Ilyaskhan Pathan for BeyondHeadlines
गुजरात के मोदी को अब स्थानीय मुद्दा कोई मुद्दा नहीं लगता. आखिर अब वो राष्ट्रीय जो हो गए हैं. और एक सच यह भी है कि जैसे ही कोई राष्ट्रीय होता वो अपना सीमित ज्ञान पूरे देश पर थोपना प्रारंभ कर देता है. वैसे भी देश में नेताओं को छोड़ कर तमाम ‘राष्ट्रीय’ का हाल बुरा ही है. क्या पता यही हाल 2014 में हमारे तथाकथित राष्ट्रीय नेताओं का भी न हो जाए.
बात दरअसल यह है कि हर समय गुजरात की चिंता करने वाले मोदी अब अपने भाषणों में गुजरात के स्थानीय मुद्दों को नज़रअंदाज कर देश की समस्याओं पर चिंता करने लगे हैं. वहीं अपनी होम पिच यानी गुजरात में सभी वर्गों के लोगों को लुभाने और दिलों में विश्वास की लहर पैदा करने का काम अब उनकी विशेष स्थानीय भाजपा की टीम पर है.
उनके टीम का सबसे पेचीदा काम स्थानीय अल्पसंख्यकों का दिल जीतना है. और यही लक्ष्य को पाने के लिए फिलहाल टीम मोदी पुरे दम-ख़म के साथ मैदान में है. हाल ही में गुजरात भाजपा के अल्पसंख्यक मोर्चा अध्यक्ष महबुब अली चिश्ती को गुजरात हज कमिटी का चेयरमैन बनाया गया, तो कांग्रेसी मुस्लिम विधायक जावेद पीरजादा को गुजरात वक्फ बोर्ड में सदस्य की जगह दी गई. ख़बर यह भी है कि गुजरात के स्थानीय भाजपा की टीम कांग्रेसी मुस्लिम विधायकों को भाजपा में शामिल कराने पर भी जोर लगा रही है.
शकील पीरजादा बताते हैं कि ‘गुजरात के स्थानीय भाजपा नेताओं द्वारा पिछले कुछ समय से कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने के लिए उच्च पदों का प्रलोभन दिया जा रहा है. साथ ही दबाव बनाने के लिए सरकारी अधिकारियों के पदों का दुरूपयोग करके हम पर फर्जी केस भी फाइल किये जा रहे हैं. ऐसा इसलिए कि हम मजबूर होकर भाजपा में शामिल हो जाएं. सच तो यह है कि हम अपनी जगह सिर्फ न्यायपालिका की न्यायपूर्ण प्रणाली और स्थानीय लोगों के समर्थन से ही अब तक बने हुए है.’
शकील पीरजादा गुजरात की वांकानेर विधानसभा सीट के विधायक जावेद पीरजादा के भतीजे हैं, और साथ ही वे स्थानीय यूथ कोंग्रेस कमिटी के प्रमुख भी हैं. शकील पीरजादा ने BeyondHeadlines से बातचीत के दौरान बताया कि ‘आज़ादी के बाद से ही वांकानेर विधानसभा सीट कांग्रेस का गढ़ रहा है. यहां 15 सालों से कांग्रेसी मुस्लिम विधायक हैं. वर्तमान में भी यहाँ के विधायक कांग्रेसी मुस्लिम हैं. इसके साथ ही स्थानीय तालुका पंचायत में भी कांग्रेसी समर्थकों की सत्ता है. इस विधानसभा सीट पर मुसलमानों की संख्या अधिक होने और स्थानीय मुस्लिमों में लोकप्रियता के कारण हमें भाजपा में शामिल होने के लिए राजनैतिक दबाव बनाया जा रहा है. साथ ही कई तरह की धमकियां भी दी जा रही हैं.’
