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निमेष रिपोर्ट पर अमल के लिए रिहाई मंच ने विधान सभा पर डेरा डाला

BeyondHeadlines News Desk

लखनऊ : अनिश्चित कालीन धरना के 118 वें दिन रिहाई मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शुऐब ने कहा कि आज जिस तरह से मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आरडी निमेष कमीशन की रिपोर्ट आंदोलन की दबाव में सदन में रखते हुए सार्वजनिक किया उससे एक बात तो साफ हुआ है कि सरकार, एटीएस और आईबी के हौसले पस्त हो गए हैं और आंदोलनकारी जनता के हौसले बुलंद हुए हैं. अब यह रिहाई आंदोलन नए तेवर के साथ हिन्दुस्तान की तारीख से आतंकवाद के खात्मे की जंग को मंजिल तक पहुंचाएगा.

Rihai Manch Indefinite dharna completes 118 Daysमोहम्मद शोएब ने कहा कि आरडी निमेष रिपोर्ट के आज सार्वजनिक होने के बाद यह बात अब साफ हो गयी है कि एसटीएफ, एटीएस और आईबी के लोग आतंकवाद के नाम पर बेगुनाह मुस्लिम नौजवानों को झूठी बरामदगी के साथ गिरफ्तार करते हैं. लेकिन अफसोस कि सरकार ने यह निमेष कमीशन की रिर्पोट जो उसके पास 31 अगस्त 2012 से ही है को जारी करने में साल भर से ज्यादा समय लगा दिया. होना तो यह चाहिए था कि उसी समय सपा सरकार रिपोर्ट को सार्वजनिक कर देती पर उसके ऐसा न करने से आपराधिक पुलिस और आतंकवादी वारदातों को अंजाम देने वाली आईबी ने 18 मई को खालिद मुजाहिद की हत्या कर दी. पूरे मुस्लिम समाज समेत इंसाफ पसन्द अवाम को इस घटना ने दहला दिया पर जिस बहादुरी के साथ रिहाई मंच ने तेज गर्मी में अनिश्चित कालीन धरना शुरु किया और अखिलेश यादव को मजबूर किया कि वो निमेष कमीशन पर अमल करे और चार जून को अखिलेश यादव को बड़े बेमन से इस रिपोर्ट को स्वीकारना पड़ा. पर तमाम दबाओं और बीच में रमजान के महीने में भी यह धरना लगातार चलता रहा और आज जिस तरह से फिर से अखिलेश यादव ने वादा खिलाफी करते हुए बेगुनाहों के आंदोलन के दबाव में रिहाई मंच के धरने के 118वें दिन निमेष रिपोर्ट को सार्वजनिक कर दिया. उसने अब यह बात स्थापित कर दिया है कि देश की एसटीएफ और आईबी जैसी एजेंसियों बेगुनाह मुस्लिमों को आतंकवादी मामले में फंसाती हैं.

मोहम्मद शुऐब ने कि अब जब रिपोर्ट सार्वजनिक हो चुकी हैं और यह बात भी सामने आ गई है कि एसटीएफ ने अपने पास मौजूद आरडीएक्स जैसे विस्फोटक पदार्थों को मरहूम मौलाना खालिद और तारिक के पास से दिखाया था तो ऐसे में इन दोषी पुलिस अधिकारी विक्रम सिंह, बुजलाल, मनोज कुमार झां, चिरंजीव नाथ सिन्हा, एस आनंद समेत अन्य पुलिस अधिकारियों और आईबी अधिकारियों को तत्काल जेल भेजा जाए.

उन्होंने कहा कि जिस तरीके से अमिताभ यश जैसे पुलिस अधिकारियों ने मरहूम मौलाना खालिद मुजाहिद के साथ बुरा बर्ताव किया था, प्यास लगने पर पेशाब और सूअर का मांस खिलाया, आज वक्ता आ गया है कि इंसाफ पसन्द समाज एकजुट हो जाए और इस जुल्म के खात्मे के लिए पिछले 118 दिनों से चल रहे रिहाई मंच के धरने में शिरकत करे. क्योंकि इन लोगों ने इस बात को कहा और कह कर दिखा दिया कि जब तक इंसाफ नहीं मिलता तब तक हम धरने पर रहेंगे और इस आंदोलन की यह बड़ी कामयाबी है कि अमूमन सत्र के पहले दिन ऐसी कोई कार्यवाई नहीं होती पर रिहाई आंदोलन से डरी सरकार ने निमेष कमीशन को सार्वजनिक कर दिया.

