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Reading: जेएनयू के छात्र हेम मिश्रा की गिरफ्तारी लोकतंत्र पर हमला
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BeyondHeadlines > India > जेएनयू के छात्र हेम मिश्रा की गिरफ्तारी लोकतंत्र पर हमला
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जेएनयू के छात्र हेम मिश्रा की गिरफ्तारी लोकतंत्र पर हमला

Beyond Headlines
Beyond Headlines Published August 24, 2013
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11 Min Read
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BeyondHeadlines News Desk

लखनऊ : रिहाई मंच ने जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय के छात्र व संस्कृतिकर्मी हेम मिश्रा की महाराष्ट्र के गढ़चिरौली की अहेरी पुलिस द्वारा की गई गिरफ्तारी की निंदा करते हुए इसे लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमला बताया.

रिहाई मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शुऐब ने कहा कि सरकारों ने देश की जनता के खिलाफ युद्ध घोषित कर रखा है और जब कोई पत्रकार, संस्कृतिकर्मी, मानवाधिकार नेता जब आदिवासियों के क्षेत्र में जाता है तो उसे माओवादी बताकर और किसी राज्य दमन के मुस्लिम क्षेत्र में जाता है तो उसे आईएसआई और आतंकवादी बताकर गिरफ्तार किया जाता है.

arresting of JNU student is attack on democracyउन्होंने कहा कि इसी तरह कुछ साल पहले वंचित समाज की आवाज़ उठाने वाले पत्रकार हेमचन्द्र पाण्डे को आन्ध्र प्रदेश में फर्जी मुठभेड़ में मारा गया था, तो वहीं आतंकवाद के नाम पर गिरफ्तार होने के बाद बरी होने पर बेगुनाह मुस्लिम नौजवानों का मुक़दमा लड़ने वाले शाहिद आज़मी को मुंबई में उनके चेंबर में हत्या कर दी गई. यह कठिन दौर है पर संघर्ष का दौर है ऐसे में रिहाई मंच हेम मिश्रा को तत्काल रिहा करने की मांग करता है.

बाराबंकी के सूफी उबैदुर्रहमान ने अवाम से अपील की है कि तमाम मुश्किलों और झंझावात में भी मौलाना खालिद के न्याय व आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाहों की रिहाई के लिए चल रहा यह धरना 29 अगस्त को 100 दिन पूरा कर रहा है. बेगुनहों की रिहाई के लिए चल रहे इस संघर्ष को आंदोलनों की तारीख में हमेशा याद किया जाएगा.

रमजान के महीने में जिस तरह से सरकार ने रिहाई मंच का टेंट उखड़वाकर बेगुनाह मुस्लिम बच्चों की लड़ाई को कमजोर करना चाहा उसके बावजूद सरकार के इरादों को पस्त करते हुए अवाम धरने पर बनी रही और रमजान के महीने में इस धरने पर दो-दो बड़ी संयुक्त दुआवों के आयोजन में जिस तरीके से शिया, सुन्नी और हिन्दू भाई शामिल हुए वैसे ही 29 अगस्त को खालिद के न्याय व आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाहों की रिहाई के लिए बड़ी तादाद में विधान सभा मार्च में शामिल होकर अवामी तहरीक का नया इतिहास बनाएं.

धरने के समर्थन में कानपुर से आए इंडियन नेशनल लीग के अब्दुल हफीज ने कहा कि जिस तरीके से चुनावी मौसम के आते ही सियासी नेताओं ने मुसलमानों को लुभाने के लिए रेवड़ी बांटने का काम शुरु कर दिया है. इसी तरह कुछ मुस्लिम रहनुमा उस रेवड़ी को ज्यादा से ज्यादा बटोरने के लिए सियासी नेताओं के दरबारों में हाजिरी लगा रहे हैं.

