BeyondHeadlines News Desk
लखनऊ : रिहाई मचं के अध्यक्ष मोहम्मद शुएब ने कहा है कि जिस प्रदेश के बेगुनाह जेलों में बंद हों और संजरपुर, आज़मगढ़ के चार लड़कों समेत 8 लड़के लापता हों, उस प्रदेश में सोचा जा सकता है कि आम आदमी कितना स्वतंत्र है.
उन्होंने कहा कि संजरपुर जहां के साजिद और आतिफ को बाटला हाउस फर्जी मुठभेड़ में मारा गया था. उस आज़मगढ़ के डा0 शाहनवाज, साजिद, खालिद, अबू राशिद, मो0 आरिज, मिर्जा शादाब बेग, असदुल्ला अख्तर और वासिक मीयर जिनको पिछले पांच साल पहले आईबी जैसी एजेंसियों ने 2008 में अपहरण किया था वो लोकतंत्र का अपहरण था जिसका जवाब सरकारों को देना ही होगा.
ऐसे ही सवालों को कल विधान सभा पर आजादी की 66वीं वर्षगांठ इस प्रदेश में आतंवकाद के नाम पर पीडि़त और दंगा पीडि़त उठाएंगे कि क्या हुआ मुलायम का वादा.
धरने को संबोधित करते हुए मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित सामाजिक कार्यकर्ता संदीप पाण्डे ने कहा कि कल हम आजादी की वर्षगांठ मनाने जा रहे हैं. पिछले 85 दिन से चल रहे रिहाई मंच के इस आंदोलन ने साबित कर दिया है कि इंसाफ पाना जनता का लोकतांत्रिक अधिकार है और वो उसको लेकर रहेगा. वो आजादी जिसके बाद इस बात की गारंटी की गई थी कि देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था में हर नागरिक को इंसाफ होगा. ऐसे में बेगुनाहों की रिहाई के लिए चल रहे रिहाई मंच के इस धरने के तीन महीने होने जा रहे हैं और प्रदेश सरकार अब तब खालिद के न्याय के सवाल पर सिर्फ मौन ही नहीं है बल्कि खालिद के कातिलों के पक्ष में खड़ी होकर उन्हें बचाने का प्रयास कर रही हैं.
उन्होंने कहा कि जिस सपा सरकार के हाथ खालिद की हत्या से रंगे हुए हैं उसे देश के तिरंगे को फहराने का कोई हक़ नहीं है. उन्होंने कहा कि कल जहां विधानसभा धरना स्थल पर प्रदेश भर के लोग अपनी मांग को लेकर धरने पर हैं, वहीं दूसरी तरफ जिस विधानसभा पर कल स्वतंत्रता दिवस की तैयारियां चल रही हैं. उस विधानसभा का सत्र बुलाने की अखिलेश यादव को हिम्मत नहीं है वो वादा करके भी आरडी निमेष अयोग की रिपोर्ट को सत्र बुलाकर नहीं रखा.
संदीप पांडे ने बताया कि खालिद को न्याय दिलाने के लिए और बेगुनाहों की रिहाई के लिए चल रहे इस लोकतांत्रिक आंदोलन के समर्थन में सांप्रदायिकता के सवालों पर ज़मीन और अपनी फिल्मों के माध्यमों से लड़ने वाले मुंबई के फिल्म निर्देशक आनंद पटवर्धन भी जल्द आएंगे.
रिहाई मंच के प्रवक्ता शाहनवाज आलम और राजीव यादव ने बताया कि जिस तरीके से आतंकवाद के बड़े-बड़े मामलों चाहे वो संसद हमला हो या फिर 26/11 मुंबई हमला जिसमें दो लोगों को फांसी हो गई है, उसमें अब यह बात सरकारी अधिकारियों के द्वारा सामने आ रही है कि इन घटनाओं को सरकारों ने करवाया था. ऐसे में हम आजादी की 66 वीं वर्षगांठ से इस मुहीम को चलाएंगे कि अब किसी व्यक्ति को इस देश में फांसी नहीं हो. एक तो यह मानवता विरोधी है दूसरी आज जब खुलासा हो रहा है कि सरकारें आतंकी घटनाओं में संलिप्त है तो ऐसे में हम देश में हुई तमाम घटनाओं की एनआईए से जांच कराने की मांग करते हैं, क्योंकि प्रदेश की जांच एजेंसियां गुनहागारों को पकड़ने में कम बेगुनाह मुस्लिम नौजवानों को फंसाने में ज्यादा सक्रिय हैं. ऐसे अगर देखा जाए तो देश में भगवा आतंक का जो खुलासा हुआ ज्यादातर मामलों में एनआईए ने किया.
