BeyondHeadlines News Desk
लखनऊ : रिहाई मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शुऐब ने कहा है कि 84 कोसी परिक्रमा के फ्लाप होने से यह साफ हो गया है कि जनता सपा और भाजपा के मैच फिक्सिंग को पूरी तरह से समझ चुकी है. भाजपा और सपा दोनों मिलकर इस परिक्रमा के बहाने सूबे के हिन्दूओं और अल्पसंख्यक मुसलमानों के बीच सांप्रदायिक ध्रुवीकरण कराने की साजिश कर रहीं थीं. सपा का यह प्रायोजित नाटक भले ही फेल हो चुका हो, लेकिन सूबे की आवाम आवाम को अभी इन दोनों ही पार्टियों की शैतानी साजिशों से चैकन्ना रहना होगा. क्योंकि जैसे-जैसे आम चुनाव नजदीक आयेंगे वैसे-वैसे हर मोर्चे पर विफल हो चुकी सरकार और आईसीयू में पड़ी भाजपा फिर से सांप्रदायिक कार्ड खेलने की कोशिशें करेंगीं. हो सकता है 84 कोसी परिक्रमा मामले में मुंह की खा चुकी दोनो पार्टियां सांप्रदायिक दंगों के खूनी खेल की श्रृंखला शुरू कर दें.
ये बातें उन्होने रिहाई मंच के धरने के 97वें दिन धरने पर उपस्थित आवाम को संबोधित करते हुए कही.
इस अवसर पर धरने को संबोधित करते हुए सामाजिक कार्यकर्ता और पत्रकार राम मिश्र ने कहा कि आज जब सपा सरकार आम जनता के बीच तेजी से अपना जनाधार खोती जा रही है, वहीं दूसरी ओर संघ भी बाजार पसंद मोदी को प्रधानमंत्री बनाने के लिए उत्तर प्रदेश में अपना जाल फैला रहा है. ऐसे में यह बात साफ हो जाती है कि सपा और भाजपा दोनों की इस प्रदेश में एक जैसी गति हो चुकी है. लिहाजा 84 कोसी परिक्रमा का यह ड्रामा केवल सपा-भाजपा द्वारा अपना जनाधार बचाने की नौटकीं से ज्यादा कुछ नहीं है.
आवाम ने इस नौटंकी में कोई दिलजस्पी न लेकर यह साफ कर दिया है कि उसे इन सबसे अलग कुछ उन मुद्दों पर बहस की दरकार है जिनका संबंध आम आवाम से सीधे हो. लेकिन सपा-भाजपा के पास इन मुद्दों पर बहस के लिए हिम्मत ही नहीं है.
धरने को संबोधित करते हुए भारतीय एकता पार्टी (एम) के राष्ट्रीय अध्यक्ष सैय्यद मोईद अहमद और शिवनारायण कुशवाहा ने कहा कि खालिद को न्याय दिलाने के लिए सपा के विधायक मंत्रियों ने अखिलेश यादव के पास अपने ज़मीर को गिरवी रख दिया है जो सपा के नेता मौलाना खालिद की हत्या को बीमारी बताने पर तुले हुए थे, उनसे आगामी विधानसभा सत्र में खालिद और आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाह मुस्लिम युवकों के सवाल उठाने की बात सोचना बेमानी होगा.
ऐसे में आगामी मानसून सत्र में हम विपक्ष के उन तमाम सेक्युलर विधायकों से अपील करते हैं कि वो मौलाना खालिद के सवाल को सदन में उठाएं. आगामी 16 सितंबर से चलने वाला मानसून सत्र एक ऐतिहासिक सत्र होगा क्योंकि अखिलेश यादव ने आर.डी. निमेष कमीशन को विधानसभा में रखने का जो वादा किया है और उस वादे से बचने के लिए मानसून सत्र लगातार टालते रहे. परन्तु अब जब 16 सितंबर से मानसून सत्र घोषित हो चुका है तो अखिलेश यादव अपनी पुरानी कारस्तानियों जिसकी वजह से खालिद मुजाहिद की हत्या हो गयी उसको न दोहराएं तो बेहतर होगा तथा निमेष कमीशन की रिपोर्ट सदन के पटल पर रखते हुए तत्काल विक्रम सिंह, बृजलाल, मनोजकुमार झा, समेत 42 पुलिस अधिकारियों व आईबी अधिकारियों को तत्काल जेल की सलाखों के पीछे भेजें.
