BeyondHeadlines News Desk
लखनऊ : मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित सामाजिक कार्यकर्ता संदीप पाण्डे ने कहा कि आतंकवाद के नाम पर गिरफ्तार मुस्लिम युवकों की रिहाई का वादा न निभा कर सपा सरकार ने साबित कर दिया है कि उसने महज़ वोटों के लिए मुसलमानों से वादा किया था. उसके एजेंडे में किसी भी बेगुनाह को छोड़ना नहीं था. इसीलिए उसने खालिद मुजाहिद और तारिक़ कासमी की बेगुनाही साबित करने वाली निमेष कमीशन की रिपोर्ट को साल भर से ज्यादा समय से दबाए हुए है और खालिद की हत्या में नामजद कराए गए पुलिस और आईबी के आला अधिकारियों को बचाने की नीयत से मामले की सीबीआई जांच नहीं करा रही है.
उन्होंने कहा कि पूरे प्रदेश में 50 से अधिक मुस्लिम नौजवान आतंकवाद के फर्जी मुक़दमों में बंद हैं या जो ज़मानत भी पाए हैं तो उन्हें सालों से मुक़दमे लड़ने पड़ रहे हैं. सपा सरकार ने उन पर से मुक़दमे हटाने और ज़मानत अर्जी का विरोध न करने का वादा किया था. लेकिन हर मामले में सरकारी वकील ने ज़मानत अर्जी का विरोध किया है. जिससे सपा के झूठ का पर्दाफाश होता है. ये बातें उन्होंने रिहाई मंच के धरने के 106वें दिन कहीं.
संदीप पांडे ने कहा कि जिस तरह पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता प्रशांत राही को गढ़चिरौली में माओवाद के नाम पर पकड़ा गया है, वह बताता है कि इस देश में माओवाद से लड़ने के नाम पर सरकारें लोकतंत्र पर हमलावर हो रही हैं.
उन्होंने कहा कि सभी पार्टियां और सरकारें आदिवासीयों के हक़ के सवाल उठाने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं पर माओवादी होने का आरोप लगाकर उन्हें जेलों में भेजने की नीति पर काम कर रही हैं. इस मामले में भाजपा और कांग्रेस में कोई मतभेद नहीं है. यह हमारे लोकतंत्र के लिए अच्छा संकेत नहीं है.
उन्होंने कहा कि प्रशांत राही की गिरफ्तारी के खिलाफ कल 5 सितम्बर को जीपीओ के सामने कैंडिल लाईट प्रोटेस्ट किया जाएगा, जिसमें उनके साथ अपनी एकजुटता दिखाई जाएगी.
धरने को सम्बोधित करते हुए इंडियन नेशनल लीग के राष्ट्रीय अध्यक्ष मोहम्मद सुलेमान ने कहा कि 100 से अधिक दिन हो जाने के बावजूद रिहाई मंच के धरने की मांग को न मान कर सपा सरकार ने साबित कर दिया है कि उसका लोकतंत्र में कोई विश्वास नहीं है.
उन्होंने कहा कि अपने को लोहिया का वारिस कहने वाले मुलायम की असलियत इस धरने ने साबित कर दी है कि उनके समाजवाद में सुनवाई सिर्फ रघुराज प्रताप सिंह जैसे माफिया और अशोक सिंघल जैसे साम्प्रदायिक लोगों की ही होती है. भले इसके चलते पूरे सूबे में अराजकता और साम्प्रदायिकता फैल जाए.
उन्होंने कहा कि अगर मुलायम सिंह इतने दंगों और बेगुनाहों की रिहाई के वादे से पीछे हटने के बाद भी 2014 में प्रधानमंत्री बनने का सपना देख रहे हैं तो इसका सीधा मतलब यही है कि या तो वे भ्रम में हैं या फिर उन्होंने भाजपा की मदद से प्रधानमंत्री बनने का कोई अंदरखाते समझौता कर लिया है.
