विसरा रिपोर्ट के ज़रिए सच्चाई को छुपाना चाहती है सरकार

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BeyondHeadlines News Desk

लखनऊ : उत्तर प्रदेश की कचहरियों में वर्ष 2007 में हुए सीरियल धमाकों के आरोप में फंसाये गये मौलाना खालिद मुजाहिद की पुलिस हिरासत में हुई हत्या के विरोध में, आरोपी पुलिस एवं आई बी अधिकारियों की गिरफ्तारी मांग को लेकर एवं देश भर में आतंकवाद फैलाने के आरोप में जेलों में बंद निर्दोष मुस्लिम नवयुवकों की तुरंत रिहाई की मांग को लेकर रिहाई मंच का विधान सभा पर चल रहा अनिश्चित कालीन धरना आज 52वें दिन भी जारी रहा. आज क्रमिक अनशन पर दिल्ली से आये पत्रकार विजय प्रताप, लक्षमण प्रसाद, मुन्ना झा बैठे.

इस अवसर पर रिहाई मंच के प्रवक्ताओं शाहनवाज़ आलम और राजीव यादव ने बताया कि धरने के 55वें दिन 15 जुलाई, सोमवार को दोपहर दो बजे माकपा के राष्ट्रीय महासचिव प्रकाश करात धरने के समर्थन में मौजूद रहेंगे.

Viscera report misleadingरिहाई मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शुऐब ने कहा कि खालिद के बिसरा रिपोर्ट कि उनकी मौत ज़हर देने से नहीं हुई, पर टिप्पणी करते हुए कहा कि इस रिपोर्ट में वही कहा गया है जिसका अंदेशा शुरू से देश की जनता को था कि सरकार इन रिपोर्टों के ज़रिए खालिद की हत्या को उन तमाम तथ्यों मसलन खलिद के नाक पर खून के धब्बे होना, गर्दन की हड्डी का टूटा होना, बांह की कुहनियों पर ज़ख्म के निशान होना, होंठ और उंगलियों के नाखूनों का नीला पड़ जाना जो विष देकर की गयी हत्या का प्रमाण होता है, को बड़ी बेशर्मी से खारिज करते हुए कह देगी कि खालिद की मौत स्वाभाविक है.

उन्होंने कहा कि पूरे देश ने खालिद के शरीर पर इन जख्मों के निशान देखें है. अगर सपा हुकूमत यह सोचती है कि इस तरह की रिपोर्ट लाकर इस सच्चाई को वह छिपा लेगी तो यह उसका भ्रम है. उन्होंने कहा कि इस रिपोर्ट को जिस तरह ‘आतंकवादी खालिद का विसरा रिपोर्ट’ लिखा गया है उसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि रिपोर्ट को किस साम्प्रदायिक मानसिकता से बीमार लोगों ने लिखा होगा.

उन्होंने कहा कि जब खालिद पर मुक़दमा अभी चल ही रहा था और उसे किसी अदालत ने सजा नहीं सुनायी थी तब उसे विसरा रिपोर्ट में आतंकवादी कैसे कह कर सम्बोधित किया गया है. इसकी जांच होनी चाहिए और दोषियों पर कार्रवायी होनी चाहिए.

उन्होंने कहा कि आज सपा और भाजपा दोनों खालिद मुजाहिद की मौत को स्वाभाविक बता रही हैं जिससे इनके बीच का गठजोड़ उजागर हो जाता है. उन्होंने कहा कि खालिद की हत्या का रहस्य छिपाने के लिए बाराबंकी के पूरे सरकारी अमले ने शुरू से ही साक्ष्यों को मिटाने की कोशिश की ताकि हत्या को स्वाभाविक मौत बताया जा सके. इसी साजिश के तहत बाराबंकी प्रशासन ने पंचनामें में स्थानीय लोगों और रिहाई आंदोलन के समर्थकों को पंच नहीं बनाया बल्कि समाजवादी पार्टी से जुड़े नेताओं को पंच बनाया, पंचनामें की विडियोग्राफी भी ठीक से नहीं करवाई और पंचनामें पर उठे सवालों के बाद वादा करने के बावजूद दुबारा पंचनामा नहीं करवाया.

उन्होंने कहा कि सरकार ने सीबीआई जांच कराने का वादा किया था लेकिन उसने सीबीआई को खालिद की हत्या से जुड़े दस्तावेज नहीं भेजें क्योंकि अगर जांच हो जाती तो खालिद की हत्या में सरकार की भूमिका उजागर हो जाती.

