BeyondHeadlines News Desk
लखनऊ : सपा सरकार अगर मानसून सत्र में निमेष कमीशीन की रिपोर्ट पर कार्रवायी रिपोर्ट लाने के अपने वादे पर ईमानदार है तो उसे सत्र में बाकी बचे दो दिनों में ऐसा कर देना चाहिए. उसे इस भ्रम में नहीं रहना चाहिए कि सिर्फ रिपोर्ट को टेबल करके वह अवाम को गुमराह कर लेगी या दूसरे मुद्दों और सत्र की अवधि कम होने का बहाना बना कर दूसरे सत्र तक के लिए कार्रवायी रिपोर्ट को लटका सकती है.
उन्होंने कहा कि सरकार को चाहिए कि वह निमेष आयोग द्वारा सुझाए गए बिंदुओं पर अमल करते हुए दूसरे आतंकी मामलों में फंसाए गए मुस्लिम युवकों के मामलों पर भी कार्यवायी करे. मसलन ऐसे मामलों पर पूरी कानूनी प्रक्रिया को दो साल के भीतर पूरा करने और ऐसा न करने वालों के खिलाफ कार्रवायी करने की मांग पर सरकार तत्काल अमल करे ताकि बेगुनाह होते हुए भी जेलों में सड़ रहे मुस्लिम युवक आजाद हो सकें. ये बातें रिहाई मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शुऐब ने आज अनिश्चित कालीन धरने के 119वें दिन व आमरण अन्शन के दूसरे दिन कहा.
मोहम्मद शुऐब ने कहा निमेष कमीशन की रिपोर्ट साफ बताती है कि तारिक कासमी ने तत्कालीन एडीजी कानून व्यवस्था बृजलाल, तत्कालीन डीजीपी बिक्रम सिंह और सीतापुर के तत्कालीन एसपी अमिताभ यश पर फंसाने के लिए षडयंत्र रचने का आरोप लगाया है. ऐसे गम्भीर आरोपों जिसकी तस्दीक कमीशन की रिपोर्ट करती है, के बावजूद इन पुलिस अधिकारियों की गिरफ्तारी न होना सरकार की साम्प्रदायिक नीति का पर्दाफाश करती है तथा उन देश विरोधी आतंकवादी संगठनों के हौसले बुलंद करती है जिनके राजनीतिक ऐजेंडे को पूरा करने के लिए ऐसे अधिकारी निर्दोष मुसलमानों को फंसाने का काम करता हैं.
उन्होंने मांग की कि सरकार तत्काल इन अपराधी पुलिस अधिकारियों को गिरफ्तार करे और रियाटर हो चुके ब्रिकम सिंह की पेंशन पर रोक लगाये.
रिहाई मंच के प्रवक्ता शाहनवाज़ आलम और राजीव यादव ने कहा कि सीबीआई द्वारा यह कहना कि खालिद मुजाहिद की हत्या की जांच वह नहीं करेगी, से साफ हो जाता है कि खालिद के हत्या के मुख्य षडयंत्र कर्ता आईबी को बचाने के लिए सपा और कांग्रेस सरकार में एक आम सहमति बन गई है कि प्रदेश सरकार के आधे अधूरे मन से सीबीआई जांच की मांग के पूरा नहीं करना है और किसी भी कीमत पर आईबी की सांप्रदायिक भूमिका को उजागर नहीं होने देना है. आईबी को बचाने के लिए सपा और कांग्रेस के बीच ठीक उसी तरह की सांठ-गांठ हुई है, जैसी इशरत जहां फर्जी मुठभेड़ के मास्टर माइंड और बाटला हाउस फर्जी मुठभेड़ के साजिशकर्ता राजेन्द्र कुमार को बचाने के लिए भाजपा और कांग्रेस के बीच समझौता हो गया है जिसके चलते इशरत जहां फर्जी मुठभेड़ मामले में सीबीआई ने दूसरी चार्जशीट अभी तक नहीं लाई. जिसमें उसने राजेन्द्र कुमार समेत आईबी के दूसरे अधिकारियों को नामित करने की बात कही थी.
