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आतंकी एलर्ट के बहाने आईबी दोषी पुलिस व आईबी अधिकारियों को बचाने की फिराक में

BeyondHeadlines News Desk

लखनऊ : रिहाई मंच ने कहा कि जिस तरीके से देश में आतंकवादी घटनाओं में बेगुनाह मुस्लिम नौजवानों को फंसाने वाले पुलिस व आईबी अधिकारियों का संरक्षण किया जा रहा है उससे इस देश की आंतरिक सुरक्षा को खतरा पैदा हो गया है.

Indefinite dharna to bring Khalid Mujahidचाहे सवाल इशरत जहां के हत्या में शामिल पुलिस अधिकारी पीपी पांडे, आईबी अधिकारी राजेन्द्र कुमार का हो या फिर यूपी में खालिद की हत्या में शामिल पुलिस अधिकारी विक्रम सिंह, बृजलाल, मनोज कुमार झा और आईबी के अधिकारियों का हो इन सभी पुलिस अधिकारियों के बचाव में जिस तरीके से राज्य व केन्द्र सरकार सामने आ रही है वो साबित करता है कि इन मुस्लिम युवाओं की हत्याओं में सरकारों की सिर्फ संलिप्तता ही नहीं है बल्कि वो देश में हुई आतंकी घटनाओं के असली गुनहगारों को नहीं पकड़ना चाहते.

रिहाई मंच के इलाहाबाद प्रभारी राघवेन्द्र प्रताप सिंह और प्रवक्ता राजीव यादव ने कहा कि कल जिस तरीके से गुजरात के वलसाड में आतंकियों के घुसने का आईबी ने एलर्ट जारी किया उसके पीछे आईबी इशरत के हत्यारे पुलिस अधिकारी पीपी पांडे के भगोड़े होने के सवाल को मोड़कर मुस्लिमों को ही कटघरे में लाना चाहती है. उन्होंने कहा कि आईबी बताए कि पीपी पांडे कैसे भागा, क्या आईबी को नहीं मालूम था कि पीपी पाण्डे भागने वाला है और अगर नहीं मालूम था तो फिर किस बात की आईबी है.

यह अहम सवाल है कि आईबी ने आज तक कभी भी हिन्दुत्वादी आतंकियों को लेकर कभी भी एलर्ट नहीं जारी किया, यह बात साबित करती है कि देश में पल रहा हिन्दुत्वादी आतंक आईबी के संरक्षण में फैलाया जा रहा है जो देश मे आतंकी घटनाएं करवाकर इंडियन मुजाहिदीन का नाम लेकर बेगुनाह मुस्लिम युवकों को फंसाने का कार्य करती है.

रिहाई मंच ने कहा है कि इससे पहले जब आईबी अधिकारी राजेन्द्र कुमार का नाम आया तो आसिफ इब्राहिम की खुली धमकी के बाद जिस तरीके से आईबी ने बोध गया में धमाके करवाए. ऐसे में संभावना लगती है कि पीपी पाण्डे पर फंसी सरकार व आईबी फिर से आतंकी वारदात कराकर देश को दहला दे.

रिहाई मंच ने मांग की कि जिस तरीके से गैरजिम्मेदाराना तरीके से आईबी हाई अलर्ट जारी कर देश के नागरिकों को आतंकित करती है ऐसे में आईबी को संसद के प्रति जिम्मेवार बनानी की बहुत ज़रुरत हो गई है.

धरने के 82 वें दिन रिहाई मंच के धरने के समर्थन में दिल्ली से आए जमात-ए-इस्लामी हिन्द के अध्यक्ष मोहम्मद अहमद ने कहा कि यूपी में आए दिन फसादात हो रहे हैं, सिर्फ इस सरकार में अब तक 122 से अधिक सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं हो चुकी हैं. इज्जत-आबरु की हिफाजत मसला है. चाहे वो दरभंगा बिहार के कतील सिद्दीकी हों या खालिद मुजाहिद की हत्या और बाटला हाउस फर्जी मुठभेड़ ऐसे बड़े सवालों पर रिहाई मंच जो आंदोलन चला रहा है वो नितिगत स्तर पर देश से आतंकवाद के खात्मे की लड़ाई है.

