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अशोक सिंहल के पड़ोसी का एक पत्र…

Imran Pratapgarhi for BeyondHeadlines

प्रिय अशोक सिंहल साहब …! मैं इलाहाबाद में आपका पड़ोसी हूं..! आपके हाशिमपुर रोड वाले घर से महज़ कुछ क़दम की दूरी पर रहता हूं..! आप और आपके कार्यकर्ता इस वक़्त एक बड़े मिशन पर हैं..! आपको एक ज़रूरी सूचना देनी है…

A letter from a neighbor of Ashok Singhalइलाहाबाद में तीसरी बार भीषण बाढ़ आई हुई है. हज़ारों लोग बेघर हैं… सलोरी, अल्लापुर, गोविन्दपुर, दारागंज, राजापुर, गंगापुर, करेली, सल्लाहपुर… इन सारे इलाकों में हज़ारों घर डूब गए हैं… पीड़ितों में ज़्यादातर हिन्दू भाई हैं… मासूम, बेबस, ग़रीब हिन्दू भाई…

आपको ये तो पता ही होगा कि आपके घर के ठीक सामने कमला नेहरू कैंसर संस्थान है… कभी अपने घर की चारदीवारी से निकलकर उस कैंसर हॉस्पिटल की चारदीवारी की भी परिक्रमा कर लीजिए… हज़ारों मासूम, ग़रीब, लाचार… कैंसर पीड़ित… .ज़्यादातर हिन्दू भाई…

आपका मिशन… अयोध्या के आसपास 84 कोस की परिक्रमा! मेरा अनुरोध आपसे बस इतना था… कि कभी अपने घर के इर्द-गिर्द सिर्फ़ 8 कोस की परिक्रमा कर देते, अपने कार्यकर्ताओं के साथ… लोगों को बचाने के लिए… बाढ़ से निज़ात दिलाने के लिए…

शायद! भगवान राम… कहीं ज़्यादा ख़ुश होते… टीवी चैनल पर चलती हुई वाहियात ख़बरें देख रहा हूं और अपने अयोध्या के शायर दोस्त’जमुना प्रसाद उपाध्याय’का एक शेर याद कर रहा हूं…

पुजारी भी नहीं हैं जो, नमाज़ी भी नहीं हैं जो, वो मंदिर और मस्ज़िद के लिए ग़मगीन रहते हैं.! अयोध्या है हमारी और हम सब हैं अयोध्या के, मगर सुर्ख़ी में सिंहल और शहाबुद्दीन रहते हैं…!!!

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