रिहाई मंच के प्रवक्ताओं ने कहा कि आजादी के 66वीं वर्षगांठ पर रिहाई मंच 2002 में गुजरात में हुए अक्षरधाम हमले जिसे मोदी सरकार और आईबी ने कराया के मामले में फर्जी तरीके से फंसाए गए बरेली के चांद खान, अहमदाबाद के मुफ्ती क़यूम और मौलाना अब्दुल्लाह जिन्हें फांसी की सजा हो गई है पर एक राष्ट्रीय स्तर पर मुहीम चलाएगा कि इनकी फांसी की सजा को रद्द करते हुए पूरे मामले की पुर्नविवेचना कराई जाए. क्योंकि अक्षरधाम मंदिर पर हमले के नाम पर फंसाए गए इन तीनों को उसी पुलिस व आईबी की टीम ने फंसाया है जो लोग इशरत जहां से लेकर सादिक जमाल मेहतर की आतंकवाद के नाम पर फर्जी एनकाउंटर कर दिया.
आज जब सच्चाई सबके सामने आ गई है कि चाहे वो सिंघल, बंजारा, अभय चुड़ास्मा हों या फिर पिछले दिनों का भगोड़ा पीपी पाण्डे जब यह लोग हत्या कर सकते हैं तो इनके आरोपों के आधार पर कैसे किसी को फांसी दी जा सकती है.
रिहाई मंच के कल आजादी की वर्षगांठ पर इस मुहीम को शुरु इसलिए भी कर रहा है कि निष्पक्ष विवेचना न्याय का आधार होती है और जब इस मामले में विवेचना करने वाले खुद आतंकवाद के मामलों में झूठा फंसाने के आधार पर जेल की सीखचों के पीछे हों तो ऐसे में कैसे किसी को फांसी दी जा सकती है. जनसुनवाई में अक्षरधाम मामले में फांसी की सजा पाए लोगों परिजन भी शामिल होंगे.
धरने को संबोधित करते हुए सामाजिक कार्यकर्ता अनिल आजमी और हरे राम मिश्रा ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार जो आजकल लैपटाप बांटने में मशगूल हैं जल्द सामने आ जाएगा कि यूपी में लैपटाप को लेकर मल्टीनेशनल कंपनियों से कितने बड़े स्तर पर लॉबिग की गई थी और जिस तरीके से आईएएस अधिकारी सूर्य प्रताप सिंह का मामला सामने आया है कि 2004 से लापता यह अधिकारी नौ साल बाद वापस आने के बाद जिस तरीके से इस अधिकारी को अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास का प्रमुख सचिव नियुक्त किया गया है, उससे साफ होता है कि यह सरकार भ्रष्ट अधिकारियों को सिर्फ बचाती ही नहीं है बल्कि उनको नियुक्त करके मल्टीनेशनल कंपनियों से देश को बेचनी की तैयारी कर रही है.
भागीदारी आंदोलन के पीसी कुरील, मुस्लिम मजलिस के जैद अहमद फारूकी, पिछड़ा समाज महासभा के शिवनारायण कुशवाहा और भारतीय एकता पार्टी के सैय्यद मोईद अहमद ने कल अवाम से ज्यादा से ज्यादा तादाद में शामिल होने की अपील की.
धरने का संचालन अनिल आज़मी ने किया. धरने को रिहाई मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शुऐब, इंडियन नेशनल लीग के राष्ट्रीय अध्यक्ष मोहम्मद सुलेमान, आईएनएल राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हाजी फहीम सिद्दीकी, पिछड़ा समाज महासभा के एहसानुल हक़, क़मर सीतापुरी, शिवनारायण कुशवाहा, अनिल आजमी, बबलू यादव, शेख इरफान, मोहम्मद फैज़, फैजान मुसन्ना, राजीव यादव ने संबोधित किया.