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हम इंसाफ से कोई सौदेबाजी नहीं होने देंगे

BeyondHeadlines News Desk

लखनऊ : रिहाई मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शुऐब ने कहा है कि जिस तरह से दिल्ली में आज पत्रकार एक मल्टीनेशनल घराने के मीडिया हाउस के सामने छटनी के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ हरियाणा में मारुती सुजुकी के मजदूर आंदोलन कर रहे हैं और यहां पर पिछले 93 दिनों से आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाहों की रिहाई व मरहूम मौलाना खालिद के न्याय के लिए रिहाई मंच के लोग धरना दे रहे हैं. यह स्थिति बताती है कि देश के हालात बेहतर नहीं हैं, पर इसका दूसरा पक्ष यह भी है कि सरकारों की जुल्मों की बुनियाद को यह आंदोलन दिन ब दिन कमजोर कर रहे हैं.

आगामी विधान सभा सत्र जिसे सरकार पिछले कई महीनों से टाल रही थी को जनता के दबाव में मजबूरन बुलाना पड़ा है. उस दौरान हम सभी इस विधान सभा पर चैबीसों घंटे डेरा डाले रहेंगे और सरकार को मजबूर कर देगें कि वो तारिक़ और खालिद की बेगुनाही का सबूत आरडी निमेष कमीशन की रिपोर्ट को सदन के पटल पर कार्यवाई रिपोर्ट के साथ रखे.

We will not deal with justiceउन्होंने कहा कि आज रिहाई मंच का आंदोलन इस मुकाम पर पहुंच गया है कि उसने गर्मी में लू की थपेड़ों में संघर्ष करके अखिलेश यादव को आरडी निमेष कमीशन की रिपोर्ट को स्वीकार करने पर मजबूर कर दिया। आज मिल्लत पर जिम्मेदारी और भी बढ़ गई है क्योंकि सरकार निमेष कमीशन की रिपोर्ट को दबाने की फिराक में है जो हम होने नहीं देंगे. ऐसे में 29 अगस्त को रिहाई मंच के धरने के सौवें दिन अवाम भारी तादाद में पहुंचकर विधानसभा मार्च में शामिल होकर सरकार को यह बतला दे कि हम इंसाफ से कोई सौदेबाजी नहीं होने देंगे.

इंडियन नेशनल लीग के राष्ट्रीय अध्यक्ष मोहम्मद सुलेमान और आईएनएल के प्रदेश अध्यक्ष एडवोकेट मोहम्मद समी ने कहा कि जिस तरीके से इलाहाबाद में शहीद भगत सिंह विचार मंच और स्त्री मुक्ती लीग की पत्रिका संवेग और प्रतिरोध में गुजरात में हुए जन संहार के जिम्मेवार मोदी को लेकर छपे लेखों पर दोनों संगठनों के कार्यकर्ताओं को धमकाया गया और जब वे थाने गए तो उनका एफआईआर दर्ज नहीं किया गया यह कहकर कि राजनीतिक मामला है तो ऐसे में साफ है कि अब सपा के थाने भी हिन्दुत्वादियों के दबाव में कार्य कर रहे हैं.

जो थाने अफवाह माफिया विश्व हिन्दू परिषद व बजरंग दल की भावनाओं के आहत हो जाने के मुकदमें दर्ज कर लेते हैं उनके खिलाफ जब कोई धमकी का मामला दर्ज करवाना चाहता है तो वो दर्ज नहीं करते. विश्व हिंदू परिषद के लोगों द्वारा शहीद भगत सिंह विचार मंच और स्त्री मुक्ती लीग के लोगों को यह धमकी देना कि पत्रिका में अगर नरेन्द्र मोदी के खिलाफ लेख छापा तो जिस तरह गुजरात में मुसलमानों का कत्लेआम किया गया वैसी ही हालत तुम्हारी कर देंगे, यूपी पुलिस को कोई क्राइम नहीं लगता. लगे भी क्यों जब खुद मुलायम को अब लगने लगा है कि बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद अब उस जगह पर मंदिर बने तो उनकी पुलिस ऐसा सोच रही है तो आश्चर्य की बात नहीं है. कुछ दिनों पहले ठीक इसी तरह रिहाई मंच के धरने के टेंट को उखडवाने का भी काम सरकार ने पुलिस से करवाया पर आज तक शिकायत के बावजूद कोई कार्यवाई नहीं हुयी.

