कुर्सी की रेस में सभी एक ही थैली के चट्टे बट्टे हैं

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BeyondHeadlines News Desk

लखनऊ : उत्तर प्रदेश की समाजवादी सरकार मुसलमानों से चुनाव के वक्त किये गये किसी भी वादे को पूरा करने में पूरी तरह से फेल हो चुकी है. सरकार ने कार्पोरेट घरानों के पक्ष में तो कभी आरआरएस के पक्ष में जनता को लूटने और जेलों में डालने का काम किया है. इस सरकार में किसी की कोई सुनवायी नहीं है.

आतंकवाद के नाम पर बेगुनाह मुस्लिम नौजवान जेलों में बंद हैं और उन्हें छोड़ने के वादे के साथ सत्ता में आयी सरकार सरकार-परस्त उलेमाओं को इफ्तार करवा कर अपने निकम्मेपन को छुपाना चाहती है. ये बातें रिहाई मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शुऐब एडवोकेट ने रिहाई मंच के अनिश्चतकालीन धरने के 75 वें दिन कहीं.

Indefinite dharna to bring Khalid Mujahid's killers to justice completes 2 and half monthsधरने को संबोधित करते हुए मुस्लिम मजलिस के नेता जैद अहमद फारूकी और हरेराम मिश्र ने कहा कि एक तरफ सरकार अपने एक खनिज माफिया को लाभ पहुंचाने के लिए एक अफसर को निलंबित करके मुस्लिम समाज का हितैषी होने का दावा कर रही है, वहीं दूसरी ओर मालेगांव ब्लास्ट में ग्यारह बेगुनाह मुस्लिम नौजवानों को फंसाने वाले आईपीएस अफसर अरुण कुमार झा को उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था की कमान सौंप दी है.

सपा सरकार द्वारा मुलायमवादी मुसलमानों द्वारा प्रचारित करवाया जा रहा है कि लखनऊ का शिया-सुन्नी फसाद भाजपा द्वारा कराया जा रहा है. जबकि राज्य में शासन सपा का है. पांच दिन से लगातार राजधानी में फसाद बिना सरकार की साजिश के मुमकिन नहीं है. सपा मुसलमानों से पिछले विधान सभा चुनाव में किये गये वादों को पूरा नहीं कर पायी है जिससे मुसलमानों में जबरदस्त आक्रोश है. इसीलिए सपा मुसलमानों को भाजपा का डर दिखा कर वोट लेना चाहती है.

एक तरफ कांग्रेस गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को सांप्रदायिक बताकर देश के प्रधानमंत्री पद के लिए अयोग्य साबित कर रही है. जबकि 2002 में गुजरात नर संहार के बाद मोदी को चुनाव जितवाने में  बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्षा मायावती के साथ कांग्रेस के मौजूदा प्रवक्ता राशिद अल्वी भी गये थे. जो आज कांग्रेस का मुस्लिम चेहरा हैं, जबकि 2012 में संपन्न हुए गुजरात विधान सभा चुनावों में कांग्रेस ने सांप्रदायिक मोदी को जिताने का काम किया है.

इसका सबूत यह है कि मुसलमानों की तब्लीगी जमात को फंडिंग कर जनपद बांदा के जामिया अरबिया हथौरा में तबलीगी जमात का तीन दिवसीय इज्तमा 16,17,18 नवंबर 2012 को करवाया था, जिसमें लगभग 35 लाख लोग सम्मिलित हुए थे जिसमें 20लाख से अधिक मुसलमान गुजरात के उन इलाकों से आये थे जो मुस्लिम बाहुल्य इलाके थे.

उन्होने कहा कि देश के मुसलमानों को सेकूलरिज्म के नाम पर सपा, बसपा, कांग्रेस मुसलमानों को बेवकूफ बनाते रहते हैं. तथा इसी आड़ में भाजपा हिन्दुओं को अल्पसंख्यक होने का डर दिखा कर बेवकूफ बनाती है. इन सबका आपसी गठजोड़ है. बारी-बारी से देश के धन और संसाधनों को बारी बारी से लूटा जाये.

आज समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव व उनके पुत्र मुख्यमंत्री अखिलेश यादव रोजा इफतार के नाम पर पांच मिनट की टोपी लगाकर पांच साल के लिए टोपी पहनाने की योजना बनाएंगे. अब मुस्लिम समुदाय को अपने भविष्य के लिए इन सबसे हट कर सोचना पड़ेगा.

