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प्रशांत राही की गिरफ्तारी लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन

BeyondHeadlines News Desk

प्रशांत राही काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से अभियांत्रिकी के स्नातक हैं. उन्हें पहले उत्तराखण्ड में नक्लवादी होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. वहां तीन वर्ष बाद ज़मानत मिली. अब महाराष्ट्र पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया है. इस बार भी वही आरोप है.

गैर कानूनी गतिविधियां निवारण अधिनियम की धाराएं 10, 19 व 30 तथा भारतीय दण्ड संहिता की धारा 120 बी लगाई गई हैं. प्रशांत राही पृथक उत्तराखण्ड और टिहरी बांध के खिलाफ आंदोलनों में सक्रिय रहे हैं.

Demonstration against the arrest of Prashant Rahi and Hem Mishraप्रशांत राही उत्तराखण्ड से रिहा होने के बाद से अपनी तरह बंद अन्य लोगों को छुड़ाने के काम में लगे हुए थे. जेलों में बंद लोगों को कानूनी सहायता मिले इसके लिए वे कोशिश कर रहे थे. इसी सिलसिले में वे छत्तीसगढ़ गए हुए थे. महाराष्ट्र पुलिस ने उन्हें रायपुर से गिरफ्तार किया, लेकिन गिरफ्तारी को सनसनीखेज बनाने के लिए अपने दस्तावेजों में गिरफ्तारी महाराष्ट्र के गोंडिया जिले से दिखाई है.

पुलिस का कहना है कि राही की गिरफ्तारी हाल ही में गढ़चिरौली पुलिस द्वारा गिरफ्तार जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्र हेम मिश्रा के बयान के आधार पर हुई है. हेम मिश्रा पर नक्सलियों के लिए डाकिए का काम करने का आरोप लगाया गया है. ज्ञात हो कि यही आरोप डा. बिनायक सेन पर भी लगा था.

सरकार माओवाद के खिलाफ मुहिम चलाने के नाम पर मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर रही है. यदि सरकार को लगता है कि इससे माओवाद थम जाएगा तो वह मुगालते में है. माओवाद की मूल वजह है गरीबों और आदिवासियों का सरकारी व गैर-सरकारी लोगों द्वारा भयंकर शोषण… सरकार यदि इस शोषण और अन्याय को खत्म करने पर ध्यान देगी तो उसे ज्यादा सफलता मिलने की सम्भावना है.

जब तक गैर-बराबरी वाले समाज में शोषण और अन्याय की व्यवस्था कायम रहेगी उसका प्रतिरोध करने वाले भी मौजूद रहेंगे ही. प्रशांत राही, डॉ. बिनायक सेन, सोनी सोरी, हिमांशु कुमार आदि इसी तरह के लोग हैं. हम भी अपनी आवाज़ इन शोषण और अन्याय के खिलाफ संघर्ष करने वालों के साथ मिलाते हुए उनकी रिहाई की मांग करते हैं.

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