Himanshu Kumar for BeyondHeadlines
आज सोनी सोरी के पति अनिल फुताने की मौत हो गयी. पुलिस ने सोनी सोरी और लिंगा कोड़ोपी से बदला लेने के लिए सोनी सोरी के पति अनिल फुताने को भी एक फर्जी मामले में फंसा कर जेल में डाल दिया था. बाद में अदालत ने अनिल फुताने को निर्दोष सिद्ध किया. लेकिन उसी दिन अनिल फुताने रहस्यमय हालत में अस्पताल में भेज दिया गया. सरकार ने दावा किया कि सोनी सोरी के पति को लकवा मार गया है. लेकिन सोनी सोरी को अंदेशा है कि सरकार ने प्रताड़ित कर उसके पति को इस हालत में पहुँचाया था.
मुझे याद है कि छत्तीसगढ़ पुलिस ने लिंगा कोडोपी नाम के आदिवासी युवक को जबरन अपना विशेष पुलिस अधिकारी बनाने के लिये दंतेवाड़ा थाने में चालीस दिन तक बंद कर के रखा.
उसकी बुआ सोनी सोरी ने अदालत में याचिका दायर कर अपने भतीजे को पुलिस के चंगुल से रिहा करवा लिया. इस के बाद पुलिस सोनी और लिंगा कोडोपी से बुरी तरह चिढ़ गई.
उसी समय पुलिस ने सोनी सोरी और लिंगा कोडोपी से कहा था कि तुमने पुलिस की बेईज्ज़ती करी है अब हम तुम्हारे परिवार को बरबाद करेंगे. पुलिस ने यह भी कहा था कि तुम कोर्ट से अगर बरी भी हो जाओगे तो हम तुम्हें मार डालेंगे.
सबसे पहले सोनी सोरी के पति अनिल को पुलिस ने एक फर्जी मुक़दमे में फंसाया. बाद में उसी मुक़दमे में सोनी और लिंगा कोडोपी को भी फंसा दिया गया.
पिछले महीने सोनी सोरी के पति अनिल को इस मुक़दमे से बरी कर दिया गया. लेकिन अब अनिल अपने घर जाने की हालत में नहीं था. पुलिस ने अपना वादा पूरा कर दिया था. उसने अनिल को इस हाल में पहुंचा दिया कि अब वह ना बात कर सकता है ना किसी को अपने साथ बीती हुई बता सकता है.
29 अप्रैल को जिस दिन अनिल को अदालत द्वारा बरी किया जाना था उस दिन सुबह सोनी और अनिल की जेल में मुलाकात हुई. अनिल बिल्कुल ठीक था.
कुछ देर बाद पुलिस की गाड़ी सोनी और लिंगा को लेकर दंतेवाड़ा जाने के लिये तैयार हुई तो सोनी ने पुलिस से पूछा कि इस मुक़दमे में तो मेरे पति अनिल की भी पेशी होनी है तो आप उन्हें हमारे साथ आज कोर्ट क्यों नहीं ले जा रहे हैं. तो पुलिस वाले टाल मटोल करने लगे. इस पर सोनी सोरी अड़ गई और बोली कि मैं अपने पति को लेकर ही कोर्ट जाऊंगी. इस पर जेल अधिकारियों ने सोनी से कहा कि आज दंतेवाडा कोर्ट में आपसे मिलने दिल्ली से कोई आया है इस लिये आप और लिंगा कोर्ट चले जाओ.
सोनी सोरी कोर्ट चली गई. कोर्ट में सोनी सोरी से मिलने कोई नहीं आया था. पुलिस ने उससे झूठ बोला था. अदालत ने सोनी को, सोनी के पति अनिल को और उसके भतीजे लिंगा कोडोपी को निर्दोष घोषित किया. सोनी आज बहुत खुश थी क्योंकि आज उसका पति रिहा होकर अपने बच्चों के पास पहुँचने वाला था. सोनी और लिंगा पर कई और फर्जी मुक़दमे अभी बाकी हैं इसलिये उन्हें रिहा नहीं किया जा सकता था.
लेकिन अदालत से वापिस जेल लौटते ही सोनी अवाक रह गई. सोनी सोरी को पुलिस जेल से अस्पताल में अपने पति को देखने के लिये लेकर गई. वहाँ सोनी का पति अनिल पूरी तरह बेबस हालत में पड़ा हुआ था. उसका पति अपने शरीर के सभी अंगों पर अपना काबू गँवा चुका था. वह लगभग जिंदा लाश बन चुका था. वह बोल भी नहीं पा रहा था. जेल अधिकारियों ने कहा कि हमने इसे रिहा कर दिया है. आज से इस पर कोई मुक़दमा नहीं है.
इसके बाद पुलिस सोनी सोरी को फिर से जेल ले गई…
सोनी सोरी के पति की कोर्ट से रिहाई अब किसी काम की नहीं थी. वह अब अपने बच्चों को पहचान भी नहीं सकता. इस तरह पुलिस ने इस परिवार को बरबाद करने के अपने वादे की पहली किश्त पूरी कर दी है. पुरी वादा पूरा करना अभी बाकी है.
पुलिस ने इससे पहले सोनी सोरी के गुप्तांगों में पत्थर भर कर उसे कोर्ट में जाने की सज़ा दी थी. बाद में पत्थर भरने वाले पुलिस अधिकारी को राष्ट्रपति ने वीरता पदक दिया था.
यह लोकतन्त्र और भारतीय न्याय व्यवस्था का एक भयानक नाटक है. कमज़ोर दिल वाले इसे अभी ही देखना बंद कर दें. अभी इस नाटक के और भी खूनी होने की उम्मीद है.