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बिहार में क्रांतिकारी बिजली मॉडल का आगाज़

BeyondHeadlines News Desk

पटनाः पर्यावरणीय मुद्दों पर काम करनेवाली वैश्विक संस्था ‘ग्रीनपीस’ ने आज बिहार के जहानाबाद जिले के धरनई गांव में ग्रामीण विद्युतीकरण के लिए अपने तरह के अनूठे माइक्रो ग्रिड (सूक्ष्म स्तर पर बिजली उत्पादन इकाई) स्थापित करने की घोषणा की.

एक महत्वाकांक्षी प्रयोग का अंग मानी जा रही सौर ऊर्जा चालित इस परियोजना को यह प्रदर्शित करने के  लिए स्थापित किया जा रहा है कि ग्रामीण विद्युतीकरण का सपना विकेंद्रीकृत अक्षय ऊर्जा प्रयोगों से ही संभव है.

इस परियोजना में ग्रीनपीस के अलावा साझा रूप से ‘बेसिक्स’ और ‘सेंटर फॉर इन्वायरोन्मेंट एंड एनर्जी डेवलपमेंट (सीइइड)’ की भी भागीदारी है. करीब 100 किलोवाट सोलर पैनल की क्षमता का यह स्मार्ट माइक्रो ग्रिड धरनई गांव के करीब 350 घरों में चौबीसों घंटे सस्ती, विश्वसनीय और टिकाऊ बिजली की आपूर्ति करेगा.

Greenpeace launches solar powered micro grid in Biharइस माइक्रोग्रिड के अगले साल मार्च के आसपास कामकाज शुरू करने का लक्ष्य रखा गया है. इस मौके पर ग्रीनपीस इंडिया के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर समित आइच ने कहा कि ‘विकेंद्रीकृत अक्षय ऊर्जा सेवा प्रणाली महज चंद घंटों के लिए रोशनी या पंखे चलाने का तरीका भर नहीं है. दरअसल यह भारत में ग्रामीण विद्युतीकरण की दिशा में निर्णायक भूमिका निभायेगी और देश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गतिशील बनाते हुए लाखों लोगों की उम्मीदों व आकांक्षाओं को पूरा करेगीइसमें उसी प्रकार की बुनियादी अधिसंरचना की दरकार है, जहां भविष्य में ऊर्जा निवेश की संभावना मौजूद है, जो न केवल लोगों  की आधुनिक बिजली तक पहुंच को सुगम बनाती है, बल्कि उस आधारभूत संरचना का निर्माण करती है, जिसका निर्माण व  नियंत्रण लोगों के द्वारा ही किया जाता है.’

जहानाबाद के मखदुमपुर प्रखंड में स्थित धरनई गांव को इसके समाज-आर्थिक प्रोफाइल, जनांकिकी पृष्ठभूमि और गांव तक लोगों  की पहुंच आदि मानकों के आधार पर चुना गया है. पहले इस गांव में बिजली हुआ करती थी, लेकिन अब यह इससे महरूम है  और अभी यह डीजल जेनरेटर जैसे महंगे और अविश्वसनीय साधन पर निर्भर है.

वैसे तो इस गांव में पारंपरिक रूप में मुख्य पेशा  कृषि है, लेकिन गांव में दुकानें, बैंक और चंद सरकारी कार्यालयों के कारण अन्य आर्थिक गतिविधियां भी हैं, जो आम तौर पर  डीजल जेनरेटर या बैटरी से चला करते हैं. यह स्मार्ट माइक्रो ग्रिड परियोजना इन लोगों की जरूरतों को पूरा करने में पूरी तरह सक्षम होगी.

बेसिक्स इंडिया के मैनेजिंग डायरेक्टर मिहिर सहाना ने माइक्रो ग्रिड के बारे में बताया कि इससे समाज के सभी तबकों को लाभ  पहुंचेगा, जिससे ऊर्जा सुरक्षा व इस सुविधा तक पहुंच की मौजूदा असमानता व अन्याय की स्थिति खत्म होगी और इस तरह  धरनई गांव को भी समावेशी विकास पर चलने का मौका मिलेगा.

यह परियोजना लोगों के सक्रिय सहयोग से चलेगी, जिनकी बिजली उत्पादन व वितरण में भागीदारी होगी. अपने तरह का यह अनूठा मॉडल निवेशकों को भी आकर्षित करेगा और सरकार को ऊर्जा योजना खासकर अक्षय ऊर्जा के संदर्भ में, नियामकीय ढांचे में सकारात्मक बदलाव के लिए प्रोत्साहित करेगा.

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