मेरे सामने ही मेरे दादा को गड़ासे से तीन टुकड़े काट दिया गया

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BeyondHeadlines News Desk

मुज़फ्फरनगर : लगभग 9 हजार सांप्रदायिक हिंसा पीडि़त मुसलमान जो मलकपुर राहत शिविर कैंप में खुले आसमान के नीचे बांस की खपच्चियों पर प्लास्टिक बांधकर भारी बारिश में रहने को मजबूर हैं और जहां अब तक 50 बच्चे जन्म ले चुके हैं. अभी भी 250 महिलाएं गर्भवती हैं. उस कैंप में रह रहे लोगों के लिए दो हफ्ते से अधिक समय में भी यूपी सरकार कोई बुनियादी सुविधाओं की व्यवस्था नहीं कर पायी. लेकिन वन विभाग ने शिविर में रह रहे लोगों पर वन विभाग की ज़मीन पर कब्जा करने का मुक़दमा दर्ज कर सरकार की मुस्लिम विरोधी रवैए को उजागर कर दिया है. यह आरोप सांप्रदायिक हिंसा पीडि़त कैंपों का दौरा कर रहे रिहाई मंच के जांच दल ने पांचवे दिन लगाया.

रिहाई मंच ने आरोप लगाया है कि कैराना रेंज के वन अधिकारी नरेन्द्र कुमार पाल ने हजारों मुसलमानों के खिलाफ थाना कैराना जिला शामली में मुक़दमा अपराध संख्या 449/13 दर्ज करावाया है. जिसके चलते सांप्रदायिक हिंसा पीडि़त कैंपों में रह रहे लोगों के सामने गंभीर संकट पैदा हो गया है. जो लोकनिर्माण विभाग मंत्री शिवपाल यादव द्वारा पीडि़तों को कहीं भी बसाने के वादे को झूठा साबित करता है. पीडि़तों के जख्मों पर सपा सरकार द्वारा नमक छिड़कने जैसा है.

रिहाई मंच ने कहा है कि जिस तरह मुलायम सिंह यादव और उनका कुनबा पीडि़तों को न्याय दिलाने के बजाए जाटों और मुसलमानों के बीच फैसला पंचायत आयोजित कर दोनों तबकों में सुलह कराने, मुक़दमे वापस लेने और जांच में फाइनल रिपोर्ट लगवाकर केस खत्म करने की बात कर रहे हैं. वह पीडि़तों को इंसाफ से वंचित करने और न्यायिक प्रक्रिया को बाधित करने की कोशिश है.

muzaffarnagar fact finding reportरिहाई मंच जांच दल ने पाया कि मुसलमानों के खिलाफ संगठित हिंसा की तैयारी 7 सितंबर को नंगला मदौड़ में हुई जाट महापंचायत से पहले ही कर ली गई थी और 7 सितंबर की शाम को लौटने के बाद गांवों में मुसलमानों के विरुद्ध हिंसक कार्यवाईयां शुरु कर दी गई थीं. थाना फुगाना के लाख गांव के शहजाद ने जांच दल को बताया कि सात सितंबर की रात जाटों के पंचायत से लौटने के बाद गांव में शोर-शराबा बढ़ गया और सिकंदर जाट पुत्र इकबाल जाट ने गांव के मंदिर से ऐलान किया कि सभी हिन्दू मंदिर में इकट्ठा हो जाएं ताकि मुसलमानों को मारना शुरु किया जाए. इस ऐलान के बाद जाट हथियारबंद होने लगे और मुसलमानों के खिलाफ नारेबाजी होने लगी.

इसी गांव के मोहम्मद मुकीम ने बताया कि मुस्लिम विरोधी नारे सुनने के बाद जब उन्होंने गांव के प्रधान बिल्लू जाट से सुरक्षा की गुहार की तब प्रधान और उसके साथी संजीव पुत्र झल्लड़ जाट ने मुकीम से कहा कि तुम सारे मुसलमान मर्द गांव छोड़कर चले जाओ और औरतों को यहीं रहने दो कोई दिक्कत नहीं होगी. मुकीम और उसकी पत्नी वसीला ने बताया कि 7 सितंबर की शाम को ही प्रधान बिल्लू के दरवाजे पर नीटू पुत्र कंवर पाल जाट और कोटेदार प्रमोद प्लास्टिक और शीशियों में केरासन तेल और तेजाब भरकर इकट्ठा कर रहे थे.

8 सितंबर सुबह 9 बजे मुसलमानों के खिलाफ शरु हुई हिंसा और आगजनी के चलते जान बचाकर चार दिनों तक गन्ने के खेत में छिपे और इस दरम्यान अपनी बारह साल की बेटी को सामूहिक बलात्कार और तेजाब छिड़कर की गई हत्या में खो चुके इस परिवार ने बताया कि ग्राम प्रधान बिल्लू ने आगजनी की अगुवाई की और तेल भरी शीशियां लोगों व उनके घरों पर फेंकी, जिनमें से एक शीशी का शिकार बनते-बनते खुद मुकीम बचे. वे कहते हैं उन्होंने आखिरी बार अपनी बेटी को नीटू, संजीव समेत आठ दस लोगों के बीच घिरा देखा जो उसके कपड़े फाड़ चुके थे. वे कहते हैं कि चार दिन बाद थाना फुगाना में लाश की शिनाख्त के लिए बुलाए जाने पर कपड़ों से उन्होंने अपनी बेटी को पहचाना जिसको तीन टुकड़े करके तेजाब से जलाया और एक प्लास्टिक की पॉलीथीन में डाला गया था. उनकी बेटी की शव में कीड़े पड़ गए थे. लेकिन पुलिस ने बिना किसी लिखा पढ़ी के शव को दफना दिया.

