जब आसाराम के आश्रम में दो बच्चों को तांत्रिक सिद्धियाँ प्राप्त करने के लिये आसाराम ने बलि चढा कर मार डाला था तब उन बच्चों के गुप्तांग काट कर भगवान के सामने चढा दिये गये थे.
तब सर्वोच्च न्यायालय के सामने इस मामले की सीबीआई से जांच करवाने की मांग करते हुए एक याचिका पेश करी गई थी. लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने जांच का आदेश देने से इनकार कर दिया था. यह फ़ैसला देने वाली उस बेंच के मुख्य जज थे, पी. सथासिवम. आजकल ये भारत की सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश हैं.
बच्चों की बलि चढाने के उस मामले में पहले तो गुजरात सरकार ने बिना कोई जांच कराये ही कह दिया कि बाबा आसाराम बेकसूर हैं. लेकिन जब बच्चों के अभिवावकों ने आमरण अनशन किया तब गुजरात सरकार ने त्रिवेदी आयोग बना कर जांच का काम उसे सौंपा. कमीशन ने कई साल के बाद अभी अभी अपनी रिपोर्ट गुजरात सरकार को सौंपी है. अब जब गुजरात सरकार का मन होगा तब वह उस रिपोर्ट को विधान सभा में पेश करेगी. जब तक वह रिपोर्ट विधान सभा में पेश नहीं की जायेगी तब तक उस रिपोर्ट में क्या लिखा है यह कोई नहीं जान सकेगा.
इधर बलात्कार के ताज़ा मामले में लड़की को पागल साबित करने की तैयारी कर ली गई है. जैसे सोनी सोरी को पागल साबित करने में भारत का महिला आयोग लग गया था वैसा ही खेल यहाँ भी खेला जा सकता है.
(Himanshu Kumar के फेसबुक वाल से)