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गर्व से कहो हम हिन्दू है, पर ये हिन्दू है कौन?

Ritu Choudhary for BeyondHeadlines

भारतीय जनता पार्टी द्वारा गुजरात के नरेन्द्र मोदी के नाम की घोषणा करने के बाद आजकल भारत में ‘हिन्दुवाद’ का बड़े जोर-शोर से प्रचार किया जा रहा है. बड़े नारे दिए जा रहे है जैसे कि ‘गर्व से कहो हम हिन्दू है’. अब सवाल ये उठता है कि हिन्दू कौन है? क्या जो ये सब कह रहे है वो सब हिन्दू हैं? इनको हिन्दू होने का प्रमाण-पत्र किसने दिया? और इन्हें ये हक़ किसने दिया कि ये हिन्दू होने के प्रमाण-पत्र बांटे.

भारत में विशुद्द रक्त ब्राह्मण/हिन्दू वास्तव में हिन्दू धर्म के सभी प्रमुख मठों के शंकराचार्य है. अब सवाल ये है कि शंकराचार्य कौन है? कहां से आये हैं? तो मैं आपको बता दू कि सभी शंकराचार्य नमुद्रिपाल ब्राह्मण हैं और ये सब उत्तर भारत के तथाकथित  ब्रहामणों  के हाथ का छुआ हुआ भोजन भी नहीं करते. ये सब आज भी सर्वश्रेष्ठ ब्राह्मण को हिन्दू समझते हैं, जो कि हिन्दुस्तान में केवल 3 % है. शंकराचार्यों ने किसी भी राजनैतिक पार्टी या स्वयं सेवक दल को अपना उत्तराधिकारी नहीं बनाया है कि वो लोगों को हिन्दू होने का सर्टिफिकेट बांटे या फिर हिंदुत्व की रक्षा करें.

गर्व से कहो हम हिन्दू है, पर ये हिन्दू है कौन?छत्रपति शिवाजी ने मुगलों का राज खत्म करने और हिन्दू राज्य स्थापित करने के उदेश्य से मुगलों से युद्ध किया और अफ़जल खान को मार कर युद्ध जीते भी परन्तु जब उनके राज्यभिषेक की बारी आई तो सभी प्रमुख ब्राह्मण पुरोहितों ने राज्यभिषेक करने से साफ़ इनकार कर दिया. क्योंकि वो सब उन्हें हिन्दू मानते ही नहीं थे. तब काशी के सब से बड़े ब्राह्मण पुरोहित गंगाभट ने मृत्युदंड के भय से छत्रपति शिवाजी का राज्यभिषेक अपने पैर के अँगूठे से किया.

1979-80 में तमिलनाडू की राजधानी चेन्नई से 200 किमी दूर मीनाक्षीपुरम गाँव में 150 दलित परिवारों द्वारा इस्लाम धर्म अपनाया गया ताकि उन्हें गाँव के कुओं पर पानी पिने का हक़ मिल सके (मुस्लिमों को पानी पीने का अधिकार था और दलितों को नहीं था) तब सारे तथाकथित हिन्दू समाज में एक अपूर्व क्रोध की लहर उठी और दिल्ली में बोट क्लब पर कश्मीर के राजा कर्ण सिंह की अध्यक्षता में विश्व हिन्दू सम्मलेन आयोजित किया गया और दलितों की इस्लाम ग्रहण करने की इस घटना की भर्त्सना करते हुए कहा की बिकाऊ दलितों ने पेट्रो डॉलर द्वारा ही इस्लाम ग्रहण किया है और नारा दिया कि ”पेट्रो डॉलर नहीं चलेंगे” और ”गर्व से कहो हम हिन्दू हैं”.  अब सोचने वाली बात ये है कि जिन दलितों को आप इन्सान ही नहीं समझते वो गर्व से कैसे कहेंगे की वो हिन्दू हैं?

भारतीय जनता पार्टी, राष्ट्रीय स्वयं सेवक दल और इन दलों की अन्य शाखाएं हिन्दुवाद को खतरे में बताकर उसकी रक्षा के नाम पर हिन्दू आतंकवाद फैला रही हैं. मुज्जफरनगर दंगे, गोधरा काण्ड, वडोदरा काण्ड, बाबरी मस्जिद काण्ड सब इसी के उदहारण हैं. अब सवाल यह है कि क्या सच में इसकी ज़रुरत है. जनता को ये समझना चाहिए कि न हिन्दुवाद खतरे में है और न ही हिन्दुओं के गुरु ऐसा चाहते हैं.

बीजेपी में संघप्रिय गौतम, सूरजभान, सत्यनारायण, बंगारू लक्ष्मण, उमा भारती, विनय कटियार, प्रवीन तोगड़िया, अशोक सिंघल, शिवराज चौहान और नरेन्द्र मोदी जैसे लोगों को चाहे कितने ही बड़े और महान पदों पर आसीन कर दें, परन्तु इनमें से किसी को भी शंकराचार्य ने हिन्दू होने की मान्यता नहीं दी है, न ही उन्होंने किसी दल को हिन्दू दल होने की मान्यता दी है. इनका खुद को या किसी और को हिन्दू होने का सर्टिफिकेट देना या हिंदुत्व की रक्षा करना निरर्थक है. तो फिर क्यों यह लोग हिन्दू होने का असहनीय बोझ ढो रहे हैं. मेरी नज़र में तो यह दुनिया का आठवां आश्चर्य ही है.

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