उन्होंने कहा कि विधान सभा सत्र के दौरान होने वाला ‘डेरा डालो -घेरा डालो’ आंदोलन 2014 के लोकसभा चुनाव में सपा के मंसूबों पर पानी फेरने का काम करेगा. उन्होंने कहा कि रिहाई मंच का यह ऐतिहासिक धरना मुसलमानों की आने वाली पीढ़ियों को हमेशा शिक्षित करेगा और वे मुलायम सिंह जैसे धोखेबाज नेताओं को परखने के लिए हमेशा इस आंदोलन से अर्जित तर्जुबे और कसौटी का इस्तेमाल करेंगे.
पिछड़ा समाज महासभा के एहसानुल हक़ मलिक ने कहा कि जिस तरह मुज़फ्फरनगर शामली में सपा सरकार के इशारे पर प्रशासन द्वारा पिछले कई दिनों से साम्प्रदायिक दंगों को होने देने से साबित हो जाता है कि सरकार दंगों की राजनीत पर उतारू हो गयी है.
उन्होंने सपा सरकार पर दंगे कराने का आरोप लगाते हुए कहा कि जब भी सपा की सरकार बनती है प्रशासन में साम्प्रदायिक पुलिस अधिकारियों को संघ परिवार के साथ मिलकर दंगे कराने की छूट दे दी जाती है. इसीलिए पिछली सपा हुकूमत में हूआ मऊ दंगा हो या गोरखपुर, पडरौना, सिद्धार्थनगर का दंगा या फिर अखिलेश की सरकार में हुए सौ से ज्यादा दंगे एक भी पुलिस अधिकारी पर कोई कार्यवायी नहीं हुई.
उन्होंने जनता से अपील की कि 16 सितम्बर से होने वाले ‘डेरा डालो -घेरा डालो’ आंदोलन में भारी संख्या में लोग पहुंचें और दंगाई सपा सरकार को जनता की ताक़त का एहसास करा दें.
मुस्लिम मजलिस के जैद अहमद फारूकी और भारतीय एकता पार्टी एम के सैय्यद मोईद अहमद ने कहा कि जैसे-जैसे चुनाव नज़दीक आ रहे हैं सपा और भाजपा के बीच दंगे कराने के समझौते को जनता अमल में आते हुए देख रही है. लेकिन सपा और भाजपा को समझ लेना चाहिए कि जनता अब 90 के दौर को दुबारा दुहराने की इजाज़त नहीं देगी. इसलिए ऐसे दंगों से सरकार बाज आए.
उन्होंने कहा कि लैपटाप बांटने के बाद भी अगर सपा को वोट के लिए दंगे कराने पड़ रहे हैं तो समझा जा सकता है कि सरकार खुद मान चुकी है कि उसे लैपटाप के बदले वोट नहीं मिलने वाला.
रिहाई मंच के प्रवक्ता राजीव यादव और शाहनवाज़ आलम ने कहा कि विधान सभा सत्र की पूर्व संध्या पर 15 सितम्बर को रिहाई मंच मशाल जुलूस निकाल कर सरकार को चेतावनी देगा कि यदि मानसून सत्र में खालिद मुजाहिद और तारिक़ कासमी की बेगुनाही का सुबूत निमेष कमीशन रिपोर्ट पर अमल करते हुए तारिक़ कासमी को नहीं छोड़ा गया और खालिद के हत्यारे पुलिस और आईबी के अधिकारियों को जेल नहीं भेजा गया तो विधान सभा का सत्र नहीं चलने दिया जाएगा.
खालिद मुजाहिद के हत्यारों की गिरफ्तारी, निमेष कमीशन कमीशन की रिपोर्ट पर अमल और आतंकवाद के नाम पर कैद निर्दोषों को छोड़ने की मांग के साथ चल रहा धरना आज 106वें दिन भी जारी रहा. धरने का संचालन राजीव यादव ने किया.