गुजरात के वांकानेर (जिला : मोरबी) में रहने वाला एक गरीब किसान द्वारा नरेन्द्र मोदी को लिखा गया एक पत्र…
श्री नरेन्द्र मोदी जी,
(प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार, भाजपा)
सादर प्रणाम,
बिखरे हुए सर के बाल, पसीने से लथपथ काया, शरीर इतना दुबला कि हड्डियां भी साफ दिखे और अधनंगा बदन कुल मिलाकर मुझ में ऐसा कुछ नहीं जो जिक्र करने के काबिल हो. मेरे इन इशारों के बावजूद बहुत कम आसार है कि आप मुझे पहचान गए होंगे. दर हकीकत मैं आपके गुजरात का एक गरीब किसान हूं और मेरा ताल्लुक वांकानेर (जिला : मोरबी) से है.
मेरी बात शुरू करने से पहले ही मैं ये स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि मुझे ज़ात-पात, प्रदेश या धर्म की सरहदों से मत नापियेगा. मैं न मुसलमान हूं, न हिन्दू, न कांग्रेसी और न ही भाजपाई… और न ही मैं दलित या स्वर्ण हूं. मै तो सिर्फ एक सामान्य किसान हूं, जो गुजराती है और जिसकी रोजी-रोटी खेत की फसल पर टिकी है.
सुना है हाल में ही आपको भाजपा की ओर से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार घोषित किया गया है. मुझे इससे कोई गरज नहीं कि आप प्रधानमंत्री बने या न बने और शायद बन भी गए तो मुझे नहीं लगता कि मेरी रोजी-रोटी पर कोई मूलभूत बदलाव आएगा.
खैर, आपकी दिल्ली तक की दौड़ में अवरोध नहीं बनना चाहता और न ही मेरी वो हैसियत है. मैं तो आपको सिर्फ “आपका” एक वादा याद दिलाना चाहता हूं, जो आज से 11 साल पहले आपने हमें दिया था और आज तक बस हम यही इन्तजार करते रहे कि कब आप अपना ये वादा निभाओगे?
महीने या दिन का पता नहीं है. पर मुझे इतना पक्का याद है कि वर्ष 2002 में आप मेरे शहर वांकानेर आये थे. तहसिल के चंद्रपुर गाँव में आयोजित आपके सम्मान कार्यक्रम में एक मैं भी था, जो आपको प्रत्यक्ष रूप से देखने उमड़ी भीड़ में कहीं कोने में बैठा हुआ आपको सुन रहा था. “नम्रदा (नर्मदा) का पानी मच्छु-1 डेम में दिया…” आपके ये शब्द आज भी मेरे दिलो-दिमाग पर अंकित हैं और भूलता भी कैसे क्योंकि आपके पूरे भाषण में यही एक बात थी जो मेरे फायदे की हो.
वांकानेर का मच्छु-1 डेम एकमात्र विकल्प है, जिस पर स्थानीय किसान की फसलें और कमाई निर्भर हैं. उस दिन आपने बड़ी आसानी और उत्साह के साथ मच्छु-1 डेम में नर्मदा का पानी देने का वादा कर दिया, पर आपने फिर कभी मुड़कर देखा भी कि नम्रदा का पानी कहाँ तक पहुंचा?
मोदी जी, फिलहाल तो आप दिल्ली की कुर्सी के लिए दौड़े जा रहे है. इसलिए शायद आपको पता न हो. ऐसे में मैं ही आपको अवगत करा देता हूं कि आपके उस वादे के 11 साल पुरे हो चुके हैं और आज तक मच्छु-1 डेम में नर्मदा के पानी की एक बूंद भी नहीं आई है.
यह सही है कि मै अनपढ़ हूं. मुझे पढ़ना नहीं आता, पर फिर भी कभी-कभी किसी से अख़बार पढ़वाकर सुन ज़रुर लेता हूं. इसलिए मुझे इतना मालूम है कि इस वर्ष यानि 2013 में मेरे शहर पर शायद कुदरत भी रूठी है. ग्रामीण इलाको में बरसात उतनी नहीं हुई, जितनी हर साल होती है. और शहर में पीने के पानी की किल्लत है. जिसकी वजह से दो दिन में एक बार पानी मिलता है.
वांकानेर ग्रामीण में 101 गाँव हैं, जिसमें 40 गाँव को सुरेंद्रनगर के धोळीधजा डेम से कच्ची पाइपलाइन के ज़रिये नर्मदा का पानी दिया जा रहा है. फिर भी 49 फुट गहराई का विशाल मच्छु-1 डेम जिसमें आपने नर्मदा का पानी देने का वादा किया है, उसमें फिलहाल एक बूंद नर्मदा का पानी नहीं मिला. अब तो इसमें सिर्फ 15 फुट से भी कम पानी बचा है. 15 में से भी शायद 6-7 फुट तक तो मिट्टी जमी हुई है. यही हाल रहा तो जनवरी 2014 तक मच्छु-1 सुख जाएगा.
किसान का आशरा तो पहले से ही उपरवाला रहा है. फिर भी मेरा आपसे ये सवाल है कि क्या वजह है जो आप अपने एक वादे को 11 साल तक पूरा नहीं कर पाए हैं? क्या इसलिए कि हमारे शहर में भाजपा का विधायक नहीं है? या फिर इसलिए कि मेरे शहर से “मुस्लिम”, “कोंग्रेसी” विधायक है? या फिर इसलिए कि गरीब किसान तो आखिर गरीब ही है. वो टाटा नैनो और अदाणी की तरह आर्थिक फायदा क्या देगा?
मैंने यह भी सुना है कि पिछले विधानसभा सत्र के दौरान हमारे शहर के विधायक ने आपको अपना वादा याद दिलाया था, तो आपके एक मंत्रीजी ने दिसंबर-2013 तक नर्मदा का पानी मच्छु-1 में पहुंचाने की बात कही. कुछ ही अरसा बाकी है 2013 के दिसंबर माह आने में. लगे हाथ यह भी बता दीजिए कि अब नर्मदा का पानी पहुंचेगा या यह भी अँधेरे में एक टामकटोइयाँ हैं?
मोदी जी, अब तो आप प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं. बड़ा दिल रख लीजिए. इस बूढ़े किसान के थक चुके कंधो पर तरस खाइए और 2002 में इस शहर की जनता को जो आपने वादा किया है, उसे याद कीजिए और पूरा कीजिए कि इससे पहले की हमारी फसलें और भविष्य बरबाद हो.
मैं अंत में फिर से आपको ये बात याद दिल दूं कि मुझे ज़ात-पात, प्रदेश या धर्म की सरहदों से मत नापियेगा. मैं न मुसलमान हूं… न हिन्दू… न कांग्रेसी, न भाजपाई… और न ही मैं दलित या स्वर्ण… मै तो सिर्फ एक सामान्य गरीब किसान हूं.
जय भारत
आपका
एक गरीब किसान
वांकानेर (जिला : मोरबी)