीरी लड़को का फर्जी एनकाउंटर किया गया और अब जिस तरीके से कांग्रेस ने बाटला हाउस मुठभेड़ को सही ठहराने के लिए शहजाद पर न्यायपालिका से डंडा चलवाया…

Unity of political parties & judiciary against Muslims is dangerous for democracyयह सब दर्शाता है कि मुसलमानों को आतंकवाद के चक्रव्यूह में राजनीतिक पार्टियों ने फांस लिया है. जहां कातिल ही थानेदार बन जाते हैं. ठीक यही हाल सपा सरकार का है जिसे मुस्लिम समाज ने आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाहों की रिहाई के सवाल पर सत्ता में लाया लकिन अब वो भाजपा के ही साम्प्रदायिक एजेण्डे को बढ़ाने में लगी है. जिसकी तस्दीक खालिद की हत्या की सीबीआई जांच न कराना है. ऐसे तमाम सवालों को लेकर जल्द हम एक जनसुनवाई करेंगे.

मुस्लिम मजलिस के नेता जैद अहमद फारुकी ने कहा कि रमजान का महीना है और रिहाई मंच आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाह मुस्लिम युवकों की रिहाई को लेकर जो आंदोलन चला रहा है उस पर सरकार के नुमाइंदे बोलने को तैयार नहीं है. हम अवाम से चाहेंगे कि वो सपा के विधायकों, मंत्रियों और सांसदों से पूछे कि आपने रिहाई का वादा किया था लेकिन  बेगुनाह आज भी जेलों में क्यों बंद हैं.

उन्होंने अपील की कि बेगुनाहों की रिहाई के लिए अलविदा जुमा की नमाज़ में मुस्लिम भाई दुआ मांगे और हमारे उलेमा अपनी तक़रीरों में इस सपा सरकार की जुल्म और ज्यादती पर अवाम को जागरुक करें.

भागीदारी आंदोलन के नेता पीसी कुरील और भवननाथ पासवान ने कहा कि बेगुनाह जेलों में कैद हैं और पिछले 71 दिनों से चल रहे रिहाई मंच के धरने पर सरकार कोई जवाब नहीं दे रही है ऐसे में यह साफ है कि इंसाफ को व्यवस्था ने कैद कर लिया है. जिन कथित सामाजिक न्याय की ताकतों ने सत्ता ही इसी वादे के साथ पाया हो कि वो वंचित तबकों के साथ इंसाफ करेंगे वो अब खुद वंचित तबकों पर हमलावर हैं. ऐसे में हमें अपनी जातीय या धार्मिक अस्मिता से ऊपर उठना चाहिए क्योंकि इंसान और इंसाफ बचेगा तभी आप सुरक्षित रहेंगे.

इंडियन नेशनल लीग के राष्ट्रीय अध्यक्ष मोहम्मद सुलेमान और भारतीय एकता पार्टी के अध्यक्ष सैय्यद मोइद अहमद ने कहा कि रिहाई मंच पोस्ट कार्ड और ईमेल अभियान के तहत पूरे प्रदेश से मुख्यमंत्री को पत्र लिखा जा रहा है कि सरकार अपने बादे के मुताबिक आरडी निमेष कमीशन की रिपोर्ट को मानसून सत्र बुलाकर कार्यवाई रिपोर्ट के साथ रखते हुए तारिक़ कासमी और मरहूम मौलाना खालिद मुजाहिद को गलत तरीके से आतंकवाद के आरोप में फंसाने वाले पुलिस व आईबी अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाई करे। तारिक कासमी समेत आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाहों की रिहाई सुनिश्चित करे. इन्हीं मांगों को लेकर पिछले 22 मई 2013 से रिहाई मंच विधान सभा धरना स्थल पर अनिश्चितकालीन धरने पर बैठा है.

इंडियन नेशनल लीग के नेता हाजी फहीम सिद्दीकी, मौलाना कमर सीतापुरी और डा0 आफताब ने कहा कि सपा सरकार ने जो मुगालता पाला था कि रमजान के महीने में रिहाई मंच का यह संघर्ष रुक जाएगा तो इस मुगालतें को धता बताते हुए हमने संघर्ष जारी रखा. आज हर आदमी एक ही बात पूछ रहा है कि सरकार कब मानसून सत्र बुला रही है और कब आरडी निमेष कमीशन की रिपोर्ट को सदन के पटल पर रखते हुए कार्यवाई कर रही है. अवाम की यह जागरुकता साफ कर रही है कि जो मुस्लिम समाज खुफिया एजेंसियों के डर और दहशत में था उस डर को इस आंदोलन ने खत्म कर दिया है.

पिछड़ा समाज महासभा के एहसानुल हक मलिक ने कहा कि यह सरकार जनता का विश्वास खो चुकी है और सरकार नए सिरे से जनादेश प्राप्त करे. क्योंकि जो सरकार इस डर की वजह से की मानसून सत्र बुलाने पर उसे आरडी निमेष आयोग की रिपोर्ट को सदन के पटल पर रखना होगा वह सत्र नहीं बुला रही है, जनता के सवालों का जवाब देने की हिम्मत नहीं कर पा रही है उसे सत्ता में बने रहने का कोई अधिकार नहीं है.

रिहाई मंच के प्रवक्ता शाहनवाज़ आलम और राजीव यादव ने जेल में आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाह मुस्लिम नौजवानों से अपील की 15 अगस्त आने वाला है, जिस दिन इस मुल्क को आजादी मिली थी. ऐसे में जेलों में कैद बेगुनाह भाई मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को पत्र लिखें कि अगर उनकी सरकार उनको बेगुनाह मानती है तो यह कौन सी व्यवस्था है जिसमें बेगुनाहों को जेलों में रहना पड़ रहा है. क्योंकि सरकार ने रामपुर सीआरपीएफ कैंप पर हुए कथित आतंकी हमले, वारणसी में हुए धमाकों, यूपी कोर्ट ब्लास्ट, गोरखपुर सीरियल ब्लास्ट पर सवाल उठा चुकी है.

उन्होंने जेल में कैद बेगुनाहों से अपील की कि वो मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर मांग करें कि अगर आप आतंकी घटनाओं पर सवाल उठा चुके हैं तो इन आतंकी घटनाओं की पुर्नविवेचना एनआईए जैसी एजेंसी से कराएं, क्योंकि राज्य की एजेंसियों पर उनका भरोसा नहीं है.

उत्तर प्रदेश की कचहरियों में सन् 2007 में हुए सिलसिलेवार धमाकों में पुलिस तथा आईबी के अधिकारियों द्वारा फर्जी तरीके से फंसाए गये मौलाना खालिद मुजाहिद की न्यायिक हिरासत में की गयी हत्या तथा आरडी निमेष कमीशन रिपोर्ट पर कार्रवायी रिपोर्ट के साथ सत्र बुलाकर सदन में रखने और खालिद के हत्यारों की तुरंत गिरफ्तारी की मांग को लेकर रिहाई मंच का अनिश्चितकालीन धरना बुधवार को 71 वें दिन भी जारी रहा.

धरने में भारतीय एकता पार्टी (एम) के सैय्यद मोईद अहमद, मौलाना कमर सीतापुरी, हारून अहमद, डॉ. मुख्तार अहमद, इरफान अहमद, वासिफ इरफान, सुनील मौर्या, जीमल फरीदी, हाजी फहीम सिद्दिीकी, हरे राम मिश्रा, बब्लू यादव, मोहम्मद फैज, अभिषेक आनंद, शाहनवाज आलम और राजीव यादव शामिल रहे.

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