बेजान इमारतों के लिए कानून बनाए जाने पर उलेमाओं का झुंड हाजिरी देने पहुंच जाते हैं लेकिन आतंकवाद के नाम पर कैद हजारों नौजवानों की जिन्दगी बचाने के लिए कभी किसी तहरीक में शामिल होने की ज़रुरत महसूस नहीं करते और जब बेगुनाह बच्चों की रिहाई का सवाल आता है तो उस पर कहते फिरते हैं कि यह दीनी मामला नहीं है सियासी मामला है और उसके लिए संघर्ष करना हमारे एजेंडे का हिस्सा नहीं है. ऐसे लोगों से हम पूछना चाहेंगे कि जो काम वो बेजान इमारतों के लिए करते हैं वो काम इंसानों के लिए क्यों नहीं करते.

उन्होंने कहा कि इसी तरह वो लोग जो हमेशा हुकूमतों की गोद में बैठकर मुस्लिम कौम को ब्लैक मेल करते रहे हैं और चुनावी मौसम में अपने आपको जिंदा दिखाने और रेवड़ी लेने के लिए मुसलमानों की बुरी हालत पर सरकार को झूटमूट का आईना दिखाने और मुस्लिम कौम को उसकी हालत का जिम्मेदार ठहाराने का काम करते है, उनको मालूम होना चाहिए कि रिहाई मंच एक साल में अवाम को ऐसा आइना दिखा दिया है, जिसमें यह कौमी रहनुमा हुकूमतों के साथ हाथ में हाथ डाले नज़र आते है.

उन्होंने कहा कि जिस तरह सीरिया में आम अवाम पर जहरीली गैस का इस्तेमाल करके पूरे समुदाय का जंनसंहार किया गया ऐसे अमानवीय कृत्यों की हम घोर निंदा करते हैं. जहरीली गैस के कारण 1300 से अधिक लोगों की मौत पर हम उन्हें श्रद्धांजलि देते हैं.

हारिस सिद्दीकी, जैद अहमद फारूकी और ज़मीर अहमद खान ने कहा कि एक वक्त 2012 के चुनावों का था जब मुलायम ने सत्ता में आने के लिए आतंकवाद के नाम पर बेगुनाह मुस्लिम नौजवानों को छोड़ने का वादा किया था दूसरा वक्त आज का है कि सपा ने सिर्फ बेगुनाह मुस्लिम नौजवानों को छोड़ने के वादे से सिर्फ वादा खिलाफी ही नहीं कि बल्कि पूरे प्रदेश को दंगों के की आग में झोंक दिया.

मुलायम ने सांप्रदायिकता का दांव खेलते हुए पहले सिंघल को बुलाकर पंचकोसी परिक्रमा के लिए हरी झंडी दिखाई फिर बाद में उसे रोकने का नाटक करने के नाम पर प्रदेश के मुसलमानों के अंदर 20 साल पुराना बाबरी मस्जिद के दौर के भय को व्याप्त करने की कोशिश की है. जिसे आज जनता जान चुकी है. ऐसे में खालिद की हत्यारी सरकार को सबक सिखाने के लिए अवाम भारी तादाद में विधान सभा मार्च करे.

इंडियन नेशनल लीग के हाजी फहीम सिद्दीकी और पिछड़ा समाज महासभा के शिवनारायण कुशवाहा और एहसानुल हक मलिक ने कहा कि मुसलमान टोपी पहनाने की सियासत न करें. क्योंकि वो तो एक बार इन राजनेताओं को टोपी पहनाता है पर इसके सहारे वो पूरे कौम को टोपी पहनाते हैं.

उन्होंने कहाकि भारतीय राजनीति में यह अजब की चीज है कि मुसलमान जिसके साथ रहता है उसे सेक्यूलर कहा जाता है और मुसलमान से टोपी पहनकर मुसलमानों पर जुल्म और ज्यादती करने वाले नेता भी सेक्यूलर हो जाते हैं. राजनेताओं के लिए टोपी जैसे सेक्यूलर होने का सर्टीफीकेट हो गई है पर वही टोपी जब कोई मुसलमान पहनता है तो उसको शक की निगाह से देखा जाता है और मुल्क में ऐसे बहुत से मामले हैं, जहां दाढ़ी-टोपी के नाम पर मुसलमानों को आतंकवादी घटनाओं में फंसाया गया.

