BeyondHeadlines News Desk
लखनऊ : मुलायम सिंह जैसे लोगों के लिए यह बेहद शर्मिंदगी की बात है कि अल्पसंख्यकों के हितैषी होने का दंभ भरने वाली सपा सरकार में ही खालिद मुजाहिद जैसे बेकसूर मुस्लिम नौजवान का बेहद सोची समझी रणनीति के तहत कत्ल किया गया. इस मंच के माध्यम से हम यह साफ कर देना चाहते हैं कि खालिद मुजाहिद के साथ न्याय बिल्कुल ही नहीं हुआ है और हमारी मांग है कि इस सूबे की समाजवादी सरकार उनके कातिलों को तुरंत गिरफ्तार करे ताकि इस प्रदेश में कोई और मुस्लिम बेगुनाह खालिद मुजाहिद न बनने पाये.
उपरोक्त बातें कलकत्ता से आये सीपीएम के पूर्व सांसद मोहम्मद सलीम ने मौलाना खालिद की हत्या के बाद उनके कातिलों को पकड़ने तथा आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाह मुस्लिम नौजवानों की रिहाई की मांग को लेकर विधानसभा पर चल रहे रिहाई मंच के अनिश्चितकालीन धरने के 98वें दिन उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहीं.
उन्होंने कहा कि जिस तरह से रिहाई मंच के लोग अपने सवालों पर लगातार धरना दे रहे हैं और सरकार की ओर से कोई भी नुमांइदा आज तक उनके सवालों पर कोई जानकारी लेने भी नहीं आया, जिससे साबित होता है कि अखिलेश यादव की सरकार जनता के जम्हूरी सवालों को सुनने का दम नहीं रखती.
उन्होंने कहा कि इस देश के ज्यादातर राजनैतिक दल जनता के सवालों के खिलाफ न केवल एकजुट हैं बल्कि आम आदमी के खिलाफ साजिशें कर रही हैं. लोकतंत्र के लिए यह बेहद खतरनाक है कि अब सरकारें जम्हूरियत में कोई विश्वास नहीं रख रही हैं.
आज इस देश के मुसलमानों के खिलाफ पूरे मुल्क में एक अजीब सा खतरनाक माहौल बना हुआ है. ये माहौल अब तो केवल लिबास देखकर लोगों को कसूरवार ठहराने में लगा हुआ है. ऐसा माहौल लोकतंत्र को समृद्ध नहीं कर सकता. हमारी पार्टी आतंकवाद के नाम पर मुस्लिम नौजवानों का जो उत्पीड़न किया जा रहा है, उसके खिलाफ है.
हमने लगातार यह मांग उठाई है कि जो नौजवान अदालतों से बाइज्जत बरी हुए उनके समुचित पुर्नवास की एक नीति बने तथा फर्जी मामलों में फंसाने वाले पुलिस के लोगों को तत्काल जेल भेजा जाय. जब यह साफ हो चुका है कि साम्प्रदायिक फांसीवादी संगठनों के लोग इन कार्यों में लिप्त हैं तो फिर देश की सभी आतंकवादी घटनाओं की न्यायिक जांच बहुत ज़रूरी है ताकि असली अपराधी जेल भेजे जा सकें और निर्दोषों का उत्पीड़न बंद हो.
उन्होंने सवाल किया कि जब सरकार यह मानती है कि खालिद बेकसूर था तो फिर उसके कातिलों को अब तक गिरफ्तार क्यों नही किया गया। जाहिर है कि अखिलेश यादव कातिलों को सजा देने से कतरा रहे हैं. इस मामले में उनकी जेहनियत साफ नहीं है.
खालिद की हत्या ने यह साफ कर दिया है कि अब उत्तर प्रदेश और गुजरात में कोई अंतर नहीं रह गया है. लेकिन न्याय के लिए लड़ाई लंबी लड़नी पड़ेगी. इसके अलावा और कोई चारा नहीं है. रिहाई मंच के इस धरने के साथियों के हौसले को हम सलाम करते हैं.
धरने को संबोधित करते हुए सीपीएम की वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद सुभाषिनी अली ने कहा कि अखिलेश यादव से हम दिसंबर में मिले थे. हमने उन्हें इस सवाल पर एक पत्र भी सौंपा था. हमने कहा था कि जिन लागों को फर्जी तरीके से फंसाया गया है उन्हे तुरंत छोड़ा जाय और अगर कानूनन यह संभव न हो तो उन्हें ज़मानत पर छोड़ते हुए तेजी से अदालती ट्रायल किया जाय. लेकिन अफसोस कि आज तक अखिलेश ने उस पत्र का कोई जवाब नहीं दिया.
उन्होंने कहा कि कुछ ऐसे लड़के जो उच्च न्यायालय से बेगुनाह साबित हो चुके हैं. उनके केसों को भी सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती है. इससे साफ जाहिर है कि मुसलमानों के खिलाफ आतंकवाद के नाम पर की जा रही ज्यादतियों को रोकने में अखिलेश सरकार की प्रतिबद्धता बेहद संदेहास्पद है.
उन्होंने आरोप लगाया कि सपा सरकार मुसलमानों के प्रति अपने वादे को न निभाते हुए केवल उपलब्धियों की फर्जी बयानबाजी करके इस प्रदेश में सांप्रदायिक ताकतों को केवल मजबूत करने में लगी है. उन्होंने धरने के 100वें दिन 29 अगस्त को जनता से विधान सभा मार्च में शामिल होने की अपील की.
इस अवसर पर रिहाई मंच के प्रवक्ता शाहनवाज़ आलम और राजीव यादव ने कहा कि खालिद की हत्यारी सपा सरकार के खिलाफ धरने के 100वें दिन 29 अगस्त, वृहस्पतिवार को विधानसभा मार्च का आयोजन किया गया है. प्रवक्ताओं ने आम जन से अपील की कि वे इंसाफ और लोकतंत्र को बचाने के लिए आयोजित मार्च में ज्यादा से ज्यादा संख्या मे शामिल हों तथा वादा खिलाफ सपा सरकार को नेस्तनाबूद करने के लिए एक संकल्प लें.
रिहाई मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शुऐब ने कहा कि रिहाई मंच आम लोगों के बीच लगातार सभाएं करके प्रदेश की हत्यारी और वादा खिलाफ सपा सरकार के खिलाफ एक व्यापक जनमत बनाते हुए लोगों से धरने के 100वें दिन ज्यादा संख्या में आने की अपील कर रहा है. इसके लिए मंच के साथियों द्वारा आम जनता के बीच व्यापक जनसंपर्क लगातार जारी है. जिसके तहत कल 26 अगस्त को मछली मोहाल में दो सभाएं की गयीं और आज उदय गंज में सभा होगी.
आज़मगढ़ से आए रिहाई मंच के नेता मसीहुद्दीन संजरी ने कहा कि 84-कोसी परिक्रमा के विवाद के सूत्रधार ही मुलायम सिंह और अशोक सिंघल हैं. उन्होंने कहा कि जहां आज फांसीवादी संघ मोदी के रूप में अपने अस्तित्व की आखिरी लड़ाई लड़ रहा है वहीं दूसरी ओर प्रदेश की सपा सरकार अपने खिलाफ उपजे जनाक्रोश को सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के आधार पर खत्म करना चाह रही है, जो कि बिल्कुल भी संभव नहीं है. प्रदेश की अवाम ने इस प्रायोजित ड्रामें में बिल्कुल ही दिलचस्पी न लेकर यह साफ कर दिया हे कि वह इस खेल की असलियत जानती है.