वांकानेर विधानसभा के विधायक जावेद पीरजादा का कहना है कि ‘गुजरात में मुस्लिम विधायक को मोदी सरकार उपेक्षित करती आ रही है. वर्ष 2002 में वांकानेर तहसील के चंद्रपुर गाँव में एक कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस शहर की जनता को नर्मदा का पानी देने का वादा किया था. लेकिन मोदी के उस वादे के 11 साल बाद भी वांकानेर को नर्मदा का एक बूंद पानी भी नहीं मिला.’ आगे वो बताते हैं कि ‘हमने हर बार की तरह पिछले सत्र के दौरान भी विधानसभा में इस मुद्दे को उठाया, तो इस बार मोदी सरकार द्वारा 2013 के दिसंबर माह तक नर्मदा का पानी वांकानेर में पहुंचाने की लॉलीपॉप दी गई है.’
स्थानीय तालुका पंचायत के कांग्रेसी सदस्य मुशर्रफ अली सैय्यद का कहना है कि 2010 से तालुका पंचायत पर कांग्रेस की सत्ता है. लगभग उसी वक्त से पंचायत के सरकारी अधिकारियों व पदाधिकारियों के बीच अनबन ही रही है. 2012 के मध्य में वांकानेर तहसील के तिथवा गाँव में पानी की समस्या को लेकर 400 से अधिक ग्रामजनों के साथ विधायक जावेद पीरजादा पंचायत टीडीओ (तालुका डेवलपमेंट ऑफिसर) से मिलने गए थे. वहां टीडीओ के नकारात्मक रवैये को देखकर लम्बे समय से पानी की समस्या से पीड़ित ग्रामजनों की गुस्साई भीड़ ने पंचायत भवन में तोड़फोड़ कर दी. इसके बाद टीडीओ ने विधायक पर एट्रोसिटी की पुलिस शिकायत दर्ज करवा दी.
इतना ही नहीं, इस घटना के कुछ महीने बाद मुझ पर और तालुका पंचायत के अन्य एक मुस्लिम सदस्य गुलाम परासरा समेत चार लोगों पर टीडीओ की पत्नी ने एट्रोसिटी और मारपीट करने की पुलिस शिकायत की. टीडीओ ने इसके लिए पंचायत के दोनों मुस्लिम सदस्यों के खिलाफ डीडीओ (डिस्ट्रिक्ट डेवलपमेंट ऑफिसर) को रिपोर्ट कर दोनों सदस्यों को पद से निलंबित भी करवा दिया. बाद मे हमने राज्य विकास कमिश्नर को याचिका दायर करके इस मामले में जाँच की मांग की. जांच के बाद हाल ही में डीडीओ द्वारा हमें निलंबित करने के फैसले पर विकास कमिश्नर की ओर से स्टे ऑर्डर जारी किया गया है.
दमन की यह कहानी आगे भी जारी रहा. शकील पीरजादा बताते हैं कि जब वांकानेर की स्थानीय ए.पी.एम.सी. (एग्रीकल्चर प्रोड्यूस मार्केट कमिटी) पर भी कांग्रेस समर्थकों की सत्ता थी. उस वक्त भी सरकारी अधिकारियों की सत्ता का दुरूपयोग कर आर्थिक घोटाले का बहाना बनाकर दो वर्ष तक सत्ता से निलंबित किया गया था. हांलाकि इस मामले में गुजरात हाईकोर्ट के आदेश के बाद सत्ता अब फिलहाल कांग्रेस के हाथ में है.
गौरतलब रहे कि फिलहाल गुजरात की कुल 182 विधानसभा सीटो में से सिर्फ 2 सीटों पर मुस्लिम विधायक हैं. दोनों विधायक 2007 के विधानसभा चुनाव में भी विधायक रहे थे और 2012 विधानसभा चुनाव में भी विजयी रहे. साथ ही यह भी गौरतलब रहे कि सदभावना कार्यक्रमों की नौटंकी करने वाली गुजरात भाजपा ने पिछले यानी 2012 के विधानसभा चुनाव में 182 सीटों में से एक भी सीट पर मुस्लिम उम्मीदवार को टिकट नहीं दिया था. और इसी के नक़्शे कदम पर भाजपा के बागी नेता और गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री केशुभाई पटेल की जीपीपी (गुजरात परिवर्तन पार्टी) भी चली थी.