मौलाना खालिद मुजाहिद भी उसी कड़ी में हैं कि जब उनके बेगुनाही का सबूत निमेष कमीशन सामने आ गई तो सपा सरकार के संरक्षण में विक्रम सिंह, बृजलाल, मनोज कुमार झां, अमिताभ यश जैसे पुलिस व आईबी अधिकारियों ने उनकी हत्या करवा दी. जो मुलायम और अखिलेश मौके बे मौके मुसलमानों को खुश करने के लिए टोपी पहन लेते हैं आज वो भी मौलाना खालिद के हत्यारों को बचाने के लिए आरडी निमेष कमीशन की रिपोर्ट को सदन के पटल पर रखने से भाग रहे हैं. ऐसे में मुसलमान टोपी पहनने पहनाने की अपनी आदत को छोड़ दे क्योंकि इससे उसके मसायल हल नहीं होने वाले हैं.

सामाजिक कार्यकर्ता फैजान मुसन्ना ने कहा कि नेशनल सैम्पल सर्वे ने अपने सर्वेक्षण में साफ कर दिया है कि भारतीय मुसलमान 33 रूपए रोज़ पर जिंदगी गुजार रहा है. यह सर्वे सरकारी संस्था ने किया है. लिहाजा केंद्र सरकार को मुसलमानों को बीपीएल कार्ड जारी कर दे.

रिहाई मंच के प्रवक्ता राजीव यादव और शाहनवाज़ आलम ने बताया कि 29 अगस्त को होने वाले धरने मे प्रदेश की अखिलेश सरकार और इसके पहले पिछली मुलायम सरकार में आतंकवाद के नाम पर गिरफ्तार लोगों के परिजन व दंगा पीडि़त विधान सभा मार्च में शामिल होंगे. जो सपा सरकार अपने सेक्यूलर होने के बयान रोज़ देती रहती है और किसी बड़ी घटना के बाद चाहे वो कुंडा के जियाउल हक का मामला हो यह कहती फिरती है कि मुलायम होते तो ऐसा नहीं होता उस सपा सरकार को आइना दिखाने लिए अवाम विधान सभा पर मार्च करेगी कि अखिलेश नहीं मुलायम के राज मे भी आतंकवाद के नाम पर लोग पकड़े गए और सपा सरकार के संरक्षण में दंगे हुए जिस तरह अखिलेश सरकार में हो रहे हैं.

प्रवक्ताओं ने कहा कि सपा के लोग जो बार-बार कहते हैं कि उनके शासन में कोई गिरफ्तारी नहीं हुई तो हम 29 अगस्त को सपा सरकार में 13 मई 2012 को एटीएस द्वारा उठाये गये सीतापुर के निवासी मोहम्मद शकील समेत चार और गिरफ्तारियों समेत पिछली मुलायम सरकार में इलाहाबाद के वलीउल्ला और मेरठ के डा0 इरफान, मो0 नसीम, शकील अहमद, मो0 अजीज के सवालों को भी उठाएंगे.

रिहाई मंच के प्रवक्ताओं ने बताया कि 29 अगस्त के विधानसभा मार्च के लिए कल लखनऊ के बिल्लौजपुरा इलाके में रफीक सुल्तान खान और रिजवान के नेतृत्व में जनसभा की गई. आज कसाई बाड़े में रिहाई मंच की जनसभा होगी.

यूपी की कचहरियों में 2007 में हुए धमाकों में पुलिस तथा आईबी के अधिकारियों द्वारा फर्जी तरीके से फंसाए गये मौलाना खालिद मुजाहिद की न्यायिक हिरासत में की गयी हत्या तथा आरडी निमेष कमीशन रिपोर्ट पर कार्रवायी रिपोर्ट के साथ सत्र बुलाकर सदन में रखने और आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाहों को छोड़ने की मांग को लेकर रिहाई मंच का धरना शनिवार को 95वें दिन भी जारी रहा.

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