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पश्चिमी उत्तर प्रदेश में उच्च न्यायालय बेंच की ज़रूरत

BeyondHeadlines News Desk

नई दिल्ली : उत्तर प्रदेश भौगोलिक दृष्टि से बहुत बड़ा प्रदेश है. लेकिन वर्तमान में उत्तर प्रदेश राज्य में उच्च न्यायालय की एक खण्डपीठ इलाहाबाद में तथा दूसरी लखनऊ में ही स्थापित है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लोगों को न्याय पाने के लिए सैकड़ों मील चलकर काफी धन एवं समय खर्च करके इलाहाबाद जाना पड़ता है. जिससे गरीब लोगों को न्याय पाने के लिए काफी कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है और उन्हें न्याय नहीं मिल पाता है.

इसके अलावा लखनऊ खण्डपीठ का क्षेत्राधिकार भी सीमित है, जिसके अन्तर्गत लखनऊ, फैजाबाद तथा देवीपाटन मण्डल के जिले एवं प्रतापगढ़ जनपद आते हैं तथा लखनऊ के पास के जिलों के वादकारियों को जैसे कि कानपुर, शाहजहाँपुर, पीलीभीत को इलाहाबाद जाना पड़ता है, जिसकी वजह से उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

इन सब बातों को लेकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में उच्च न्यायालय की खण्डपीठ स्थापित करने की मांग काफी समय से की जाती रही है, जिससे जनता को सस्ता एवं त्वरित न्याय आसानी से मिल सके. इसके लिए समय-समय पर आन्दोलन भी होते रहे हैं और अभी भी हो रहे हैं.

इस मांग को देखते हुए जसवंत सिंह कमीशन का गठन किया गया था, जिसने सभी पहलुओं पर विस्तृत रूप से विचार करते हुए अपनी रिपोर्ट सन् 1981 में दी थी. इस रिपोर्ट में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में एक नई बेंच का गठन किया जाना ज़रूरी बताया गया था. जसवंत सिंह कमीशन ने अपनी रिपोर्ट जो कि लगभग 32 वर्ष पहले दी थी, में यह संस्तुति भी की है कि लखनऊ के करीब के क्षेत्र जैसे- कानपुर, शाहजहाँपुर इत्यादि, जहाँ के लोगों को वर्तमान में लखनऊ से होकर इलाहाबाद जाना पड़ता है. उन्हें लखनऊ खण्डपीठ से जोड़ दिया जाये.

इसी बात को ध्यान में रखते हुए आज बहुजन समाज पार्टी ने अपने प्रेस विज्ञप्ति द्वारा बताया कि पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्षा तथा उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री बहन मायावती ने इस सिलसिले में कई बार केन्द्र सरकार से यह अनुरोध किया है कि जसवंत सिंह कमीशन की रिपोर्ट को ध्यान में रखते हुए पश्चिमी उत्तर प्रदेश में उच्च न्यायालय की खण्डपीठ स्थापित की जाये और साथ ही लखनऊ खण्डपीठ के क्षेत्राधिकार को भी पुनर्निर्धारित करते हुए उसके आसपास के जिलों को लखनऊ पीठ से जोड़ा जाये. परन्तु केन्द्र की सरकार ने अभी तक इस मामले में कोई निर्णय नहीं लिया है.

बहुजन समाज पार्टी ने अपने प्रेस बयान द्वारा केन्द्र की सरकार से यह माँग की है कि इस मामले को अब और ज्यादा न लटकाते हुए जसवंत सिंह कमीशन की रिपोर्ट पर अविलम्ब निर्णय लेते हुये पश्चिम उत्तर प्रदेश में उच्च न्यायालय की एक खण्डपीठ स्थापित की जाये तथा लखनऊ खण्डपीठ का क्षेत्राधिकार पुनः निर्धारित किया जाये. जिससे कि जनता को सस्ता, त्वरित एवं सुलभ न्याय मिल सके और इस मामले को लेकर फिर प्रदेश के विभिन्न न्यायालयों में चल रही वकीलों की हड़ताल खत्म हो सके.

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