इंडियन नेशनल लीग के राष्ट्रीय अध्यक्ष मोहम्मद सुलेमान ने कहा कि जिस तरीके से रिहाई मंच ने सरकार को निमेष रिपोर्ट स्वीकार करने और आज सार्वजनिक करने को मजबूर किया है वह इस आंदोलन की एक आंशिक कामयाबी है और इसके बाद अब हमारी जिम्मेदारी और बढ़ जाती है क्योंकि खालिद मुजाहिद अब दुनिया में नहीं हैं पर अवाम के बल पर उनके न रहने पर भी जिस तरीके से आईबी के खिलाफ अवामी तहरीक चली उसने मुस्लिम समुदाय के हौसले को बुलंद कर दिया है. निमेष कमीशन के सार्वजनिक होने के बाद सवाल उठता है कि जब तारिक़ और खालिद बेगुनाह हैं तब घटना को किसने अंजाम दिया. ऐसे बहुतों सवाल सीआरपीएफ कैंप रामपुर में हुए कथित आतंकी हमले में हैं जिसमें नए साल के जश्न में शराब के नशे में धुत नौजवानों ने आपस में गोलीबारी कर ली जिसे आतंकवादी घटना बताकर बेगुनाह मुस्लिम नौजवानों को जेलों में सड़ाया जा रहा है. अब ऐसे में अगर सरकार सचमुच आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाह मुसलमानों को छोड़ना चाहती है तो उसको यूपी में हुई सभी आतंकी वारदातों की पुर्नविवेचना करानी चाहिए.

उन्होंने कहा कि एटीएस और आईबी के कारनामों की पड़ताल करानी ही होगी. क्योंकि जिस तरीके से 2005 में वाराणसी में चाहे वो संकट मोचन मंदिर, कैंट स्टेशन और दश्वाश्वमेध का मामला हो या फिर 2007 में गोरखपुर सीरियल ब्लास्ट इन सभी घटनाओं ने हिन्दू और मुसलमानों के बीच एक बैर फैलाने का काम किया गया और यह काम देश की सुरक्षा एजेंसियों और आईबी की करतूत है.

रिहाई मंच के प्रवक्ता राजीव यादव और शाहनवाज़ आलम ने कहा कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मानसून सत्र में निमेष कमीशन रिर्पोट को एक्शन टेकन रिपोर्ट के साथ रखने का वादा किया था. रिपोर्ट को सिर्फ सदन में रखना मुसलमानों को धोका देने की कोशिश है. क्योंकि निमेष आयोग रिपोर्ट कागज का पुलिंदा नहीं है बल्कि इसका प्रमाण है कि मुसलमानों को एक साम्प्रदायिक रणनीति के तहत आईबी और पुलिस आतंकवाद के झूठ मामलों में फंसाती है.

उन्होंने कहा कि अगर सरकार निमेष कमीशन की रिपोर्ट पर सचमुच गम्भीर है तो उसे तारिक और खालिद की चार्जशीट को भी खारिज करना चाहिए और पूरे मामले की नये सिरे से पुर्नविवेचना करानी चाहिए. उसे तारिक़ पर चल रहे मुक़दमे को तत्काल रोकना चाहिए और उन्हें पेरोल या अंतरिम बेल पर छोड़ना चाहिए.

घेरा डालो-डेरा डालो आंदोलन के तहत आज रिहाई मंच आजमगढ़ के प्रभारी मसीहुद्दीन संजरी, बनारस से आए लक्ष्मण प्रसाद और फैाजाबाद से आए गुफरान सिद्दीकी भूख हड़ताल पर बैठे.

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