न्याय की बात अहम बात है, जुल्म हमेशा नहीं चलता है और इसके खात्मे की हर लड़ाई में हम आपके साथ हैं. आज ज़रुरत है कि हमारे बेगुनाह बच्चे जो जेलों में बंद हैं जिन्हें अब सरकार भी बेगुनाह मान रही है तो ऐसे में उन्हें जल्द बाहर निकाला जाए. इसके लिए अवाम बड़े स्तर पर गोलबंदी करे.

इंडियन नेशनल लीग के राष्ट्रीय अध्यक्ष मोहम्मद सुलेमान ने कहा कि जब उत्तर प्रदेश सरकार ने कैबिनेट में आरडी निमेष कमीशन की रिपोर्ट को एक्सेप्ट कर लिया है, ऐसे में यह उसकी जिम्मेदारी है कि वह तुरंत इस रिपोर्ट पर कार्यवाही करते हए दोषी पुलिस व आईबी अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही करे और तारिक़ कासमी, सज्जादुर्ररहमान और अख्तर वानी की रिहाई सुनिश्चित करे.

उन्होंने कहा कि अब यह साबित हो चुका है कि अखिलेश सरकार की कथनी और करनी में बहुत अंतर है और वह इस देश तथा प्रदेश की अमन पसंद आवाम और मुसलमानों को गुमराह कर रही है. इस सूरत में इस धरने का जारी रहना ही आवाम हित के में बहुत ज़रूरी है.

इस धरने का मक़सद मुल्क में कानून का राज कायम करना है. हम यह साफ करना चाहते हैं कि जब तक इस देश में कानून का राज नहीं होगा, सरकारें आम जनता के लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन बंद नहीं करती तब तक यह लड़ाई जारी रहेगी. इस धरने की सफलता तय है क्योंकि इससे हर दिन अवाम जुड़ रही है.

धरने को संबोधित करते हुए भारतीय एकता पार्टी (एम) के राष्ट्रीय अध्यक्ष सैय्यद मोइद अहमद ने कहा कि जिस तरीके से कुछ हिन्दुत्वादी जेहन के लोग देवबंद को लेकर दुष्प्रचारित कर रहे हैं कि वहां इस्लामिक देशों के नागरिक रहते हैं उन नासमझ लोगों को सोचना चाहिए कि विश्वविद्यालय का मतलब क्या होता है. विश्वविद्यालय मतलब वो शिक्षण-प्रशिक्षण संस्थान जहां दुनिया के किसी भी देश से लोग आकर पढ़ सकते हैं. इसी के चलते हमारे देश के बहुत से नेता जो प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति भी हुए उन लोगों के एकेडिमिक रिकार्डस अगर देखें जाएं तो शायद हिन्दुवादी जेहनियत के लोगों का जेहन साफ हो जाएगी.

धरने को संबोधित करते हुए राम सिंह यादव और जुबैर जौनपुरी ने कहा कि जिस तरीके से आज इस आंदोलन ने 82 दिन पूरे किए. अवाम के हर हिस्से और देश के सभी सेक्युलर राजनीतिक दलों और मानवाधिकार संगठन जिस तरीके से इस आंदोलन में उतरे उन्होंने सिर्फ इस धरने को ही मज़बूत नहीं किया बल्कि खालिद के सवाल जिसे सरकार हिंदू-मुसलमान में बांटना चाहती थी को एक लोकतांत्रिक सवाल बना दिया.

भागीदारी आन्दोलन के राष्ट्रीय संयोजक पीसी कुरील और पिछड़ा समाज महासभा के एहसानुल हक़ मलिक ने कहा कि खालिद मुजाहिद की पुलिस हिरासत में की गयी हत्या यह बात साबित करती है कि इस प्रदेश में अब कानून का राज नहीं रह गया है. लेकिन इस गंभीर संकट में हम लोकतंत्र के लिए प्रतिबद्धता के साथ खड़े हैं और यह लड़ाई जारी रहेगी.