धरने को संबोधित करते हुए झारखण्ड से आये मानवाधिकार नेता मुन्ना झा ने कहा कि मैं झारखण्ड की तरफ से इस आंदोलन के समर्थन में इसलिए आया हूं कि खालिद मुजाहिद की तरह ही हजारों आदिवासी बेगुनाह नौजवानों को वहां की सरकारें माओवाद के नाम पर फर्जी मामलों में फंसाती हैं, फर्जी एनकाउंटरों में तो कभी अपनी अभिरक्षा में उनकी हत्याएं करा देती हैं.

उन्होंने कहा कि जिस तरह झारखण्ड में जल, जंगल और जमीन की लूट के खिलाफ उभर रहे जन आक्रोश को दबाने के लिए आदिवासियों को मारा जा रहा है उसी तरह यूपी समेत पूरे देश में मुसलमानों को निशाना बनाया जा रहा है क्योंकि मुस्लिम समाज उस अमरीकी साम्राज्यवाद के खिलाफ है जो देश में सांप्रदायिक विभाजन कराकर साम्राज्यवाद के लिए रास्ते खोलना चाहता है.

मानवाधिकार नेता ने कहा कि जब तक हिन्दू मुसलमान एक साथ नहीं खड़े होंगे देश की संप्रभुता को नहीं बचाया जा सकता. सपा हुकूमत पर मुस्लिम विरोधी होने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि मुस्लिम विरोधी साम्राज्यवादी मुल्क अमरीका के साथ कांग्रेस सरकार का न्यूक्लियर डील कराने वाली सपा ने एक साल में 27 बड़े दंगे कराकर साबित कर दिया है कि सपा भाजपा और कांग्रेस के साथ संघ परिवार के फासिस्ट एजेंडे को लागू करने की प्रतिस्पर्धा कर रही है, जिसका मुहतोड़ जवाब 2014 में देना होगा.

धरने को संबोधित करते हुए दिल्ली से आये पत्रकार विजय प्रताप ने कहा कि आज पूरे सूबे में वंचित और गरीब तबके की बहन बेटियों के साथ बलात्कार हो रहे हैं, बलात्कार पीडि़ताओं की जबानें दबंग काट दे रहे हैं ताकि कोई शिकायत न कर सके. इससे समझा जा सकता है कि सूबे में अपराधियों का ही नहीं इंसानियत के दरिंदे भेडि़यों के हौसले भी बुलंद हो गये हैं. लेकिन यह बड़े ही शर्म की बात है कि इन बलात्कार के दोषियों को सजा दिलाने के बजाय मुलायम सिंह एससी एसटी एक्ट के तहत मुक़दमा झेल रहे सवर्ण सामंती ताकतों पर से मुक़दमा हटाने की बात करते हैं. उन्होने कहा कि मुलायम के इस कुत्सित बयान और बलात्कार की इन घटनाओं के बीच सीधा रिश्ता है.

भारतीय एकता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मोहम्मद मोईद ने कहा कि खालिद की हत्या कराकर सपा हुकूमत ने अपनी उल्टी गिनती शुरू करवा ली है. खालिद के साथ इंसाफ होने में जैसे-जैसे देरी होगी वैसे वैसे सपा की कब्र भी खुदती जायेगी.

उन्होंने कहा कि सपा हुकूमत ने सपा के उन तमाम अपराधियों को जेल से बाहर निकाल दिया जिनका समाज में मौजूद होना समाज को असुरक्षित करता है. लेकिन आतंकवाद के नाम पर बंद निर्दोष मुस्लिम नौजवानों को सरकार नहीं छोड़ना चाहती. जो मुसलमानों के साथ ही नहीं इस प्रदेश की इंसाफ पसंद आवाम के साथ धोखा है.

धरने में एहसानुल हक मलिक, योगेन्द्र सिंह यादव, हरे राम मिश्र, लक्ष्मन प्रसाद, मिर्जा यासीन बेग, रामकृष्ण, मो समी, मौलाना कमर सीतापुरी, फैज,  मोहम्मद इसहाक, शाकिर, नरेन्द्र सिंह, आदि योग, डी उन सैयद, जैद अहमद फारूकी, मोहम्मद फहीम सिद्दीकी, राजीव यादव और शाहनवाज आलम सहित अनेक लोग मौजूद थे.

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