अगर अखिलेश सरकार सचमुच सांप्रदायिकता के खिलाफ है तो वह तत्काल शहीद भगत सिंह विचार मंच और स्त्री मुक्ती लीग के कार्यकर्ता को धमकी देने वाले विश्व हिंदू परिषद समेत भगवा संगठनों के लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर कार्यवाई करें.

मुस्लिम मजलिस के जैद अहमद फारूकी और पिछड़ा समाज महासभा के एहसानुल हक मलिक और शिवरारायण कुशवाहा ने कहा कि लखनऊ का एक लड़का जियाउद्दीन है जो बाईंडिग का काम करता था. पुलिस ने झूठी कहानी बनाकर कि उसने 100 नंबर पर फोन करके चारबाग रेलवे स्टेशन को उड़ाने की धमकी दी थी को फंसा दिया.

पांच साल से वह आज निर्दोष होने के बावजूद जेल में बंद है. जबकि उसी दौरान एक धमकी स्टेशन को उड़ाने की और दी गई थी, जो अखबारों में भी छपी थी. धमकी देने वाले का नाम जिया लाल था. लेकिन उसे नहीं पकड़ा गया.

उन्होंने कहा कि जियाउद्दीन और जिया लाल दो प्रकरणों से साफ होता है कि इस देश की पुलिस दोहरी मानसिकता से काम करती है. पुलिस की इस दोहरी मानसिकता की वजह से जियाउद्दीन की बहन दवा के अभाव में बीमारी से मर गई, क्योंकि जियाउद्दीन ही घर में एक कमाने वाला था. जियाउद्दीन के बूढ़े बाप मोहम्मद नसीम को भरोसा था कि सपा उनके बेटे को छोड़ देगी. इसलिए सपा सरकार के वादाखिलाफी के खिलाफ रिहाई मंच के धरने के 100वें दिन हम बड़ी तादाद में शामिल होकर विधानसभा मार्च करें.

भारतीय एकता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष सैयद मोईद अहमद, हारिस सिद्दीकी और मुस्लिम फोरम के डॉ. आफताब अहमद ने कहा कि हमारे धरने के समर्थन में सांप्रदायिकता के खिलाफ लंबे समय से लड़ रहे सामाजिक कार्यकर्ता व डॉक्यूमेन्ट्री फिल्मकार आनंद पटवर्धन पिछले 19 अगस्त को आए थे उनकी फिल्म दिखाने पर जिस तरीके से पुणे में आयोजकों पर भारतीय जनता पार्टी के छात्र संगठन एबीवीपी द्वारा हमला किया गया उससे साफ हो गया है कि चाहे वो महाराष्ट्र में कांग्रेस की सरकार हो या फिर यूपी में सपा की सरकार सब के सबने मोदी के गुण्डों को खुली छूट दे रखी है.

आज धरने में आखिर काव्य गोस्ठी हुई. जिसमें शामिल लोगों ने शेरों के माध्यम से सरकार की जनविरोधी नीतियों पर कटाक्ष किया.

यूपी की कचहरियों में 2007 में हुए धमाकों में पुलिस तथा आईबी के अधिकारियों द्वारा फर्जी तरीके से फंसाए गये मौलाना खालिद मुजाहिद की न्यायिक हिरासत में की गयी हत्या तथा आरडी निमेष कमीशन रिपोर्ट पर कार्रवायी रिपोर्ट के साथ सत्र बुलाकर सदन में रखने और आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाहों को छोड़ने की मांग को लेकर रिहाई मंच का धरना गुरुवार को 93 वें दिन भी जारी रहा.

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