धरने को संबोधित करते हुए उन्नाव से आये सामाजिक कार्यकर्ता व पत्रकार आलोक अग्निहोत्री और इंडियन नेशनल लीग के राष्ट्रीय अध्यक्ष मोहम्मद सुलेमान ने कहा कि सपा सरकार आम जनता के बीच अपना विश्वास खो चुकी है.

खालिद मुजाहिद की न्यायिक हिरासत में हुई हत्या ने यह सिद्ध कर दिया है कि प्रदेश में कानून व व्यवस्था की जगह आतंक का राज्य है और जिसका अलंबरदार मुख्यमंत्री अखिलेश यादव लैपटॉप, कन्याधन से लेकर तरह तरह के झुनझुने हाथों में थमाकर  भोले भाले नौजवानों को भरमाने का काम कर रहे हैं. साथ ही मुस्लिम समुदाय को रोजा इफतार और मौलानाओं को तरह तरह के तिलिस्म और करतब में शामिल कर पूरी मिल्लत को हक़ और हुकूक़ से मरहूम कर रहे हैं. जो उनका बुनियादी अधिकार है.

कुर्सी की इस सियासी और साजिशी दौड़ में सपा नागपुर के मठ से संचालित है यह साफ जाहिर हो चुका है. इस साजिशी दौड़ में उसका और भाजपा का सीधा गठबंधन है. और अंदरखाते कांग्रेस और बसपा भी नीतिगत तौर पर उससे कहीं अलग नही है बल्कि कुर्सी की रेस में सभी एक ही थैली के चट्टे बट्टे हैं. इन सबकी एक ही कोशिश है कि भारत की आवाम अपने हक और हुकूक के मूल सवालों से हमेशा भटकी रहे.

आज देश और प्रदेश के आम आदमी को एक जुट होकर सारे जनवादी सवालों के लिए वर्ग, वर्ण, लिंग और धर्म के मकड़जाल से बाहर आकर इसे एक आम जनता की व्यापक आजादी की लड़ाई में बदलन होगा. इन गिरगिट नुमा दोगले राजनीतिक  दलों के मकड़जालों को ध्वस्त कर आम आदमी को सत्ता के केन्द्र में पहुंचाना होगा.

धरने को संबोधित करते हुए भारतीय एकता पार्टी के नेता सैय्यद मोइद अहमद और इंडियन नेशनल लीग के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हाजी फहीम सिद्दीकी ने कहा कि आज जिस तरह से लखनऊ सुलग रहा है वह यह साबित करता है कि सपा सरकार की अपने राजनैतिक हित के लिए फसादियों का साथ दे रही है. यह बेहद शर्मनाक है कि लखनऊ तीन दिन जलता रहा और सरकार ने लखनऊ के प्रशासनिक अधिकारियों पर कोई कार्यवाही नहीं की.

उत्तर प्रदेश की कचहरियों में सन् 2007 में हुए सिलसिलेवार धमाकों में पुलिस तथा आईबी के अधिकारियों द्वारा फर्जी तरीके से फंसाए गये मौलाना खालिद मुजाहिद की न्यायिक हिरासत में की गयी हत्या तथा आरडी निमेष कमीशन रिपोर्ट पर कार्रवायी रिपोर्ट के साथ सत्र बुलाकर सदन में रखने और खालिद के हत्यारों की तुरंत गिरफ्तारी की मांग को लेकर रिहाई मंच का अनिश्चितकालीन धरना रविवार को 75 वें दिन भी जारी रहा.

धरने का संचालन रिहाई मंच के प्रवक्ता राजीव यादव ने किया. धरने को मोहम्मद शुऐब, मोहम्मद सुलेमान, इंडियन नेशनल लीग के मो0 समी, हाजी फहीम सिद्दीकी, रफीक सुल्तान खान, सैयद मोईद अहमद, असदुल्ला, शेख इरफान, तारिक शफीक, अमित मिश्रा, हरे राम मिश्र, फैज, बब्लू यादव, आलोक अग्निहोत्री, जैद अहमद फारूकी, शिव दास प्रजापति, सादिक खान, अब्दुल हलीम सिद्दीकी ने संबोधित किया.

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