इंडियन नेशनल लीग के नेता हाजी फहीम सिदृदीकी ने कहा कि अगर सपा सरकार ने मुसलमानों के साथ इंसाफ किया होता तो आज बेगुनाह ईद की खुशियां अपने घर पर मनाते. लेकिन इस वादा खिलाफ हत्यारी और बेईमान सरकार ने केवल उत्पीड़न के अलावा इस प्रदेश की आवाम को कुछ नहीं दिया.

इस अवसर पर मुस्लिम मजलिस के प्रदेश प्रवक्ता जैद अहमद फारूकी ने कहा कि राम गोपाल यादव ने संसद में जो बयान दिया है उसके मुताबिक उन्होंने चार सौ बेगुनाह मुसलमानों को रिहा किया है लेकिन क्या सपा सरकार उन लोगों की लिस्ट जारी करने की हिम्मत दिखाएगी. जाहिर है यह बातें महज़ लफ्फाजी से ज्यादा कुछ नहीं है.

धरने को संबोधित करते हुए अनुसूचित जाति अनुसूचित जन जाति संगठनों का परिसंघ के प्रदेश अध्यक्ष भंवर नाथ पासवान ने कहा कि अखिलेश सरकार का रवैया एक लोकतांत्रिक सरकार का रवैया कहीं से नहीं दिखता. सरकार जिस तरह से कान में तेल डालकर बैठी है उससे यह साबित हो जाता है कि आम जनता के मसले पर यह सरकार न केवल फेल है बल्कि अपने बुने जाल में खुद फंसकर रह गयी है.

यूपी की कचहरियों में 2007 में हुए धमाकों में पुलिस तथा आईबी के अधिकारियों द्वारा फर्जी तरीके से फंसाए गये मौलाना खालिद मुजाहिद की न्यायिक हिरासत में की गयी हत्या तथा आरडी निमेष कमीशन रिपोर्ट पर कार्रवायी रिपोर्ट के साथ सत्र बुलाकर सदन में रखने और आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाहों को छोड़ने की मांग को लेकर रिहाई मंच का धरना रविवार को 82वें दिन भी जारी रहा.

रिहाई मंच के प्रवक्ता ने बताया कि आजादी की 66 वीं वर्षगांठ पर रिहाई मंच प्रदेश में आतंकवाद से पीडि़त व प्रदेश के दंगा पीडि़तों को आमंत्रित करता है कि वो आए और अपने सवालों को धरने के माध्यम से सरकार के समक्ष रखें. इस अवसर पर प्रादेशिक व राष्ट्रीय स्तर के मानवाधिकार नेता शिरकत करेंगे.

धरने का संचालन इलाहाबाद से आये अनिल आज़मी ने किया. धरने को जमात-ए-इस्लामी हिन्द के अध्यक्ष मोहम्मद अहमद, इंडियन नेशनल लीग के राष्ट्रीय अध्यक्ष मोहम्मद सुलेमान, भारतीय एकता पार्टी (एम) के सैय्यद मोईद अहमद, अबरार अहमद फारुकी, मौलाना मुस्ताक अहमद कासमी, राम सिंह यादव, जुबैर जौनपुरी इलाहाबाद के रिहाई मंच प्रभारी राघवेन्द्र प्रताप सिंह, इंडियन नेशनल लीग के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हाजी फहीम सिद्दीकी, भागीदारी आंदोलन के पीसी कुरील, पिछड़ा समाज महासभा के एहसानुल हक़, भंवर नाथ पासवान, मुस्लिम मजलिस के जैद अहमद फारुकी, बबलू यादव, योगेन्द्र सिंह यादव, लक्ष्मण प्रसाद, इरफान शौकत, अंकित चौधरी, वसीम, फैज, असदउल्ला, इंद्र प्रकाश बौद्ध, राजीव यादव ने संबोधित किया.

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