BeyondHeadlines News Desk
लखनऊ : 10 फरवरी 2010 को पूणे की जर्मन बेकरी में हुए सुनियोजित बम ब्लास्ट जिसमें 17 बेगुनाह नागरिकों की मौत हो गयी थी और कई अन्य गंभीर रूप से ज़ख्मी हुए थे, के बारे में हाल ही में जिस तरह से नये रहस्योद्घाटन हुए हैं, वे यह साबित करते हैं कि आज भी जर्मन बेकरी ब्लास्ट कांड के असल आरोपी कानून की गिरफ्त से न केवल बाहर हैं, वरन एक बेगुनाह को सांप्रदायिक जेहनियत के पुलिस अधिकारियों ने फर्जी कहानी के बल पर न केवल फांसी की सजा दिलवा दी बल्कि इस देश के अमन पसंद मुसलमानों को बदनाम करने का एक घिनौना षडयंत्र भी किया है. खालिद मुजाहिद को इंसाफ दिलाने के लिए चल रहे धरने के 109वें दिन ये बातें रिहाई मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शुऐब ने कही.
मोहम्मद शुऐब ने कहा कि जर्मन बेकरी ब्लास्ट के बारे में जिस तरह से मीडिया में चौंकाने वाली खबरें आयी हैं कि यासीन भटकल ने सुरक्षा एजेंसियों के सामने जिस तरह से यह खुलासा किया है कि जर्मन बेकरी में बम उसने रखा था तथा इस ब्लास्ट से सजायाफ्ता 33 वर्षीय हिमायत बेग का कोई संबंध नहीं है तथा वह बेकसूर है. जबकि इसी मामले में हिमायत बेग को सेशन कोर्ट ने इस ब्लास्ट का आरोपी मानकर सजा-ए-मौत दे दी है.
उन्होंने कहा कि भटकल के इस बयान के बाद सारा केस ही संदेहास्पद हो जाता है और ऐसे में पुलिस द्वारा गढ़ी गई सारी कहानी स्वयं में ही फर्जी साबित हो जाती है. इसी केस में यासीन भटकल के भाई अब्दुल समद को पहले बम रखने के फर्जी सीसीटीवी फुटेज के आधार पर दोषी ठहराने की कोशिश की गई थी पर अब्दुल समद ने अपने बेगुनाही के दस्तावेज प्रस्तुत किए कि वो घटना वाले दिन कहीं और था. जब अब्दुल समद को पकड़ा गया था तो उस समय भी खुफिया और मीडिया ने उसे मास्टर माइंड घोषित किया था. ऐसे में इस खुलासे के बाद इस केस में तुरंत पुर्नविवेचना होनी चाहिए ताकि हिमायत बेग जैसे बेकसूरों के साथ न्याय हो सके और बम धमाकों के असली गुनहगारों के गर्दन तक कानून का शिकंजा पहुंच सके.
उन्होंने कहा कि हम मांग करते हैं कि हिमायत बेग को फंसाने वाले तथा फर्जी कहानी गढ़कर अदालत को गुमराह करने वाले पुलिस के विवेचना अधिकारियों के खिलाफ भी एक कठोर कार्यवाही सुनिश्चित की जाए. किसी भी बेगुनाह को फर्जी तरीके से फंसाना एक आपराधिक कृत्य है और इस केस के विवेचना अधिकारियों को इसके लिए दण्ड अवश्य मिलना चाहिए.
इंडियन नेशनल लीग के राष्ट्रीय अध्यक्ष मोहम्मद सुलेमान ने कहा कि बेगुनाहों पर से सपा सरकार ने मुक़दमा वापस लेने का जो आश्वासन प्रदेश की आवाम को दिया था उसे पूरा करने को लेकर वह कतई प्रतिबद्ध नहीं है. एक तरफ सरकार जहां अल्पसंख्यकों के बीच मुक़दमा वापसी की कोशिशों का ढिंढोरा पीट रही है तो वहीं दूसरी ओर सपा के ही फंडेड लोग उच्च न्यायालय में सरकार की मुक़दमा वापसी की प्रक्रिया के खिलाफ खड़ें हैं.