रिहाई मंच आज़मगढ़ के प्रभारी मसीहुद्दीन संजरी ने बताया कि कल मरहूम मौलाना खालिद मुजाहिद और तारिक कासमी की बेगुनाही का सबूत को जिस तरीके से वादा मुताबिक अखिलेश यादव ने कार्यवाई रिपोर्ट के साथ न रखकर दोषी पुलिस व आईबी के अधिकारियों को बचाया और तारिक कासमी की रिहाई को बाधित किया ऐसे में रिहाई मंच के निणर्य अनुसार हम आरडी निमेष कमीशन पर रिपोर्ट पर अमल करवाने के लिए आमरण अनशन पर हैं.
भारतीय एकता पार्टी के अध्यक्ष सैय्यद मोइद अहमद, अब्दुल हलीम सिद्दीकी, जैद अहमद फारुकी ने कहा कि जिस जोश और जज्बे से यह आंदोलन कल चार महीना पूरा कर रहा है और वादाखिलाफ सपा सरकार को इसकी मांगों पर आधे-अधूरे मन से ही सही पर मांगों को मानना पड़ रहा है. ऐसे में निमेष कमीशन को अमल करवाने के लिए जिस तरह से प्रदेश के विभिन्न जिलों से लोग आमरण अनशन व भूख हड़ताल पर उस नौजवान खालिद मुजाहिद के लिए बैठै हैं जो अब इस दुनिया में नहीं है. ऐसे में हमारी जिम्मेवारी और बढ़ जाती है कि हम रिहाई मंच के आमरण अनशन में भारी तादाद में पहुंचे. 19 सितंबर को बाटला हाउस फर्जी मुठभेड़ की पांचवी बरसी पर हो रहे सम्मेलन को सफल बनाने का हर संभव प्रयास करें.
रिहाई मंच के प्रवक्ता शाहनवाज आलम ने बताया के आमरण अनशन पर मसीहुद्दीन संजरी, तारिक शफीक व राजीव यादव हैं और 24 घंटे की भूख हड़ताल पर शाहआलम शेरवानी और असदुल्ला हैं.
भूख हड़ताल पर बैठे मुस्लिम मजलिस आज़मगढ़ के नेता शाहआलम शेरवानी मुजफ्फर नगर दंगा पीडि़तों से मिलने गए प्रधानमंत्री और सोनिया गांधी के कुनबे ने दंगा निरोधी बिल लाने की बात कहकर मुसलमानों को गुमराह करने का काम किया है. उन्होंने कहा कि जिस कांगेस ने महाराष्ट्र के धुले और अकोला, राजस्थान में गोपालगाढ़, सांगानेर समेत सैकड़ों दंगे आसाम के कोकराझार में मुसलमानों के नरसंहार कराने वाली कांग्रेस को मुजफ्फर नगर दंगे पर आंसू बहाने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है.
मो0 इसहाक नदवी ने कहा कि रिहाई मंच ने अपने विधान सभा धरने के चार माह पूरे होने पर रिहाई मशाल मार्च से प्रदेश की अंधेर नगरी में दम तोड़ रहे लोकतंत्र को इस दोहरे चरित्र वाली सपा सरकार के चौपट राज का जहां असली चेहरा दिखा दिया है, वहीं कौम के गद्दार रहनुमाओं और उन उलमाओं का चेहरा भी बेनकाब कर दिया है जो बराबर इस ताक में रहते हैं कि कौम पर कब कोई आफत आए और उनको मेमोरेंडम लेकर सरकार के दरबार तक पहुंचने का मौका मिल जाए और जनता के संघर्ष को दबा दिया जाए. तो अब लोकतंत्र को बचाने और इंसाफ का राज स्थापित करने के लिए अवाम की जिम्मेदारी और बढ़ जाती है कि वह पार्टी वादी रहनुमाओं और मौका परस्त उलमाओं के पीछे आंख मूंद के चलने के बजाए सोच-समझकर अपने रहनुमाओं का इन्तिखाब करें.