लाख गांव के पीडि़तों से तफ्तीश करने के दौरान रिहाई मंच जांच दल ने पाया कि इस गांव में इस तरह की और भी कई घटनाएं हैं जहां महिलाओं खासकर कम उम्र की बच्चियों के साथ सामूहिक बलात्कार व हत्याएं हुई हैं, जिसे प्रशासन दबा रहा हैं.

रिहाई मंच को कई गांवों के पीडि़तों ने बताया कि उनके गांवों के प्रधान जो जाट जाति से आते हैं, ने हर जगह इसी तरह की भूमिका निभाई. रिहाई मंच ने मांग की है कि थाना फुगाना के पूरे पुलिसिया अमले को तत्काल निलंबित कर जांच के दायरे में लाया जाए.

रिहाई मंच जांच दल में शामिल अवामी कांउसिल फॉर डेमोक्रेसी एंड पीस के असद हयात, राजीव यादव, शरद जायसवाल, गुंजन सिंह, लक्ष्मण प्रसाद और शाहनवाज़ आलम ने बताया कि इसी रिलीफ कैम्प के ग्राम फुगाना निवासी आस मोहम्मद की पत्नी के साथ गांव के ही सुधीर जाट, विनोद, सतिंदर ने उन पर हमला किया, जिसमें उनके तीन बच्चे गुलजार(10), सादिक(8) और ऐरान(6) बिछड़ गए. जिनका पता आज तक नहीं चला.

उन्होंने बताया कि उन लोगों ने मेरे कपड़े फाड़ दिये और बुरी तरीके से दांत काटे. तभी बगल से एक और लड़की भागी जिसकी तरफ वे लोग लपके और मैं वहां से किसी तरह बच कर भाग पायी. रिहाई मंच जांच दल को कैराना कैम्प में रहने वाली फुगाना गांव की शबनम ने बताया कि 8 सितम्बर को सुबह 9-10 बजे के करीब नारों की शोर सुनकर हम सब वहां से भागे और पास के लोई गांव में एक घर में छुप गए. लेकिन मेरे दादा बूढ़े होने के चलते पीछे छूट गए. जिन्हें हमने अपने गांव के ही विनोद, चसमबीर, अरविंद, हरपाल और अन्य द्वारा गड़ासे से तीन टुकड़े काट कर मारे जाते हुए देखा.

फुगना थाने के गांव लिसाढ़ जहां दो दर्जन से ज्यादा मुसलमान मारे गए कि एक महिला ने बताया कि अख्तरी(65) को जब जिंदा जलाया गया तब उनकी गोद में उनकी पोती भी थी. वो भी गोद में चिपके-चिपके ही जल गयी. जिन्हें दफनाते वक्त बच्ची को गोद से अलग नहीं किया गया. उस्मानपुर की इमराना की 12 वर्षीय बेटी रजिया जो गांव के मदरसे में पढ़ रही थी ने बताया कि मदरसे पर बहुत सारे जाटों ने गड़ासे और तलवारों के साथ हमला किया. किसी तरह से रजिया अपने दो भाईयों जावेद(10) और परवेज (8) के साथ भागी और गन्ने के खेतों में पूरा दिन और पूरी रात छुपे रहे.  रिहाई मंच जांच दल को पीडि़तों ने बताया कि कई गांवों में मदरसों पर हमला किया गया, जिसमें पढ़ने वाले कई बच्चे-बच्चियां आज तक गायब हैं.

रिहाई मंच के प्रवक्ता राजीव यादव और शाहनवाज़ आलम ने कहा कि मुसलमानों के खिलाफ हुई इस संगठित हिंसा में जाटों की एकता राजनीतिक वफादारियों से उपर उठ कर काम कर रही थी. इसीलिए 5 सितम्बर को लिसाढ़ गांव में आयोजित जाट बिरादरी के गठवारा खाप पंचायत जिसे 52 गांवों के मुखिया और क्षेत्र के दबंग हरिकिशन बाबा ने बुलायी थी. उसमें कांग्रेस के पूर्व राज्य सभा सांसद व स्थानीय कांग्रेस विधायक पंकज मलिक के पिता हरिंदर मलिक भी मौजूद थे.

इस पंचायत जिसमें मुसलमानों के जनसंहार की रणनीति बनी उसका संचालन शामली जिला के समाजवादी पार्टी सचिव डॉक्टर विनोद मलिक ने की, जिसमें हुकूम सिंह और तरूण अग्रवाल समेत कई भाजपा नेता भी शामिल थे। लेकिन हरिकिशन समेत सभी नेताओं पर धारा 120 बी के तहत आपराधिक षडयंत्र रचने का मुक़दमा दर्ज है, लेकिन आज तक किसी को गिरफ्तार नहीं किया गया.

रिहाई मंच की मांग है कि ग्राम लिसाढ़, लाख, बहावड़ी, सिम्हालका, कुगड़ा, कुटबा, कुटबी आदि कई गांवों में जहां मकानों को जलाया गया है उनके पीडि़तों को तुरंत 5-5 लाख रूपये मुआवजा दिया जाए, क्योंकि इसी प्रकार राज्य सरकार द्वारा ग्राम अस्थान जिला प्रतापगढ़ के पीडि़तों को अंतरिम आर्थिक सहायता दी जा चुकी है.

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