लोकसभा चुनाव के वक्त मुलायम एक तीर से दो शिकार करने की जो असफल कोशिशें कर रहे हैं. वह कहीं से सफल होने वाली नहीं हैं. मुलायम की असलियत मुसलमान जान चुका है. अटार्नी जनरल को नोटिस जारी करने का हालिया मामला मुलायम की असलियत को बेनकाब करता है.
मुस्लिम मजलिस के जैद अहमद फारूकी और भारतीय एकता पार्टी के सैय्यद मोईद अहमद ने कहा कि पांच साल होने जा रहे हैं और आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाहों को छोड़ने के सवाल पर सत्ता में आई सपा सरकार ने किसी बेगुनाह को तो छोड़ा नहीं बल्कि खालिद की हत्या करवा दी. ऐसे में हम सपा के विधायकों से कहना चाहेंगे कि आगामी 16 सितंबर से चलने वाले मानसून सत्र में साफ हो जाएगा कि वो मुसलमानों के कितने हितैषी हैं. जनता अबकी मानसून सत्र का बेसब्री से इंतजार कर रही है कि उनके वोटों से विधायक से मंत्री बने सपा के मुस्लिम नेता यूपी में हो रहे लगातार दंगों व खालिद मुजाहिद और आतंकवाद के नाम पर कैद बेकसूरों की रिहाई पर मुंह खोलते हैं कि नहीं.
पिछड़ा समाज महासभा के एहसानुल हक़ मलिक और भागीदारी आंदोलन के पीसी कुरील ने कहा कि आज जिस तरीके से सांप्रदायिकता यूपी में सपा की सरपरस्ती में पांव पसार रही है, ऐसे में वंचित तबकों की एकजुटता ही इससे मुक़ाबला कर सकती हैं. विकृत मानसिकता वाले मनुवादी एजेण्डे पर काम करने वाली राजनीति हिन्दुओं के निचले तबके की जातियों को मुसलमानों के खिलाफ गोलबंद करते हैं अगर इस राजनीति को रोक दिया जाए, तो सांप्रदायिकता का ज़हर उगलने वाले सांप खुद ब खुद अपने बिलों में जा दुबकेंगे.
रिहाई मंच के प्रवक्ताओं ने बताया कि अलग दुनिया द्वारा आयोजित राजेश कुमार के नाटक को अवाम को ज़रुर देखना चाहिए, इस नाटक के लिखे जाने के दौर में जिस बारीकी से राजेश कुमार ने बड़ी संजीदगी से मुस्लिम समुदाय के प्रति आतंकवाद को लेकर उठ रहे सवालों को व्यापक दायरे में देखने की कोशिश की और आतंकवाद के राज्य प्रायोजित चरित्र को ‘ट्रायल ऑफ एरर्स’ के माध्यम से सामने लाया वो उन बेगुनाहों की आवाजें हैं जो दशकों-दशक से काल कोठरियों में खामोश कर दी गईं हैं.
प्रवक्ताओं ने बताया है कि अलग दुनिया के प्रमुख केके वत्स ने बताया है कि 7 और 8 सितंबर को संगीत नाटक एकेडमी में होने वाले इस नाटक को उन्होंने मौलाना खालिद को समर्पित किया है. हमारे बेगुनाह भाई जो आतंकवाद के झूठे आरोपों में जेल की कोठरियों में बंद हैं मीडिया के द्वारा उन्हें खबरें मिलती हैं और उन लोगों ने जबसे इस नाटक के बारे में सुना है वो इसे लेकर काफी उत्सुक हैं कि उनकी आवाज़ को राजेश कुमार ने ‘ट्रायल ऑफ एरर्स’ के माध्यम से बुलंद किया है.
7 व 8 सितंबर को होने वाले इस नाटक के लिए उन्होंने राजेश कुमार को बधाई दी और उनके लिए दुआ की दरखास्त की है कि उनका एक भाई जिसको जीते जी इंसाफ नहीं मिला उसके इंसाफ के लिए देश की इंसाफ पसन्द अवाम सिद्दत के साथ लड़ रही है.