रिहाई मंच के धरने के 100वें दिन हो रहा विधानसभा मार्च अखिलेश यादव को चेतावनी है कि अगर निमेष कमीशन रिपोर्ट को सदन के पटल पर नही रखेंगे तो आवाम सदन का घेराव करेगी.
धरने को संबोधित करते हुए इंडियन नेशनल लीग के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हाजी फहीम सिद्दीकी ने कहा कि प्रदेश में मुसलमानों को सुरक्षा देने के नाम पर जो नाटक प्रदेश सरकार कर रही है उसे मुसलमान अच्छी तरह से समझ रहा है. वैसे तो अखिलेश यादव मायावती सरकार में हुई नियुक्तियों तो कभी योजनाओं पर सवाल उठाते हुए नज़र आते हैं पर जब बात आती है मुस्लिम सवालों की तो उस पर ऐसा प्रतीत होता है कि सभी में एक आम सहमति बन गई है.
कानपुर में 2008 में बजरंग दल के कार्यकर्ता बम बनाते हुए उड़ गए और एक कार्यकर्ता के पास से भारी पैमाने पर डेटोनेटर और विस्फोटक मिले वो कानपुर के जेके टेम्पल को उड़ाने की फिराक में थे. अगर बजरंग दल के कार्यकर्ता अपने मंसूबे में कामयाब होते हुए कोई आतंकी वारदात कर देते तो उसका ठीकरा मुसलमानों पर फूटता और दर्जनों बेगुनाह मुस्लिम युवकों को जेल में डाल दिया जाता और सैकड़ों से पूछ-ताछ के नाम पर मारपीट की जाती. आतंकवाद के नाम पर मुसलमानों को किस तरह झूठा और बेबुनियाद फंसाया जाता है, इसका सबसे बड़ा उदाहरण रामपुर सीआरपीएफ कैंप पर हुए कथित आतंकी हमले का है, जिसमें कोई आतंकी हमला हुआ ही नहीं और आधा दर्जन से अधिक बेगुनाह मुस्लिम युवकों को सालों से जेल में सड़ाया जा रहा है.
31 दिसंबर 2007 की रात नए साल के जश्न में शराब के नशे में धुत सीआरपीएफ के जवानों ने आपस में गोलीबारी कर ली जिसे छुपाने के लिए आतंकवादी हमला कह कर जवानों के कुकृत्यों को छुपाने की कोशिश की गई जिसका ठीकरा मुसलमानों पर ही फूटना था और वो फूट पड़ा और हमारे बेगुनाह जेलों में कैद हैं. ऐसे में अखिलेश यादव इस घटना की सीबीआई जांच क्यों नहीं करवाते.
धरने को संबोधित करते हुए रिहाई मंच के प्रवक्ता राजीव यादव तथा शाहनवाज़ आलम ने कहा कि जिस तरह से राजधानी लखनऊ में भाकपा माले के वरिष्ठ नेता रमेश सिंह सेंगर पर भू-माफियाओं द्वारा गोली चलाकर जान से मारने की कोशिश की गयी, उससे समझा जा सकता है कि उत्तर प्रदेश में सपा का जंगल राज कायम हो चुका है.
रिहाई मंच के प्रवक्ताओं ने बताया कि रिहाई मंच के धरने के समर्थन में कल 27 अगस्त को पश्चिम बंगाल के माकपा के वरिष्ठ नेता व पूर्व सांसद मोहम्मद सलीम डेढ़ बजे रहेंगे.
यूपी की कचहरियों में 2007 में हुए धमाकों में पुलिस तथा आईबी के अधिकारियों द्वारा फर्जी तरीके से फंसाए गये मौलाना खालिद मुजाहिद की न्यायिक हिरासत में की गयी हत्या तथा आरडी निमेष कमीशन रिपोर्ट पर कार्रवायी रिपोर्ट के साथ सत्र बुलाकर सदन में रखने और आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाहों को छोड़ने की मांग को लेकर रिहाई मंच का धरना सोमवार को 97वें दिन भी जारी रहा.